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देश में सूर्योदय होते ही सबसे पहले इस मंदिर पर पड़ती है सूर्य किरण: यहां यज्ञ में सूर्यदेव ने स्वयं लिया था हिस्सा

MP Datia Unao Bhramanya Dev Temple Story; मकर सक्रांति के पर्व पर सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। जिसे सक्रांति कहा जाता है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को शुभ और पवित्र माना जाता है

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Manya Jain
देश में सूर्योदय होते ही सबसे पहले इस मंदिर पर पड़ती है सूर्य किरण: यहां यज्ञ में सूर्यदेव ने स्वयं लिया था हिस्सा

Datia Surya Mandir

Datia Surya Mandir: मकर सक्रांति के पर्व पर सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। जिसे 'मकर' सक्रांति कहा जाता है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को शुभ और पवित्र माना जाता है।

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भारत में ऐसे कई मंदिर है जो अपनी अनोखी विशेषताओं और रहस्यों के लिए प्रसिद्द हैं। ऐसा ही एक अद्भुत सूर्य मंदिर मध्यप्रदेश के दतिया जिले से 17 किलोमीटर दूर उनाव में स्थित है। इसे "बह्यन्य देव मंदिर" के नाम से जाना जाता है। इस प्राचीन मंदिर का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व इसे बेहद ख़ास बनाता है।

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कहा जाता है कि सतयुग में राजा मरुत ने यहां एक महायज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें कई देवी-देवताओं ने हिस्सा लिया। भगवान सूर्य ने यज्ञ में अपनी उपस्थिति को लेकर असमर्थता जताई, तब राजा ने उनकी मूर्ति की स्थापना की। माना जाता है कि भगवान सूर्य उस मूर्ति में प्रकट होकर यज्ञ में सम्मिलित हुए।

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इस मंदिर का निर्माण परमार वंश के राजा उदयादित्य ने 1059 से 1080 ईस्वी के बीच करवाया था। मंदिर की सबसे विशेष बात यह है कि सुबह की पहली किरण सीधे गर्भगृह में स्थित शिवलिंग पर पड़ती है, जिसे "सूर्य किरणाभिषेक" कहा जाता है।

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लोगों की मान्यता है कि पिछले 50 वर्षों में इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं द्वारा इतनी बड़ी मात्रा में घी चढ़ाया गया है कि इसे संग्रहित करने के लिए नौ कुओं का निर्माण कराया गया। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में घी चढ़ाने की यह परंपरा करीब 400 साल पहले शुरू हुई थी।

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भगवान सूर्य देव की विधिपूर्वक पूजा करने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से इस मंदिर में आते हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसकी स्थापत्य कला और विशेषताएं इसे दर्शनीय भी बनाती हैं।

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मकर संक्रांति, वसंत पंचमी, रंग पंचमी और डोल ग्यारस जैसे विशेष अवसरों पर यहां घी का चढ़ावा अत्यधिक बढ़ जाता है। इन त्योहारों के दौरान भक्तजन हर बार 10 क्विंटल से अधिक शुद्ध घी चढ़ाते हैं।

यह भी मान्यता है कि घी चढ़ाने में कोई भी गड़बड़ी करने पर व्यक्ति को शाप मिल सकता है और उसे कुष्ठ या चर्म रोग जैसी गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इस वजह से यहां चढ़ाए जाने वाले घी की शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है, और इसमें किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं होती।

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