MP High Court News: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने नामांतरण और पुरानी संपत्तियों पर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि नगर पालिका रिकॉर्ड के उद्देश्य हेतु व्यक्ति के नाम बदलने के लिए वसीयतनामा पर भरोसा किया जा सकता है। वसीयत प्रामाणिक डॉक्यूमेंट है।
न्यायाधीश सुबोध अभ्यंकर की बेंच ने कहा कि वसीयत को लॉ के अनुसार निष्पादित किया जाता है, तो वह विवादित नहीं है। नगर निगम के रिकॉर्ड में पुराने नामों के बदले परिवार के उन सदस्यों के नामों को बदलने के लिए विल पर यकीन किया जा सकता है।
नगर निगम अधिकारी वसीयत के आधार पर नामांतरण कर सकते हैं। अदालत ने कहा कि लोगों को सिविल मुकदमा दायर करने के लिए सिर्फ नाम बदलने के लिए काफी समय और पैसा खर्च करना पड़ता है। याचिका नगर निगम इंदौर के लीज सेल प्रभारी ने वसीयत के आधार पर नामांतरण के आवेदन को स्वीकार नहीं करने के आदेश के खिलाफ दायर की गई है।
इस आधार पर रिकॉर्ड बदला जा सकता है
नगर निगम के वकील ने अदालत में कहा कि क्या वसीयत के आधार पर रिकॉर्ड बदला जा सकता है। इस तरह का मामला विचाराधीन है। याचिकाकर्ता गोपाल दास ने विल के आधार पर रिकॉर्ड बदलने जाने के कई उदाहरण बताए, जिसमें बताया गया कि वसीयत के आधार पर नाम में बदलाव किया जा सकता है।
वसीयत को खारीज नहीं कर सकते
इंदौर हाईकोर्ट ने कहा कि निगम अधिकारी विल को खारीज नहीं कर सकते। नाम बदलने के लिए राजस्व अधिकारी के सामने वसीयत की वैधता पर विचार करने की जरूरत नहीं है। अदालत ने निगम अधिकारी के द्वारा आवेदन को रद्द कर दिया।
अधिवक्ता पकंज खंडेलवाल ने कहा
अधिवक्ता पंकज खंडेलवाल के अनुसार, नगर निगम ने कई जमीन और दुकानें लीज पर दी थी। लीजधारी की मौत होने के बाद वसीयत पेश करने के बाद लीज नहीं बढ़ाई गई, ना ही नाम में बदलाव किया जा रहा है। पुराने मकानों के केस में मैप संशोधित नहीं हो रहे हैं। इंदौर हाईकोर्ट के फैसले से लोगों को बड़ा फायदा होगा।
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