MP Guest Teacher Protest: गांधी जयंती पर भोपाल में होने वाले सत्याग्रह आंदोलन को लेकर अतिथि शिक्षक संगठन फिर एक हो गए हैं। 10 सितंबर को हुए महाआंदोलन के बाद तात्कालिक समस्याओं पर आंदोलन खत्म करने की बात पर इन संगठनों में बिखराव हो गया था, लेकिन 30 सितंबर को सभी संगठनों ने 2 अक्टूबर को होने वाले आंदोलन को लेकर अपनी सहमति दे दी है।
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जीतू पटवारी ने भी दिया क्लीयर मैसेज
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने भी अतिथियों के मुद्दे को लेकर क्लीयर मैसेज दे दिया है। जीतू पटवारी ने कहा है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस का हर एक कार्यकर्ता अतिथियों के साथ है और हम मिलकर इस मुहीम को अंजाम तक पहुंचाएंगे।
अतिथि शिक्षक द्वारा 29 सितंबर को शिवराज सिंह चौहान से प्रश्न पूछे जाने वाले एक वीडियो को एक्स पर पोस्ट करते हुए जीतू पटवारी ने लिखा कि मैं मध्यप्रदेश के अतिथि शिक्षकों से कहना चाहता हूं शिवराज सिंह चौहान अकेले नहीं हैं।
बीजेपी के नेताओं, विधायकों और सांसदों से भी यही सवाल पूछना चाहिए। जो जहां मिले, वहीं रोककर पूछें, नहीं सुने तो पोस्टकार्ड लिखें, ईमेल करें।
इस बार आर या पार की लड़ाई
भैरुंदा के अतिथि शिक्षक राहुल व्यास ने 29 सितंबर को जिस बेबाकी से शिवराज सिंह चौहान से महापंचायत की घोषणा पूरी होगी या नहीं का सवाल किया, उसने अतिथि शिक्षकों के सोशल मीडिया ग्रुप में मानो एक नई ऊर्जा का संचार कर दिया हो।
अतिथि अब आर या पार की लड़ाई के मूड में है। इस बार ये तय है कि आंदोलन (MP Guest Teacher Protest) तात्कालिक समस्या पर नहीं बल्कि महापंचायत की घोषणाओं को लेकर ही होगा।
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सरकार के सामने बड़ी चुनौती
10 सितंबर को महाआंदोलन के बाद जिन तात्कालिक समस्याओं को खत्म करने का आश्वासन दिया गया था, वे अब तक बरकरार हैं। वहीं इस संबंध में अब तक कोई आदेश भी नहीं निकला। जिससे अतिथियों का भरोसा टूटा है।
अब आंदोलन महापंचायत की घोषणाओं पर ही है। जिसमें विभागीय परीक्षा लेकर नियमितीकरण, 12 माह और 62 वर्ष की आयु तक सेवाकाल जैसे बड़े विषय हैं।
11 सितंबर को तात्कालिक समस्याओं के निराकरण का आश्वासन देकर विभाग ने जिन अतिथियों को वापस लौटाया अब उनकी मांगे सरकार के सामने बड़ी चुनौती खड़ी करने वाली हैं।
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भोपाल के बाहर ही रोके जा सकते हैं अतिथि
अतिथि के होने वाले आंदोलन को लेकर इंटेलीजेंस अलर्ट मोड पर है। अतिथि शिक्षकों का नेतृत्व करने वाले संगठनों के पदाधिकारियों के फोन घनघनाने लगे हैं।
भोपाल में यदि अतिथि 2 अक्टूबर को बड़ा आंदोलन करते हैं तो इस बार उन्हें मनाकर वापस भेजना थोड़ा मुश्किल होगा। यही कारण है कि जिन बसों से अतिथि भोपाल पहुंचने वाले हैं, उन्हें शहर की सीमा से बाहर ही रोका जा सकता है।