MP Doctors Protest: मध्यप्रदेश के सरकारी डॉक्टर्स अपनी लंबित मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। भोपाल के अलग-अलग अस्पतालों में डॉक्टर्स ने सांकेतिक रूप से अमानक दवाइयों की होली जलाकर विरोध जताया। सरकार ने अब डॉक्टर्स की मांगों और समस्याओं की सुनवाई के लिए एक हाई लेवल कमेटी बना दी है। कमेटी मांगों और समस्याओं पर विचार करेगी और उसके बाद समाधान किया जाएगा।
हाई लेवल कमेटी
मध्यप्रदेश सरकार की बनाई 16 सदस्यीय हाई लेवल कमेटी में लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव अध्यक्ष होंगे। चिकित्सा शिक्षा के संचालक संयोजक होंगे। वहीं चिकित्सक महासंघ के मुख्य संयोजक डॉ. राकेश मालवीय और संयोजक डॉ. माधव हासानी समेत कई अन्य डॉक्टर्स और जूनियर डॉक्टर्स कमेटी में सदस्य बनाए गए हैं। ये कमेटी डॉक्टर्स की मांगों और समस्याओं को सुनेगी और विचार करके रिपोर्ट सरकार को देगी।
मौजूद दवाओं की पोटेंसी कम
शुक्रवार को भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने अमानक दवाईयों की सांकेतिक होली जलाई। इस दौरान चिकित्सा महासंघ के संयोजक डॉ राकेश मालवीय ने कहा कि अमानक हम उन दवाइयों को मानते हैं, जिनमें मौजूद दवा की पोटेंसी कम होती है। मान लीजिए कि हमें पैरासिटामोल 500 मिलीग्राम चाहिए, लेकिन यदि उसमें केवल 300 मिलीग्राम ही हो, तो ऐसी दवा का मरीज को कोई लाभ नहीं मिलेगा। ऐसी दवाइयों को अमानक कहा जाता है।
प्रदेश के सरकारी अस्पतालों उपयोग हो रही अमानक दवाएं
डॉ. मालवीय ने बताया कि हाल ही में, पिछले साल सितंबर-अक्टूबर में हजारों जीवनरक्षक दवाइयां और मल्टीविटामिन तक अमानक पाई गईं। ये दवाइयां मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में उपयोग की जा रही थीं, जहां लाखों लोग इलाज करवाने आते हैं। उन्होने कहा कि हमने इस मुद्दे को बहुत प्रमुखता से उठाया, लेकिन इस गंभीर अपराध पर आवश्यक आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के बजाय केवल कुछ दवाइयों को कुछ समय के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया।
क्यों नहीं लिया एक्शन
डॉ. राकेश मालवीय ने बताया कि भारत की सर्वश्रेष्ठ प्रयोगशाला में इन दवाइयों की जांच की गई, जहां से उन्हें अमानक घोषित किया गया। जिन-जिन स्थानों पर ये दवाइयां पाई गईं वहां इनकी आपूर्ति रोक दी गई है। लेकिन हमारा सवाल यह है कि ये अमानक दवाइयां सरकारी तंत्र और सरकारी अस्पतालों में कैसे पहुंचीं। यदि ये दवाइयां आ भी गईं, तो इन पर उचित कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
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डॉक्टर्स की प्रमुख मांगें
1- मंत्रिपरिषद की 4 अक्टूबर की बैठक के निर्णयों को तत्काल लागू किया जाए।
2- नीतिगत, तकनीकी और चिकित्सकीय विषयों के निर्धारण के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की जाए, जिसमें महासंघ के पदाधिकारी व विभागीय अधिकारी शामिल हों।
3- चिकित्सा शिक्षकों को सातवें वेतनमान का वास्तविक लाभ और मूल वेतन का पुनर्निर्धारण दिया जाए।
4-समयमान और चयन वेतनमान के आदेश एक माह में लागू किए जाएं।
5- स्वीकृत वेतनमान संबंधी आदेशों को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए।
6- लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग में प्रशासनिक हस्तक्षेप समाप्त किया जाए।
7- प्रशासनिक पदों पर वरिष्ठता के आधार पर तकनीकी विशेषज्ञ चिकित्सकों और चिकित्सा शिक्षकों की नियुक्ति हो।
8- चिकित्सकों और जूनियर डॉक्टरों को कार्यस्थल पर सुरक्षा व अनुकूल वातावरण दिया जाए।
9- चिकित्सकों की मूलभूत समस्याओं का समयबद्ध समाधान किया जाए।
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