हाइलाइट्स
- एमपी लोकसभा सीटों के लिए कांग्रेस के बाकी 18 नाम फाइनल
- कांग्रेस नामों की लिस्ट 21 मार्च की रात या 22 मार्च को होगी जारी
- दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में जीतू पटवारी हुए शामिल
MP Congress Candidate Final: कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए बाकी 18 प्रत्याशियों के नाम फाइनल कर दिए हैं।
नई दिल्ली में गुरुवार, 21 मार्च को हुई केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में पार्टी ने बड़े नेताओं के साथ युवा चेहरों को भी मैदान में उतारने का निर्णय लिया है।
इंदौर से अक्षय कांति और भोपाल से अरुण श्रीवास्तव का टिकट पक्का
कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पार्टी (MP Congress Candidate Final) ने राजगढ़ से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, गुना लोकसभा सीट से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव और झाबुआ-रतलाम लोकसभा सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को चुनाव लड़ाने का फैसला किया है।
इसी क्रम में इंदौर से कांग्रेस नेता अक्षय कांति बम और भोपाल से अरुण श्रीवास्तव को मैदान में उतारा जाएगा।
पटवारी और उमंग नहीं लड़ेंगे चुनाव
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता उमंग सिंघार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे।
नई दिल्ली में चुनाव समिति (MP Congress Candidate Final) की बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने बताया कि पार्टी ने जीत की संभावना वाले उम्मीदवारों के नाम तय कर दिए हैं।
प्रदेश की बाकी 18 लोकसभा सीट के लिए पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों की लिस्ट 21 मार्च की रात या फिर 22 मार्च को जारी कर दी जाएगी।
गुना से दिग्विजय के भाई लक्ष्मण सिंह रह चुके सांसद
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस (MP Congress Candidate Final) ने राजगढ़ लोकसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को चुनाव लड़ाने का फैसला किया है।
बता दें कि दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह राजगढ़ लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। इस इलाके में दिग्विजय सिंह और उनके परिवार की मजबूत पकड़ मानी जाती है।
स्थानीय वोटर्स उनसे और उनके परिवार से भावनात्मक रूप से भी जुड़े हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी ने राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र से वर्तमान सांसद रोडमल नागर को दोबारा चुनाव मैदान में उतारा है।
यदि यहां से दिग्विजय सिंह लोकसभा चुनाव लड़ते हैं तो यहां कांग्रेस, भाजपा प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दे सकती है। (MP Congress Candidate Final)
गुना में सिंधिया को मिलेगी कड़ी टक्कर
इसके अलावा यदि कांग्रेस गुना लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने, यदि प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव को टिकट देती है, तो यहां भी कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है।
इसकी सबसे बड़ी वजह है गुना-शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र में यादव समाज के मतदाताओं की बड़ी और प्रभावी संख्या है।
इसी के चलते पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ( तब कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उतरे थे ) बीजेपी के केपी यादव से हार चुके हैं। केपी यादव मौजूदा सांसद हैं।
रतलाम-झाबुआ सीट से भूरिया होंगे मैदान में
कांग्रेस राजगढ़ और गुना लोकसभा सीट के अलावा रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट से भी बीजेपी को कड़ी चुनौती देने की तैयारी में है।
इस रणनीति के तहत पार्टी यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री और कद्दावर आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया को टिकट देने जा रही है।
हालांकि, भूरिया पिछले लोकसभा चुनाव में यहां से बीजेपी के वर्तमान सांसद जीएस डामोर से चुनाव हार गए थे। इस बार इस लोकसभा सीट से बीजेपी ने भी जीएस डामोर का टिकट काट दिया है।
उनकी जगह प्रदेश सरकार के वन मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता चौहान को चुनाव मैदान में उतारा है।
भोपाल से अरुण श्रीवास्तव कांग्रेस के उम्मीदवार!
कांग्रेस को भोपाल सीट पर टिकट के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। हालांकि, अब राजधानी से कांग्रेस अरुण श्रीवास्तव को टिकट देने जा रही है।
अरुण पेशे से अधिवक्ता हैं और कांग्रेस के विभिन्न पदों पर रह चुके हैं। वर्तमान में अरुण जिला कांग्रेस के अध्यक्ष हैं।
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अरुण को टिकट देने के पीछे यह रणनीति
अरुण श्रीवास्तव को टिकट देने के पीछे कांग्रेस का कायस्थ वोटों को साधने की रणनीति हो सकती है।
भोपाल लोकसभा सीट पर कायस्थ वोटर 1.50 लाख से अधिक हैं। साथ ही अरुण की आर्थिक स्थिति भी मजबूत है।
कांग्रेस भोपाल सीट पर ग्रामीण क्षेत्र के वोटरों को साधने की रणनीति बना रही है। अरुण की मां विमला श्रीवास्तव जिला पंचायत की अध्यक्ष रह चुकी हैं।
ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र में अरुण श्रीवास्तव परिवार का अच्छा-खासा संपर्क है। यही कारण है कि अरुण श्रीवास्तव टिकट की दौड़ में सबसे आगे बताए जा रहे हैं।
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आलोक के सामने अरुण ही क्यों?
बीजेपी से आलोक शर्मा को टिकट मिल चुकी है। भोपाल सीट पर ब्राह्मण वोट करीब ढ़ाई लाख से अधिक बताए जाते हैं।
ऐसे में कांग्रेस कायस्थ वोट बैंक को अपनी ओर करने की रणनीति पर काम कर रही है। भोपाल में कायस्थ वोटर डेढ़ लाख से अधिक हैं।