भोपाल/नई दिल्ली। MP Cheetah News : मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़े गए चीते बार-बार जंगल से बाहर निकल रहे हैं। ऐसे में चीतनों सुरक्षा की चिंता लगी हुई। इस मामले में पर्यावरण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि चीते अपने पर्यावास की तलाश कर रहे हैं और यह एक बहुत अच्छा संकेत है। चिंता की कोई बात नहीं है। बात अधिकारी ने चीतों के भटक कर कुनो के जंगल से बाहर चले जाने के विषय पर कही है।
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चीतों का इस तरह से विचरण करना स्वाभाविक
वन विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक एसपी यादव ने बताया कि चीतों का इस तरह से घूमना-फिरना उनका प्राकृतिक स्वभाव है और इस बारे में चिंता करने की कोई बात नहीं है। प्रोजेक्ट टाइगर के प्रमुख यादव ने कहा है कि चार चीतों को पूरी तरह से खुला छोड़ दिया गया है। वे जंगल में मुक्त रूप से विचरण कर रहे हैं। उनका इसे तरह से विचरण करना स्वाभाविक है। हम खुश हैं कि चीतें विचरण कर रहे हैं और इलाके का मुआयना कर रहे हैं तथा उसी आधार पर वे अपने लिए उपयुक्त पर्यावास चुनेंगे।
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चीते अन्य इलाकों का भी मुआयना कर रहे हैं
यह बहुत अच्छा संकेत है कि वे (चीते) अन्य इलाकों का भी मुआयना कर रहे हैं। यह उनका प्राकृतिक स्वाभाव है और चिंता करने की कोई बात नहीं है। लेकिन मैं आपको बता दूं कि कुनो में छोड़े गए हर चीते पर हम चौबीसों घंटे नजर रखे हुए हैं। सरकार ने स्थानीय लोगों को चीतों के बारे में बताने, जागरूक करने और भविष्य में किसी प्रकार के संघर्ष को टालने के लिए चीता मित्र नियुक्त किए हैं।
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मध्य प्रदेश के वन अधिकारियों ने 51 गांवों के करीब 400 चीता मित्रों को प्रशिक्षण दिया है। प्रशिक्षण पाने वालों में स्कूली शिक्षक, ग्राम प्रधान और पटवारी शामिल हैं। यदि भेड़-बकरियों आदि जैसे छोटे जानवरों के साथ कोई संघर्ष होता है तो उसके लिए हमारी मुआवजा योजना तैयार है। उन्हें (इन जानवरों के मालिकों को) समुचित मुआवजा दिया जाएगा।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छोड़ा था चीतों को
बता दें कि नामीबिया से लाए गऐ आठ चीतों – पांच मादा और तीन नर को 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में इस उद्यान में उनके बाड़े में छोड़ा गया था। भारत में अंतिम चीते की मौत वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य के कोरिया जिले में 1947 में हुई थी और जमीन पर सबसे तेज दौड़ने वाले इस वन्य जीव को 1952 में देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
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