MP High Court: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की फुल बेंच ने एक अहम फैसले में कहा है कि तहसीलदार केवल इस आधार पर नामांतरण के आवेदन को निरस्त नहीं कर सकता कि यह वसीयत पर आधारित है। तहसीलदार को निर्विवाद रूप से वसीयत के आधार पर नामांतरण का अधिकार है।
विवाद पर 2 जजों के अल-अलग मत
इस विवाद को लेकर 2 न्यायाधीशों ने अलग-अलग मत व्यक्त किए थे, जिस पर इसके निराकरण के लिए फुल बेंच का गठन किया गया। सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत, जस्टिस एसए धर्माधिकारी और जस्टिस विवेक जैन की फुल बेंच ने फैसला सुनाया।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने क्या कहा ?
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यदि वसीयतकर्ता के किसी कानूनी उत्तराधिकारी या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा वसीयत निष्पादित करने की प्रामाणिकता से संबंधित कोई विवाद नहीं उठाया जाता है, तो ऐसे मामलों में तहसीलदार को नामांतरण करने का अधिकार है। फुल बेंच ने कहा कि तहसीलदार निजी पक्षों के बीच मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता की धारा 109 और 110 के अंतर्गत नामांतरण के मामलों में न्यायिक या अर्ध-न्यायिक कार्य नहीं करता है, बल्कि केवल प्रशासनिक कार्य करता है। इसलिए वह नामांतरण के आवेदनों पर निर्णय लेने के उद्देश्य से कोई साक्ष्य लेने के लिए अधिकृत नहीं है।
फुल बेंच को रेफर किया गया था केस
नर्मदापुरम के आनंद चौधरी, कटनी के विजय यादव सहित 5 लोगों ने याचिकाएं दायर की थीं। इस मामले में पूर्व में एक न्यायाधीश ने कहा था कि वसीयत के आधार पर कृषि भूमि का नामांतरण नहीं किया जा सकता, जबकि दूसरे न्यायाधीश ने कहा था कि तहसीलदार को इसका अधिकार है। विरोधाभासी फैसले के चलते यह मामला फुल कोर्ट को रेफर किया गया।
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वसीयत के आधार पर नामांतरण आवेदन स्वीकार कर सकता है तहसीलदार
केस की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट बेंच ने कहा कि तहसीलदार वसीयत के आधार पर नामांतरण के लिए आवेदन स्वीकार कर सकता है, लेकिन नियमानुसार मृतक के कानूनी उत्तराधिकारियों के बारे में पूछताछ करना और उन्हें नोटिस देना उसके लिए अनिवार्य होगा।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा- समयमान वेतनमान का लाभ देने में सरकार मनमानी कर रही, 50 हजार की कॉस्ट लगाई
MP High Court: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले में कहा कि समयमान वेतनमान का लाभ देने में सरकार मनमानी कर रही है। सरकार के इस रवैये पर असंतोष जताते हुए हाईकोर्ट ने 50 हजार रुपए की कॉस्ट लगाई। साथ ही याचिकाकर्ता को उच्चतम वेतनमान का लाभ और एरियर्स का 2 महीने के भीतर भुगतान करने निर्देश भी दिए। जस्टिस विवेक जैन की एकलपीठ ने इसके लिए 2 महीने की मोहलत दी है। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें…