MP Indore High Court Assembly Live Sstreaming Proceedings Case: मध्यप्रदेश में हाईकोर्ट की इंदौर ब्रांच ने विधानसभा की कार्यवाही लाइव न करने पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।
जिसमें प्रदेश सरकार को 4 सप्ताह के अंदर जबाव देने को कहा है। इसमें पूछा गया है कि आखिर विधानसभा की कार्यवाही लाइव क्यों नहीं की गई, जबकि इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा 21 करोड़ रुपए की राशि दी गई थी। इस मामले में अगली सुनवाई 16 जून को होनी है।
हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
मध्यप्रदेश विधानसभा की कार्यवाही का अब तक लाइव प्रसारण क्यों शुरू नहीं हुआ, इसे लेकर हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर की गई है। ये याचिका अधिवक्ता विभोर खंडेलवाल और जयेश गुरनानी ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने साल 2020 में ‘ई-विधान एप’ की शुरुआत की थी, जिसका मकसद देश की सभी विधानसभाओं को डिजिटल बनाना था। कई राज्यों में ये काम पूरा भी हो चुका है, लेकिन मध्यप्रदेश अब भी पीछे है।
21 करोड़ मिलने के बावजूद नहीं उठाए ठोस कदम
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश को डिजिटल विधानसभा के लिए 21 करोड़ रुपये की राशि भी दी है। इसके बावजूद न तो विधानसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण शुरू हुआ और न ही कोई बड़ा कदम उठाया गया।
जनता को जानने का हक है – याचिकाकर्ता
जनहित याचिका में साफ कहा गया है कि जनता अपने नेताओं को वोट देकर चुनती है, तो उन्हें ये जानने का भी हक है कि वे विधानसभा में किस तरह से काम कर रहे हैं। कौन से मुद्दे उठा रहे हैं, क्या सवाल पूछ रहे हैं और उनका प्रदर्शन कैसा है – ये सब जनता के सामने आना चाहिए। अगर विधानसभा की कार्यवाही का लाइव प्रसारण शुरू हो जाएगा, तो लोग अपने जनप्रतिनिधियों की काम करने की शैली को खुद देख पाएंगे।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है कि अब तक लाइव प्रसारण की दिशा में क्या कदम उठाए गए हैं। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या सफाई देती है और आने वाले समय में क्या विधानसभा की कार्यवाही जनता के लिए लाइव दिखाई जाएगी या नहीं।
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