हाइलाइट्स
- एमपी हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सुनाया अहम फैसला
- हाईकोर्ट ने कहा-अभियुक्त को भी सारे साक्ष्य जानने का हक
- डीजीपी को हफ्तेभर में सभी अफसरों को आदेश जारी करने के निर्देश
MP High Court News: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन ने एक अहम आदेश में कहा है कि जांच अधिकारी केस डायरी और आरोप पत्र दाखिल करते समय दोषपूर्ण और दोषमुक्ति के सभी दस्तावेज पेश करें। हाईकोर्ट ने कहा, केस डायरी और आरोप पत्र में केवल अभियुक्त के खिलाफ साक्ष्य ही नहीं, बल्कि वे सभी दस्तावेज और गवाहियां भी शामिल की जाएं, जो उसे निर्दोष साबित कर सकती हैं। केस का विचारण प्रारंभ होने के पूर्व अभियुक्त को जांच के दौरान एकत्र की गई सभी सामग्री की प्रतियां उपलब्ध कराई जाएं।
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के नियम का दिया हवाला
अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश के अनुसरण में मध्यप्रदेश नियम और आदेश (आपराधिक) में निम्नलिखित संशोधन किए गए हैं। मध्यप्रदेश नियम और आदेश (आपराधिक) के तहत नियम 117-ए को पूरी तरह लागू करने के निर्देश दिए हैं।
इस नियम के अनुसार अभियुक्त को मुकदमे की शुरुआत से पहले ही जांच अधिकारी द्वारा जब्त किए गए सभी दस्तावेज, भौतिक वस्तुओं और गवाहों के बयान की सूची दी जानी चाहिए। इस सूची में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए कि कौन-कौन से दस्तावेज और बयान अभियोजन पक्ष के लिए उपयोगी हैं। कोई साक्ष्य अभियुक्त के बचाव में है, तो उसे भी केस डायरी और चार्जशीट में शामिल किया जाएगा और अभियुक्त को इसकी कॉपी दी जाएगी।
‘आरोपी को निर्दोष करने वाले साक्ष्य नजरअंदाज कर दिए जाते हैं’
याचिका में कहा गया था कि केस डायरी और चार्जशीट में केवल अभियोजन पक्ष (Prosecutors) के साक्ष्य रखे जाते हैं। आरोपी को निर्दोष साबित करने वाली सामग्री को नजरअंदाज कर दिया जाता है। जो न्यायिक प्रक्रिया के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
हाईकोर्ट ने कहा-केस डायरी और आरोप पत्रको संतुलित रखें
याचिका का निराकरण करते हुए युगलपीठ ने मध्यप्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए कि बीएनएसएस की धारा 193 के तहत केस डायरी और आरोप पत्र को संतुलित रखें। जिससे अभियुक्त के खिलाफ और उसके पक्ष में मौजूद सभी साक्ष्य पारदर्शिता के साथ प्रस्तुत किए जा सकें। इस आदेश का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित किया जाए और मुकदमे की शुरुआत से पहले अभियुक्त (Accused) को सभी प्रासंगिक दस्तावेज उपलब्ध जाएं।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा
युगलपीठ ने कहा, न्यायिक प्रक्रिया का आधार निष्पक्षता और पारदर्शिता होती है। अगर किसी व्यक्ति पर कोई आरोप लगाया जाता है, तो उसे यह जानने का पूरा अधिकार है कि जांच के दौरान कौन-कौन से साक्ष्य एकत्र किए गए हैं, चाहे वे उसके खिलाफ या पक्ष में है। आरोपी को बचाव का पूरा अवसर मिलना चाहिए और अभियोजन पक्ष द्वारा किसी भी तरह की जानकारी छिपाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जानी चाहिए। युगलपीठ ने पुलिस महानिदेशक को निर्देशित किया है कि एक सप्ताह में सभी फील्ड अधिकारियों को आवश्यक आदेश जारी करें। याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता वकील ने अपना पक्ष खुद रखा।