MP High Court News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति द्वारिकाधीश बंसल की एकल पीठ ने पीवी रेड्डी आयोग की रिपोर्ट लागू न करने और 12 वर्षों से पेंशन सारांशीकरण न किए जाने के मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। इस संबंध में राज्य शासन सहित अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया गया है। कोर्ट ने जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।
याचिकाकर्ता सेवानिवृत्त सब इंजीनियर रमेश कुमार यादव सहित अन्य पेंशनरों की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता सेवानिवृत्त शासकीय कर्मचारी हैं और पिछले 12 वर्षों से पेंशन का लाभ ले रहे हैं।
पेंशनर्स को मिल रही कम पेंशन
भारत सरकार के निर्देश पर पीवी रेड्डी आयोग ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें पेंशन सारांशीकरण की अवधि 15 वर्ष से घटाकर 12 वर्ष करने की अनुशंसा की गई थी।
अन्य राज्यों ने इस अनुशंसा का पालन करते हुए पेंशन सारांशीकरण कर दिया है, लेकिन मध्य प्रदेश में अभी तक ऐसा नहीं किया गया है।
इस वजह से याचिकाकर्ताओं सहित अन्य पेंशनरों को आर्थिक नुकसान हो रहा है और उन्हें अपेक्षाकृत कम पेंशन मिल रही है। हाई कोर्ट ने प्रारंभिक तर्क सुनने के बाद सरकार से जवाब मांगा है।
एक ही मुद्दे पर छह बार याचिका दायर करने पर जुर्माना
हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी और न्यायमूर्ति अचल कुमार पालीवाल की युगल पीठ ने एक ही मुद्दे पर छह बार याचिका दायर करने के रवैये को गंभीरता से लिया। इसके लिए सीहोर के केएल शर्मा कॉलेज ऑफ नर्सिंग पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया और याचिका निरस्त कर दी गई।
कोर्ट ने 30 दिनों के भीतर जुर्माना की राशि मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराने के निर्देश दिए हैं। यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो कॉलेज से राशि वसूली की जाएगी।
हाई कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने जांच के बाद कॉलेज के अस्पताल में कई कमियां पाई थीं। इस कारण कॉलेज को मान्यता नहीं मिली थी। इस मामले में कॉलेज ने बार-बार याचिका दायर करके कोर्ट का समय बर्बाद किया, जिसके चलते यह कार्रवाई की गई।
हाई कोर्ट ने डीजीपी सहित अन्य से स्पष्टीकरण मांगा
हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अचल कुमार पालीवाल की एकल पीठ ने पूर्व आदेश के बावजूद भुगतान सुनिश्चित न किए जाने के रवैये को गंभीरता से लिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने डीजीपी कैलाश मकवाना और कटनी के एसपी अभिजीत कुमार रंजन को अवमानना नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है।
अवमानना याचिका कटनी निवासी सेवानिवृत्त पुलिस निरीक्षक आवार तिवारी की ओर से अधिवक्ता अजय रायजादा और अंजना श्रीवास्तव ने दायर की थी। याचिकाकर्ता ने वेतन से वंचित किए जाने के रवैये को चुनौती दी थी।
हाई कोर्ट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद आदेश पारित किया था कि जिस तिथि से आरोप पत्र निरस्त किया गया, उस तिथि से बकाया वेतन प्रदान किया जाए। इसके लिए तीन महीने की समय सीमा निर्धारित की गई थी। हालांकि, अवधि निकल जाने के बावजूद आदेश का पालन नहीं किया गया, जिसके चलते कोर्ट ने यह कार्रवाई की है।
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