हाइलाइट्स
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पूर्व मंत्री गौरी शंकर बिसेन पर चलेगा मुकदमा
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हाईकोर्ट ने खारिज की पूर्व मंत्री की याचिका खारिज
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ग्वालियर के फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलेगा मुकदमा
शिवराज सरकार में मंत्री रहे Gauri Shankar Bisen को जबलपुर हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है.उनके खिलाफ अब फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलेगा.
पूर्व मंत्री बिसेन ने हाईकोर्ट में निचली अदालत की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग करते हुए याचिका लगाई थी. जिसे जबलपुर हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है.
दरअसल जिला सहकारी बैंक पन्ना के तत्कालीन अध्यक्ष संजय नगायच ने उनके खिलाफ जिला अदालत में मुकदमा किया था.
क्या है पूरा मामला
15 मई 2014 को ग्वालियर की ट्रायल कोर्ट के समक्ष बिसेन समेत पांच अन्य के खिलाफ मानहानि का परिवाद पेश किया गया था. उन्होंने आरोप लगाए थे कि बिसेन ने एक आमसभा में उनके खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए उन्हें चोर कहकर संबोधित किया था.
इससे उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल हुई है. संजय नागायच के आरोप को पर दो गवाहों ने योगेन्द्र चौबे और अरुण चौरसिया ने ट्रायल कोर्ट में अपने बयान दर्ज कराए थे. मामला एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट ग्वालियर में लंबित है. अब कोर्ट के आदेश के बाद यह मुकदमा जारी
रहेगा
बैंक अध्यक्ष को जातिसूचक शब्दों से किया था अपमानित
बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री गौरी शंकर बिसेन (Gauri Shankar Bisen ) ने पन्ना के बैंक मैनेजर को जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया था. उन्होंन सहकारिता मंत्री रहते हुए पन्ना सहकारी बैंक अध्यक्ष संजय नगायच पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे.
इसी दौरान उन्होंने कहा था कि “पंडित तू चोर, बैंक अध्यक्ष चोर” है. तत्कालीन सहकारिता मंत्री बिसेन ने बैंक के बोर्ड को भी बर्खास्त कराया था.
धारा 500 के तहत चलेगा मुकदमा
हाइकोर्ट ने इस मामले में कहा कि किसी जनप्रतिनिधि के द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर किसी व्यक्ति का अपमान करने की घटना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
अब पूर्व मंत्री बिसेन (Gauri Shankar Bisen ) पर धारा 500 के तहत एमपी एमएलए (MP-MLA) कोर्ट ग्वालियर की फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलेगा. इस धारा के तहत 2 साल से ज्यादा की सजा का प्रावधान है.
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बैंक अध्यक्ष को सुप्रीम कोर्ट ने दी थी क्लीन चिट
पूर्व मंत्री के भ्रष्टाचार के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने बैंक अध्यक्ष संजय नगायच को क्लीन चिट दी थी. इसके साथ ही कोर्ट ने बैंक के बोर्ड को भी बहाल किया था. साथ ही तत्कालीन शिवराज सरकार पर ₹1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था.