MP High Court EWS Candidate: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने अपने पूर्व आदेश पर अडिग रहते हुए EWS को 5 साल की आयु सीमा छूट बरकरार रखी है। कोर्ट ने अंतिम चरण में अंतरिम राहत दिए जाने का UPSC का विरोध फिलहाल दरकिनार कर दिया।
हाईकोर्ट ने क्या कहा ?
हाईकोर्ट ने कहा कि अंतरिम आदेश में स्पष्ट व्यवस्था दी गई है कि EWS को 5 साल की आयु सीमा छूट विचाराधीन याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन होगी। इसलिए UPSC को अंतरिम आदेश का पालन करते हुए EWS अभ्यर्थियों के फॉर्म 5 वर्ष की आयु सीमा छूट के साथ स्वीकार करने चाहिए। इस मामले की अंतिम सुनवाई 24 फरवरी को निर्धारित की जाती है।
अंतिम समय में निर्देश से परीक्षा संचालन में होगी परेशानी
मंगलवार को सुनवाई शुरू होते ही सबसे पहले संघ लोक सेवा आयोग की ओर से बहस को गति दी गई। वकील ने दलील दी कि इस तरह अंतिम समय में हाईकोर्ट का 5 वर्ष की आयु सीमा छूट संबंधी अंतरिम आदेश सामने आने से UPSC को सिविल सेवा परीक्षा 2025 के संचालन में परेशानी होगी। ऐसा इसलिए भी क्योंकि राज्य और केंद्र के स्तर पर EWS का स्टेटस अलग-अलग होता है। केंद्र शासन की ओर से डिप्टी सॉलिसिटर जनरल पुष्पेंद्र यादव ने भी कहा कि इस तरह आखिरी चरण में अंतरिम राहत का पालन करने से नए नोटिफिकेशन समेत अन्य स्तरों पर परेशानी होगी।
कपिल सिब्बल ने कहा- पहले ही दी जा चुकी है आयु सीमा में छूट
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई से जुड़े याचिकाकर्ता सतना के आदित्य नारायण पांडेय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मनीष सिंह ने दलील दी कि UPSC द्वारा पूर्व में भी समय-समय पर विभिन्न परीक्षाओं के अभ्यर्थियों को आयु सीमा में छूट की राहत दी जा चुकी है। लिहाजा, इस बार हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश का पालन सुनिश्चित करने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। ऐसा इसलिए भी क्योंकि अंतत: यह अंतरिम राहत याचिका के अंतिम निर्णय के साथ बाध्यकारी होगी। हाईकोर्ट ने इस तर्क से सहमत होकर साफ कर दिया कि पूर्व अंतरिम आदेश में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा।
लिहाजा, UPSC अभ्यर्थियों को पांच वर्ष की आयु सीमा छूट देकर परीक्षा में सम्मलित होने दे। फार्म भरने की अंतिम तिथि मंगलवार, 18 फरवरी होने के कारण समय खराब न किया जाए। यदि यूपीएससी इतना जोर दे रहा है तो हाई कोर्ट इस मामले की अंतिम सुनवाई 24 फरवरी को निर्धारित करता है। इस प्रक्रिया में अंतिम स्तर की बहस को गति देकर अंतिम निर्णय पर पहुंचा जाएगा।
क्या है मामला ?
हाईकोर्ट ने अपने पूर्व अंतरिम आदेश में UPSC को निर्देश दिए थे कि याचिकाकर्ता और अन्य समान प्रकृति के अभ्यर्थियों के आवेदन स्वीकार करें। कोर्ट ने यह शर्त भी लगा दी थी कि बिना अनुमति पांच वर्ष की आयु सीमा का लाभ पाने वाले इन अभ्यर्थियों के रिजल्ट घोषित न किए जाएं। याचिकाकर्ता सतना के आदित्य नारायण पांडेय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मनीष सिंह ने VC के जरिए पक्ष रखा था।
EWS भी आरक्षित श्रेणी, इसलिए छूट मिले
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि अन्य सभी आरक्षित वर्ग SC, ST और OBC को आयु सीमा में छूट दी जाती है। EWS भी आरक्षित श्रेणी है, इसलिए उन्हें भी लाभ दिया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए भी क्योंकि कुछ दिन पहले माध्यमिक और प्राथमिक शिक्षक चयन परीक्षा 2024 में EWS अभ्यर्थियों को आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट का लाभ देने के निर्देश दिए थे।
979 पदों के लिए होनी है परीक्षा
संघ लोक सेवा आयोग ने 979 पदों के लिए 25 मई 2025 को प्रारंभिक और 22 अगस्त 2025 को मुख्य परीक्षा आयोजित की है। आयोग ने 22 जनवरी को परीक्षा कार्यक्रम घोषित किया है। इसी दिन से फॉर्म भरे जा रहे हैं, जो 18 फरवरी तक जमा किए जा सकेंगे। एप्लीकेशन फार्म में त्रुटि होने पर अभ्यर्थी 19 से 25 फरवरी तक संशोधन कर सकेंगे। उस प्रकरण रीवा के पुष्पेंद्र द्विवेदी और अन्य की ओर से दायर किया गया है। उनकी ओर से अधिवक्ता धीरज तिवारी और ईशान सोनी ने पक्ष रखा।
याचिका में ये दावा
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि शिक्षक चयन परीक्षा की रूल बुक की कंडिका 7.1 और 7.2 में EWS को आरक्षित वर्ग माना गया था, लेकिन कंडिका 6.2 में जहां अन्य आरक्षित वर्गों (SC, ST, OBC) को आयु सीमा में छूट दी गई थी, वहीं EWS को छूट से बाहर रखा गया था। इस पर भर्ती नियम की संवैधानिकता को चुनौती देकर यह याचिका दायर की गई। याचिका में दावा किया गया है कि EWS वर्ग को आयु सीमा में छूट न देना भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 समानता का अधिकार और अनुच्छेद-16 सार्वजनिक रोजगार में अवसर की समानता का उल्लंघन है।
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