MPPSC: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने MPPSC प्रिलिम्स और राज्य वन सेवा परीक्षा 2024 के अभ्यर्थियों की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें परीक्षा में 6 प्रश्नों के उत्तरों पर आपत्ति उठाई गई थी। जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने कहा कि शैक्षणिक मामलों में विषय विशेषज्ञों की राय को महत्व दिया जाना जरूरी है, भले ही उसमें कुछ विरोधाभास हो।
कब किया जा सकता है विचार
हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि केवल दुर्लभ या असाधारण मामलों में कोई बड़ी त्रुटि होने या दुर्भावना के कारण की गई कार्रवाई के मामलों में विचार किया जा सकता है।
याचिकाकर्ताओं को कोई राहत नहीं
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में 27 जून 2024 को प्रोविजनल आंसर-की जारी कर दी गई थी। इसके 7 दिन के अंदर ही उम्मीदवारों को आपत्ति उठानी थी। कुछ याचिकाकर्ताओं ने इस समय सीमा में आपत्ति नहीं उठाई। इसके बाद विषय विशेषज्ञों ने अंतिम मॉडल उत्तर पुस्तिका में भी कोई बदलाव नहीं करने की सिफारिश की है। इस मत के साथ कोर्ट ने कहा कि ऐसे में याचिकाकर्ताओं को कोई राहत नहीं दी जा सकती।
6 सवालों के उत्तर पर पेश की थी आपत्ति
कटनी के रहने वाले शिवम त्रिपाठी समेत प्रदेश के अलग-अलग जिलों के 12 से ज्यादा परीक्षार्थियों ने MPPSC प्रिलिम्स और राज्य वन सेवा परीक्षा 2024 में 6 प्रश्नों के उत्तरों पर आपत्ति पेश की थी। याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि उन्होंने जो उत्तर दिए हैं, वे NCERT और भारत सरकार के गजेटियर के आधार पर दिए हैं।
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हाईकोर्ट ने PSC से बुलाई थी विषय विशेषज्ञों की रिपोर्ट
PSC ने जो मॉडल उत्तर पुस्तिका तैयार की है, उसे अलग विकल्प को सही बताया है। पूर्व में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने PSC से विषय विशेषज्ञों की रिपोर्ट बुलाई थी।
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