MP High Court News: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने विदेश से MBBS करने वाले स्टूडेंट्स के मामले में राज्य शासन और मेडिकल काउंसिल के नियमों पर सवाल उठाए हैं। अदालत ने पूछा है कि जब इंटर्नशिप का पीरियड दो साल थी, तो उसे बढ़ाकर तीन साल क्यों किया गया है।
अदालत ने मांगा जवाब
जस्टिस एसए धर्माधिकारी व जस्टिस अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने मेडिकल एजुकेशन विभाग के प्रमुख सचिव, निर्देशक मेडिकल एजुकेशन, नेशनल मेडिकल एजुकेशन और राज्य मेडिकल काउंसिल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
चीन से एमबीबीएस किया
विदिशा निवासी डॉक्टर सौरभ रघुवंशी सहित आठ लोगों की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी ने कोर्ट में पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने चीन से एमबीबीएस की पढ़ाई की है। कोरोना वायरस के चलते याचिकाकर्ताओं की क्लास ऑनलाइन मोड से की गई।
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दो साल के इंटर्नशिप का प्रावधान
नियमानुसार भारत से MBBS करने वालों के लिए इंटर्नशिप एक साल और विदेश से करने वालों के लिए दो वर्ष के इंटर्नशिप का प्रावधान है। दलील दी गई कि MP मेडिकल काउंसिल ने चार नवंबर 2024 को एक आदेश जारी कर इंटर्नशिप दो साल की तीन वर्ष कर दी। याचिकाकर्ताओं को नवंबर 2023 में बताया गया कि उन्हें दो साल की इंटर्नशिप करनी है। सभी का कोर्स मार्च 2025 में पूरा होगा। ऐसे में नया नियम लागू करना अवैधानिक है।
अदालत ने घर तोड़े जाने के मामले में फटकार लगाई
सुनवाई का अवसर दिए बिना मकान तोड़े जाने के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने अधिकारियों को फटकार लगाई है। जस्टिस विशाल धगत की बेंच ने सुनवाई करते हुए तहसीलदार नजूल उमरिया को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
क्या है मकान तोड़े जाने का मामला?
कोर्ट ने पूछा है कि सुनवाई का मौका दिए बिना याचिकाकर्ता के घर को कैसे तोड़ दिया। दरअसल, उमरिया निवासी केवी विनीत ने याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता मनोज कुशवाहा और कौशलेंद्र सिंह ने पैरवी की।
याचिकाकर्ता ने कहा कि उसके पिता ने 1996 में एक जमीन खरीदी थी। इसके बाद भी उनके खिलाफ शासकीय जमीन पर अतिक्रमण का प्रकरण बनाकर जुर्माना लगाया गया। इतना ही नहीं जुर्माना के बाद घर का कुछ हिस्सा प्रशासन ने तोड़ दिया। याचिका में कहा गया कि नियमानुसार पंचानामा नहीं बनाया गया और न ही कोई नोटिस जारी किया गया था।
सुनवाई का नहीं दिया अवसर
याचिकाकर्या केवी विनीत ने अदालत में दस्तावेज पेश किए। दावा किया कि जमीन उनके नाम पर है। मनमाने तरीके से कार्रवाई की गई है। अदालत ने सुनवाई के बाद तहसीलदार नजूल उमरिया को नोटिस कर जवाब मांगा है।
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