हाइलाइट्स
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UAPA के लीगल एडवाइजर की जमानत याचिका रद्द
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आरोपी की मंशा देश में मुगल व्यवस्था की स्थापना
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NIA ने वासीद खान को किया था गिरफ्तार
MP High Court: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति देवनारायण मिश्रा की युगलपीठ ने अपनी टिप्पणी में कहा कि आरोपित के कब्जे से बेहद आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई है, जिससे पता चलता है कि वह समाज में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का प्रयास कर रहा था और उसकी मंशा देश में मुगल व्यवस्था की स्थापना करने की थी। लिहाजा, अनलॉफुल एक्टिविटी (प्रिवेंशन) एक्ट में NIA के द्वारा गिरफ्तार आरोपित की जमानत अर्जी निरस्त की जाती है।
भोपाल के वासीद खान के खिलाफ NIA ने दर्ज किया था केस
भोपाल के वासीद खान के खिलाफ NIA ने केस दर्ज किया था। विशेष न्यायाधीश NIA, भोपाल ने 8 फरवरी 2025 को उसका नियमित जमानत का आवेदन निरस्त कर दिया था, जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन अपील दायर की गई थी।
अपीलकर्ता ने ये कहा
अपीलकर्ता की ओर से कहा गया कि वह नामांकित अधिवक्ता है और मानवाधिकार संगठन के साथ स्वयंसेवक के रूप में काम करता है। समय-समय पर कानूनी जागरुकता कार्यक्रम आयोजित करता है। उसने ऐसा कोई कार्य नहीं किया है जो गैरकानूनी गतिविधियों की परिभाषा के अंतर्गत आता है। जब आपत्तिजनक साहित्य की बरामदगी हुई, वह जेल में बंद था। इसलिए जब्ती स्थल पर नहीं था। ऐसे में उसे ठोस साक्ष्य नहीं माना जा सकता।
हाईकोर्ट ने आदेश में ये कहा
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि अनलॉफुल एक्टिविटी (प्रिवेंशन) एक्ट एक भारतीय कानून है जिसका उद्देश्य गैरकानूनी गतिविधियों, विशेष रूप से आतंकवादी गतिविधियों को रोकना है। ये कानून भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता के विरुद्ध निर्देशित गतिविधियों से निपटने के लिए शक्तियों प्रदान करता है।
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फर्जी डॉक्टर एन जॉन कैम समेत अन्य आरोपियों को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, जमानत याचिका खारिज
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