MP News: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक महिला शिक्षक को तीन बच्चों की मां होना बहुत भारी पड़ गया। तीन बच्चों की मां होने पर शासकीय शिक्षक रंजीता साहू को नौकरी से हटा दिया गया है। महिला शिक्षक शासकीय स्कूल धमौरा में अध्यापक के पद पर पदस्थ थीं।
सागर संयुक्त संचालक ने निकाला बर्खास्तगी का आदेश
जानकारी के मुताबिक शिक्षक रंजीता साहू के तीन संतान होने के बाद यह विभागीय कार्रवाई की गई है। मध्यप्रदेश शासन ने 2001 के बाद तीन संतान होने पर शासकीय शिक्षक की सेवा समाप्ति के नियम लागू किया था। जांच के बाद सागर के संयुक्त संचालक शिक्षा विभाग ने शिक्षक रंजीता साहू का बर्खास्तगी का आदेश जारी किया।
क्या है सरकारी नियम
राज्य सरकार के नियमों के अनुसार कोई भी सरकारी सेवक जिसकी तीसरा संतान 26 जनवरी 2021 के बाद जन्मी है, वे सरकारी नौकरी के लिए अपात्र घोषित किए जाएंगे। यदि इस तारीख के बाद तीसरी संतान जन्म लेती है तो सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य हो जाएंगे। इसी नियम के तहत रंजीता साहू की नौकरी गई है।
दिग्विजय सरकार में बना था नियम, बीजेपी सरकार में हो रही कार्रवाई

सरकारी सेवक की तीसरी संताना होने पर अयोग्य घोषित किए जाने का नियम 2021 में कांग्रेस शासनकाल अर्थात दिग्विजय सिंह सरकार में बना था। तब से लेकर अब तक कई सरकारी कर्मचारियों की नौकरियां जा चुकी हैं। हालांकि, अब मध्यप्रदेश में 20 साल से अधिक समय से बीजेपी की सरकार है, लेकिन उसने इस नियम में किसी तरह का संशोधन नहीं किया है। यह सब तक हो रहा है, जबकि बीजेपी सनातन धर्म के समर्थन का पुरजोर डंका बजाती है। अब सवाल खड़े हो रहे हैं कि जब बीजेपी शासित मध्यप्रदेश सरकार आखिर इसमें संशोधन करने का प्रयास क्यों नहीं कर रही है।
यहां बता दें, सनातन धर्म के प्रचारक संत अक्सर मंचों से तीन और चार बच्चे पैदा करने की लगातार अपील कर रहे हैं।
भिंड में भी सीएम राइज स्कूल के टीचर की नौकरी जा चुकी
9 महीने पहले भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था। जिसमें भिंड जिले के सीएम राइज स्कूल में अंग्रेजी विषय के शिक्षक गणेश प्रसाद शर्मा की नियुक्ति हुई थी। जब सरकार को पता चला कि उनकी तीसरी संतान भी है, तो उनकी नियुक्ति निरस्त कर दी गई।
गणेश प्रसाद शर्मा की भर्ती माध्यमिक शिक्षक वर्ग-2 के लिए हुई थी। नियुक्ति के बाद उनके खिलाफ शिकायत हुई, तो जांच में पाया गया कि 26 जनवरी 2001 के बाद उनकी तीसरी संतान भी है। जांच में यह भी पता चला कि नियुक्ति के दौरान शपथ-पत्र में गणेश प्रसाद शर्मा ने बच्चों की सही जानकारी छुपाई थी।
पहले भी सामने आए अनेक मामले
प्रदेश में जून 2023 में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था। जिसमें रहमत बानो मंसूरी को तीसरी संतान होने पर 7 जून 2023 को पद से हटा दिया था। उन्हें हटाने के पीछे मध्यप्रदेश सिविल सेवा 1961 नियम छह का उल्लंघन होना पाया गया था। रहमत बानो की शिकायत मध्यप्रदेश शिक्षक कांग्रेस ने 2020 में की थी।
इसके बाद रहमत बानो मंसूरी हाईकोर्ट पहुंची। उन्होंने अपने ब्लॉक के 34 शिक्षकों की सूची भी लगाई, जिनके 3 या उससे अधिक बच्चे हैं। वह भी इस नियम के तहत आते हैं। यह मामला भी स्कूल शिक्षा विभाग का है, लेकिन अन्य विभागों के अनेक कर्मचारी और अधिकारी भी इस नियम की हद में आते हैं। देखना होगा कि उनके खिलाफ शासन क्या कार्रवाई करता है।
इस विभाग में एक हजार से ज्यादा तीन संतानों वाले कर्मचारी
बताया जा रहा है कि रहमत बानो प्रकरण के बाद स्कूल शिक्षा विभाग में ही एक हजार से ज्यादा मामले ऐसे हैं जिसमें शिक्षकों एवं कर्मचारियों के तीन या चार संतानें हैं। ऐसे मामलों को लेकर लगातार शिकायतें कई विभागों में लंबित हैं।
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विधानसभा भी पहुंचा मामला, तर्क भी रोचक
एक साल पहले मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में 955 शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिनके तीन या तीन से अधिक बच्चे हैं। इस कार्रवाई के बाद विभाग में हड़कंप मच गया था। यह मामला सुर्खियों में आ गया था, जब विधानसभा में तीन या तीन से अधिक संतान वाले कर्मचारियों के बारे में प्रश्न पूछा गया था। इन सभी से जवाब मांगा गया था। इनमें से 156 शिक्षकों ने जवाब दिया था, इनमें से कई कर्मचारियों ने नौकरी बचाने के लिए तीसरी संतान को गोद देने जैसे दावे भी किए थे। किसी ने लिखा था कि ऑपरेशन फेल हो गया था।
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