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MP High Court notice Dog bite Case
MP High Court on Dog bite Case: मध्य प्रदेश में स्ट्रीट डॉग्स के हमलों की बढ़ती घटनाओं को लेकर ग्वालियर हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर की गई। याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार और नगर निगम को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
अदालत ने यह जानना चाहा कि डॉग बाइट (Dog Bite) की घटनाओं को रोकने और स्ट्रीट डॉग्स की बढ़ती आबादी पर नियंत्रण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? हाईकोर्ट (MP High Court) ने मामले की अगली सुनवाई 5 मई को तय की है, जिसमें संबंधित पक्षों को अपनी रिपोर्ट पेश करनी होगी।
ग्वालियर के सामाजिक कार्यकर्ता ने दायर की PIL
ग्वालियर निवासी चंद्र प्रकाश जैन और अखिलेश केशरवानी ने स्ट्रीट डॉग्स के हमलों पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, ग्वालियर सहित मध्य प्रदेश के अन्य जिलों में भी स्ट्रीट डॉग्स के हमले बढ़ते जा रहे हैं। हाल ही में ग्वालियर में एक मासूम बच्चे पर कुत्तों ने हमला कर दिया, जिसके कारण उसे 100 से अधिक टांके लगाने पड़े।
याचिका में कहा गया है कि स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के कारण नागरिकों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। नसबंदी कार्यक्रम प्रभावी नहीं हो रहा है, जिससे कुत्तों की आबादी तेजी से बढ़ रही है।
कोर्ट (MP High Court) ने राज्य सरकार और नगर निगम को जारी किया नोटिस
ग्वालियर हाईकोर्ट (MP High Court) की युगल पीठ (Division Bench) ने प्रिंसिपल सेक्रेटरी लोकल एडमिनिस्ट्रेशन, कमिश्नर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ग्वालियर और डीन गजरा राजा मेडिकल कॉलेज को पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी किया है। पक्षकारों को 5 मई तक अपने जवाब कोर्ट में पेश करने होंगे।
कोर्ट ने इन पक्षकारों से निम्नलिखित सवालों पर जवाब मांगा है—
- मध्य प्रदेश में स्ट्रीट डॉग्स की संख्या को नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
- डॉग बाइट रोकने के लिए सरकार और नगर निगम की क्या योजना है?
- नसबंदी कार्यक्रम पर कितना खर्च हो रहा है और क्या यह प्रभावी साबित हो रहा है?
कोर्ट ने मांगे सुझाव
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने नगर निगम, राज्य सरकार और याचिकाकर्ताओं से सुझाव मांगे कि डॉग बाइट और स्ट्रीट डॉग्स की बढ़ती संख्या पर रोक कैसे लगाई जाए?
याचिकाकर्ताओं और वकीलों ने कोर्ट को बताया कि—
- झारखंड और उत्तराखंड सरकार ने डॉग बाइट पीड़ितों के लिए मुआवजे (Compensation) का प्रावधान किया है, मध्य प्रदेश में भी इसे लागू किया जाना चाहिए।
- डॉग बाइट पीड़ितों का इलाज मुफ्त किया जाए। सरकारी अस्पतालों में एंटी-रेबीज इंजेक्शन निशुल्क उपलब्ध कराए जाएं।
- स्ट्रीट डॉग्स को शहर से बाहर शिफ्ट किया जाए। नसबंदी से उनकी आबादी नियंत्रित नहीं हो रही, इसलिए नए उपाय अपनाए जाएं।
प्रशासन की लापरवाही उजागर
याचिकाकर्ताओं ने ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां भी स्ट्रीट डॉग्स के हमले बढ़ रहे हैं। हाल ही में विश्वविद्यालय के एक कर्मचारी को कुत्ते ने काट लिया, लेकिन प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया। याचिका में चिंता जताई गई कि यूनिवर्सिटी कैंपस में महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे घूमने जाते हैं।
MP के अलग-अलग शहरों में डॉग बाइट केस
बता दें, पिछले दिनों ग्वालियर शहर में बीते 24 घंटे की बात करें तो तीन अस्पतालों में 439 मरीज पहुंचे। इसके अलावा, एक रिपोर्ट के अनुसार, भोपाल शहर में हर दिन 60 से ज्यादा डॉग बाइटिंग के मामले होते हैं और सालभर में यह आंकड़ा 21 हजार के पार पहुंच जाता है। वहीं, रिपोर्ट के अनुसार, जबलपुर में स्ट्रीट डॉग्स हर महीने 2200 लोगों को घायल कर रहे हैं।
इंदौर में पिछले एक साल में 50 हजार से ज्यादा डॉग बाइट के मामले सामने आए हैं। हाल हीं में, ताजा मामला टीकमगढ़ (Tikamgarh) जिले से भी आया है, जहां 40-50 कुत्तों का एक झुंड लोगों के लिए सिरदर्द बना हुआ है। कुत्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए MP में डॉग बाइट को लेकर सख्त नियम बनाने की जरूरत है वरना, कुत्तों का आतंक यूं हीं कायम रहेगा।
डॉग बाइट मामले में हाईकोर्ट के संभावित निर्देश
अब इस केस की अगली सुनवाई 5 मई को होगी, जिसमें कोर्ट यह देखेगा कि राज्य सरकार और नगर निगम ने इस मामले पर क्या कदम उठाए हैं। अगर प्रशासन संतोषजनक जवाब नहीं दे पाता, तो हाईकोर्ट सख्त निर्देश जारी कर सकता है।
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