MP High Court Twarit Project: राज्य में वॉट्सऐप, एसएमएस और ईमेल पर वारंट और समन तामिल कराने की शुरुआत हो गई है। पिछले वर्ष अगस्त में गजट अधिसूचना के बाद दस जिलों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। अब सभी अदालत और थानों में लागू हो गया है।
जबलपुर हाईकोर्ट में शनिवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस अभय ओका, एमपी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कैत ने त्वरित (ट्रांसमिशन ऑफ वारंट एंड समंस एंड रिपोर्ट्स थ्रू इंफार्मेशन एंड टेक्नोलॉजी) लॉन्च किया।
त्वरित 48 घंटे में सारी प्रक्रिया
वारंट-समन को अदालत के आदेश के बाद 24 घंटे में स्टेशन पहुंचाया जाएगा। 24 से 48 घंटे में प्रोसेस को इलेक्ट्रॉनिक मोड में रिपोर्ट अदालत को भेजी जाएगी। इससे समन-वारंट का ऑडिट ट्रेल संभव हो पाएगा। पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी और एसपी समन वारंट की निगरानी कर सकते हैं।
48 घंटे में पूरी होगी प्रक्रिया
नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड के अनुसार, राज्य में 44 फीसदी आपराधिक केस लंबित हैं, क्योकि अभियुक्त उपलब्ध नहीं है या समन तामील नहीं हो पाया। हर मामला इस कारण अटका हुआ है। अब 48 घंटे के अंदर ही समन या वारंट तामील करने की प्रक्रिया होगी। यह व्यवस्था लागू करने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य है।
अब तक क्या होता था?
अदालत में समन मैनुअली तैयार होता है। कोर्ट में हस्ताक्षर कराया जाता है। समन को पुलिस अधीक्षक के ऑफिस से पुलिस स्टेशन भेजा जाता है।
पुलिस स्टेशन फिर प्रभारी अधिकारी को देता है। अधिकारी इसे कांस्टेबल को तामील के लिए देता है। संबंधित शख्स तक समन पहुंचाया जाता है। आरोपी नहीं मिलने पर रिपोर्ट अदालत में वापस भेजी जाती है।
अब त्वरित प्रोजेक्ट से क्या होगा?
अभियुक्तों और गवाहों की जानकारी केस इंफॉर्मेशन सिस्टम में अपडेट होगी। ऑनलाइन समन वारंट सीआईएस पर तैयार होगा। डिजिटल हस्ताक्षर किए जाएंगे। क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम से पुलिस को भेजा जाएगा।
मध्यप्रदेश पुलिस के ई-रक्षक ऐप के माध्यम से ईमेल, मैसेज या वॉट्सऐप से भेजा जाएगा। इनमें इनबिल्ट मेकैनिज्म है। एक क्लिक में एक्नॉलेजमेंट जनरेट होगा और ई-रक्षक ऐप पर ट्रांसफर होगा।
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