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MP का पहला डिजिटल रिकॉर्ड रूम: जबलपुर कलेक्ट्रेट में बनकर तैयार, एक क्लिक पर मिलेंगे जमीनों के 100 साल पुराने दस्तावेज

MP first digital record room jabalpur: मध्यप्रदेश का पहला डिजिटल रिकॉर्ड रूम जबलपुर कलेक्ट्रेट में बना है। करीब डेढ़ करोड़ रुपये खर्च करके 100 साल पुराने जमीनों के दस्तावेजों को स्कैन करके रखा गया है।

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Rahul Garhwal
MP first digital record room jabalpur Collectorate cm mohan yadav

हाइलाइट्स

  • मध्यप्रदेश का पहला डिजिटल रिकॉर्ड रूम
  • जबलपुर कलेक्ट्रेट में बना डिजिटल रिकॉर्ड रूम
  • एक क्लिक पर मिलेंगे 100 साल पुराने डॉक्यूमेंट्स
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MP first digital record room jabalpur: मध्यप्रदेश के जबलपुर में जमीन के 100 साल पुराने दस्तावेज भी आसानी से मिलेंगे। जबलपुर कलेक्ट्रेट में मध्यप्रदेश का पहला डिजिटल रिकॉर्ड रूम बनकर तैयार है। एक क्लिक पर डॉक्यूमेंट आपके सामने होंगे। जमीनों के दस्तावेज स्कैन करके डिजिटल तो किए ही गए हैं, उन्हें प्लास्टिक के डिब्बों में संभालकर रिकॉर्ड रूम में रखा गया है।

सीएम मोहन यादव ने किया डिजिटल रिकॉर्ड रूम का लोकार्पण

[caption id="attachment_807397" align="alignnone" width="1098"]digital record room jabalpur Collectorate डिजिटल रिकॉर्ड रूम का लोकार्पण करते हुए सीएम मोहन यादव[/caption]

https://twitter.com/DrMohanYadav51/status/1917991581560299889

जबलपुर में जमीन से जुड़े कागज करीब 48 लाख

जबलपुर में 1909-10 से लेकर आज तक का राजस्व रिकॉर्ड उपलब्ध है। 116 साल में जमीन के कागजों की संख्या करीब 48 लाख हो गई है। इनमें से 14 लाख डॉक्यूमेंट्स को स्कैन करके डिजिटल फॉर्मेट में तैयार कर लिया है।

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तहसील और नाम बताने की जरूरत

पहले जमीन के रिकार्ड तलाशने में कर्मचारियों की जरूरत होती थी। अब MP का पहला राजस्व रिकार्ड रूम पूरी तरह से डिजिटल हो गया है। तहसील और नाम बताने पर एक क्लिक से राजस्व रिकॉर्ड की जानकारी आपको मिल जाएगी।

प्लास्टिक के डिब्बों में सुरक्षित डॉक्यूमेंट

[caption id="attachment_807253" align="alignnone" width="572"]digital record room jabalpur रिकॉर्ड रूम में सुरक्षित रखे जमीनों के डॉक्यूमेंट्स[/caption]

राजस्व मामले और पुराने दस्तावेजों को व्यवस्थित तरीके से प्लास्टिक बैग में डालकर प्लास्टिक के बॉक्स में रखा गया है। हर प्लास्टिक बॉक्स में तहसील के हिसाब से कलर कोडिंग है। मौजा वार, वर्ष वार, मद वार केस के डिटेल स्टिकर लगाए हैं। हर रैक की शेल्फ को एक यूनिक नंबर दिया गया है।

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ऑनलाइन एप्लीकेशन पर अपलोड रिकॉर्ड

डिजिटल रिकॉर्ड रूम की सारी जानकारी ऑनलाइन एप्लिकेशन तैयार करके उस पर अपलोड की गई है। आवेदक घर बैठे मोबाइल ऐप से रिकॉर्ड प्राप्त कर सकता है। जबलपुर के कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने रिकॉर्ड से जुड़े डॉक्यूमेंट्स तलाश करने का सरल तरीका निकाला है। प्लास्टिक के डिब्बों में रिकॉर्ड को कई सालों तक सुरक्षित रख सकते हैं। रिकार्ड रूम को बैंक लॉकर की तरह बनाया है। किस तहसील और किस नाम का रिकॉर्ड कंप्यूटर के जरिए एक क्लिक पर आसानी से पता चल जाएगा।

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