MP Kisan Soyabean Andolan: मध्यप्रदेश में 30 किसान संगठन 1 अक्टूबर को चक्काजाम करने जा रहे हैं। किसानों की मांग है कि सोयाबीन को 6000 रुपए में खरीदा जाए। किसान संघ का कहना है कि केंद्र सीधे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के साथ बोनस राशि दे दे। या फिर राज्य सरकार 1100 रुपए बोनस के रूप में दे दे। जिससे किसान को 6000 रुपए मिल सकें। Soybean MSP को लेकर पिछले कई दिनों से किसान आंदोलन कर रहे हैं। 1 अक्टूबर को किसान चक्काजाम दोपहर 12 से 3 बजे तक होगा। इसके पहले किसान 26 से 30 सितंबर तक गांवों में मशाल रैली निकाली जाएगी। किसान संगठनों के इस आंदोलन में RSS का किसान संगठन शामिल नहीं है।
[su_youtubeurl=”https://youtu.be/QkKyMqxOes8?si=lyIDMAmT09m_9bru”autoplay=”o”]संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आंदोलन
प्रदेश में चल रहे सोयाबीन भाव आंदोलन की सुगबुगाहट भोपाल तक पहुंचने लगी है। 18 सितंबर, बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले प्रदेश भर के किसान नेताओं ने भोपाल में बैठक की। किसान नेताओं का कहना है सोयाबीन भाव को लेकर मुहिम गांव से चालू हुई जिसमें हमने गांव गांव में ज्ञापन दिए। उसके बाद तहसील व जिला मुख्यालय पर ज्ञापन दिए, लेकिन सरकार सोयाबीन का भाव 6000 रुपए करने देने की मांग को अभी तक मानने को तैयार नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा ने बैठक करके आगामी आंदोलन कि रणनीति तय कि जिसके तहत 24 से 30 सितंबर तक प्रत्येक गांव में मशाल जुलूस निकाला जाएगा।
गांव गांव में निकालेंगे मशाल रैली
1 अक्टूबर को पूरे प्रदेश में तहसील व जिला स्तर पर दोपहर 12 से 3 बजे तक स्टेट व नेशनल हाईवे पर चक्का जाम किया जाएगा। इसके बाद भी यदि सरकार ने किसानों की मांग नहीं मानी तो भोपाल राजधानी का घेराव किया जाएगा। MSP की घोषणा केंद्र सरकार द्वारा की जाती है राज्य सरकार का इसमें कोई रोल नहीं होता। वर्तमान MSP की घोषणा जून 2024 में की जा चुकी है। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा MSP घोषणा का श्रेय लेना पूर्णता अनुचित व भ्रम फैलाने वाली बात है। हमारा प्रदेश सरकार से कहना है आप अपनी तरफ से किसानों को घाटे से बचाने के लिए क्या देंगे इस पर बात करिए।
भारतीय किसान संघ शामिल नहीं
संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले होने वाले इस प्रदर्शन में 30 अलग अलग किसान संगठन शामिल हैं, लेकिन इसमें भारतीय किसान संघ शामिल नहीं है। हालांकि भारतीय किसान संघ भी सरकार से लगातार सोयाबीन के भाव 6000 करो की मांग कर रहा है, लेकिन किसान संघ का आंदोलन पृथक से चल रहा है।