MP Dinosaur Eggs : मध्यप्रदेश के धार जिले में विशालकाय जीवों और करोड़ों साल पहले की वनस्पति के जीवाश्म होने का खुलासा हुआ है। यहां आज भी डायनासोर के अंडे बिखरे पड़े हैं। हाल ही में देश के जाने-माने वैज्ञानिकों ने इलाके पर शोध कर एक रिपोर्ट तैयार की है जो चौकादेने वाली है।
रिपोर्ट के अनुसार कालखंड में पृथ्वी पर और उसके नीचे क्या कुछ हो रहा था उसके सुबूत यहाँ एक बड़े इलाक़े में बिखरे पड़े हैं, यह वही समय है जब धरती पर डायनासोर घूमा करते थे। वैज्ञानिक का मानना है कि मध्यप्रदेश के धार में डायनासोर की प्रजातियाँ अलग-अलग समय में पैदा हुईं और समाप्त हो गईं। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि यहां डायनासोर ही नहीं बल्कि उनसे भी बड़े और खतरनाक टाइटनोसोरस के भी इस इलाक़े में मौजूद रहे है।
आज भी मिलते है डायनासोर के अंड़े
धार के बाग के इलाक़े में सबसे ज्यादा जीवाश्म आज भी मिलते है। धार के आस पास के गांव वालों को कई बार डायनासोर के अंड़े मिल चुके है। हांलाकि ये अंड़े जीवीत नहीं होते है ये पत्थर के अंड़े होते है। इतना ही नहीं इलाके में कई बार डायनासोर के दांत के अंश भी मिल चुके है। गावों के लोगों का कहना है कि उन्हें गोलाकार बड़े पत्थर हमेशा मिलते रहते हे। गांव के बच्चे खेलते खेलते बड़े गोलाकार पत्थर उठाकर ले आया करते है और उनसे खेलते रहते है।
अंड़ों की होती है पूजा
हैरानी की बात यह है कि इलाक़े के रहने वाले ग्रामीण इन गोलाकार पत्थरों की पूजा करते है। डायनासोर के अंडों की पूजा की परम्परा आज भी धार ज़िले के ग्रामीण इलाकों में होती आ रही है। इतना ही नहीं कई लोग तो इसे शिवलिंग समझ कर पूजा करते है। ग्रामीणों का कहना है कि इनकी पूजा हमारे बाप-दादा कई ज़माने से करते आ रहे हैं। ग्रामीण इसे गुल दगड़ा बोलते हैं। गांव के लोगों का कहना है कि हमारे बाप दादाओं का मनना था कि इन गोल पत्थरों यानि शिवलिंग को खेत की मेड़ पर रख कर उनकी पूजा करने से भुट्टे की फसल आती है।