हाइलाइट्स
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हाईकोर्ट ने देवी अहिल्या हॉस्पिटल के पक्ष में सुनाया फैसला
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इंदौर कलेक्टर के आदेश को इंदौर हाई कोर्ट ने किया निरस्त
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एकतरफा कार्रवाई को लेकर प्रशासन को लगाई फटकार
MP High Court: इंदौर के चर्चित देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. MP High Court की इंदौर पीठ से हॉस्पिटल के पक्ष में फैसला आया है. वहीं कोर्ट ने प्रशासन पर झूठी साजिश के तहत संस्था को बदनाम करने की कोशिश को बेनकाब कर. इंदौर कलेक्टर के आदेश को निरस्त कर दिया. इस मामले में इंदौर प्रशासन की भी बड़ी लापरवाही सामने आई है.
प्रशासन ने मनमाने ढंग से की कार्रवाई
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान दो टूक टिप्पणी करते हुए कहा कि अस्पताल के विरुद्ध प्रशासन ने मनमाने ढंग से कार्रवाई की है. जो गलत है ये न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है.
संस्थान के डायरेक्टर अजय हार्डिया ने बताया कि देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर बीते 5 सालोंं से कैंसर मरीजों का इलाज करते आ रहा है.
राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक इसकी पहचान है. ऐसे में गलत जानकारी के साथ हमें बदनाम करने की कोशिश की गई है. हम ऐसे लोगों पर मानहानि का केस करेंगे.
ये है पूरा मामला
दरअसल देवी अहिल्या हॉस्पिटल के निदेशक अजय हार्डिया के खिलाफ इंदौर कलेक्टर ने जांच बिठाई थी. और इलेक्ट्रो होम्योपैथी से मरीजों के इलाज करने को लेकर उनपर FIR दर्ज की गई थी.
इसमें कई धाराओं में उनके खिलाफ FIR दर्ज की गईं थी. इसी के साथ हॉस्पिटल संचालित करने पर रोक लगाने की भी बात कही गई थी.
कोर्ट ने कलेक्टर का आदेश किया निरस्त
राज्य सरकार के आदेश के हवाले जिसमें कहा गया है कि मध्य प्रदेश नर्सिंग होम एक्ट 1973 की धारा में इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सकों को पंजीयन की आवश्यकता नहीं है. इलेक्ट्रो होम्योपैथी के बारे में प्रशासनिक स्तर पर यह जानकारी होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने कलेक्टर को गलत जानकारी के साथ रिपोर्ट दी.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि कलेक्टर ने बिना किसी पूर्व सूचना के एक तरफा कार्रवाई क्यों की है. इस पर प्रशासन पक्ष ने एक सूचना पत्र पेश किया जिसमें हॉस्पिटल के फर्जी सील और हस्ताक्षर थे. कोर्ट ने इसे मानने से इंकार कर दिया. इसके बाद कोर्ट ने हॉस्पिटल को पहले की तरह संचालित करने के निर्देश दे दिए.