जबलपुर। MP Election 2023: मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सूबे में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गईं। जबलपुर जिले में भी चुनावों को लेकर पार्टियों और नेताओं की तैयारियां जोरो पर हैं।
जबलपुर जिले में 8 विधानसभा क्षेत्र हैं। जिसमें पश्चिम विधानसभा क्षेत्र इस बार सबसे हाई प्रोफाइल सीट बन चुकी है, क्योंकि यहां से प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री कांग्रेस विधायक और सांसद राकेश सिंह के बीच मुकाबला है।
कांग्रेस ने की सेंधमारी
बता दें कि ये सीट कभी बीजेपी का गढ़ हुआ करती थी, लेकिन पिछले दो विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने बीजेपी के इस किले में सेंध लगा दी है।
जबलपुर जिले की इस अनारक्षित सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी-कांग्रेस के बीच ही रहा है। इस साल होने वाले चुनाव में भी यहां इन्हीं दोनों दलों के उम्मीदवारों में घमासान होना तय है।
हैट्रिक लगाने की जुगत में हैं कांग्रेस
चुनाव को देखते हुए इस सीट पर तमाम सियासी दल, मौजूदा विधायक और विपक्ष के उम्मीदवार जातिगत समीकरणों के बूते जीत का गणित समझने में जुट गए हैं।
इस बेहद हाई प्रोफाइल सीट से फिलहाल कमलनाथ सरकार में वित्त मंत्री रहे तरुण भनोट विधायक हैं। इस बार वो हैट्रिक लगाने की जुगत में है।
मां नर्मदा और गोंडवाना काल में बना मदन महल किला जबलपुर के पश्चिम विधानसभा क्षेत्र को देश भर में अलग पहचान दिलाता है।
ब्राह्मण और सिख है निर्णायक
कुदरती तौर पर धनी होने के अलावा ये इलाका सामाजिक विविधता से भरा हुआ है। जितना वैभवशाली इस क्षेत्र का इतिहास रहा है, उतनी ही दिलचस्प यहां की सियासत है।
10 साल पहले तक बीजेपी का गढ़ रही इस सीट पर फिलहाल कांग्रेस का कब्जा है। यहां ब्राह्मण समेत सिख समुदाय से जुड़े वोटर्स निर्णायक भूमिका में रहते हैं।
जबलपुर पश्चिम सीट के सियासी इतिहास पर नजर डालें तों 1998, 2003 और 2008 में बीजेपी के हरेंद्रजीत सिंह बब्बू लगातार यहां से विधायक चुने गए थे। लेकिन 2013 के बाद से यह सीट कांग्रेस के खाते में आ गई।
कांग्रेस के तरुण भनोत ने हरेंद्रजीत सिंह बब्बू को शिकस्त देकर बीजेपी के इस किले में सेंध लगा दी।
आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी
अब यह सीट जबलपुर की हाई प्रोफाइल सीट है, तो आरोप प्रत्यारोप भी जम कर लग रहे हैं। बीजेपी प्रत्याशी के लिए यहाँ काम नहीं करना और मेरा विषय नहीं है जैसे आरोप लग रहे हैं। उस पर प्रत्यशी राकेश सिंह का कहना है, आरोप लगा रहे है तो सिद्ध करें या प्रमाण दें।
कितने हैं वोटर?
वोटर्स के लिहाज से जबलपुर पश्चिम विधानसभा जिले की सबसे बड़ी विधानसभा सीट है। यहां कुल 2 लाख 18 हजार 903 मतदाता हैं, जिनमें 1लाख 11 हजार 672 पुरुष और 1 लाख 7 हजार 220 महिला वोटर्स के साथ-साथ 11 अन्य वोटर्स हैं।
ये हैं जातिगत समीकरण
जबलपुर जिले की पश्चिम विधानसभा सीट के जातिगत समीकरण की बात की जाए, तो यहां अनुसूचित जाति के 13 फीसदी ,अनुसूचित जनजाति वर्ग के सबसे कम 4 फीसदी, अन्य पिछड़ा वर्ग के 23 फीसदी मतदाता और अल्पसंख्यक वर्ग के 15 फीसदी मतदाता हैं। वहीं यहां सामान्य वर्ग के सबसे अधिक 45 फीसदी मतदाता हैं।
ऐसा रहा चुनावी इतिहास
वहीं 2008 से लेकर 2018 तक के तीन विधानसभा चुनाव परिणामों पर नजर डालें, तो 2018 में कांग्रेस के तरुण भनोत को 18,683 मतों से जीत मिली थी।
वहीं 2013 के विधानसभा चुनाव में हरेंद्र जीत सिंह बब्बू को कड़ी टक्कर देते हुए तरुण भनोत ने 923 वोटों से जीत हासिल की थी।
2008 के विधानसभा चुनाव में तरुण भनोत को बतौर कांग्रेस उम्मीदवार हार का सामना करना पड़ा था। उन्हें बीजेपी के हरेंद्र जीत बब्बू ने 8901 वोटों से हराया था।
दोनों पार्टी लगा रही दाव
इसी साल होने वाले चुनाव के मद्देनजर पश्चिम विधानसभा सीट काफी अहम है। कांग्रेस इसे अपनी मजबूत सीट मानती है, तो बीजेपी फिर अपने गढ़ में काबिज होना चाह रही है।
जबलपुर जिले की इस विधानसभा से मां नर्मदा होकर गुजरती हैं। स्थानीय मुद्दों में नर्मदा पाथ-वे समेत फ्लाईओवर का निर्माण लंबे समय से यहां सुर्खियों में रहा है।
कांग्रेस शासन के समय बतौर वित्त मंत्री और विधायक तरुण भनोत ने साबरमती की तर्ज पर नर्मदा रिवर फ्रंट की बड़ी घोषणा की थी, जिसे बीजेपी की सरकार आने के बाद नर्मदा पाथ-वे या कॉरिडोर के रूप में नई योजना का नाम दिया गया।
अब बीजेपी अपने इस प्रोजेक्ट को भुनाने की कोशिश में है। हालांकि, नर्मदा में मिलने वाले गंदे नाले को लेकर भी यहां हर बार सियासत होती है।
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