MP CAG Report: मध्यप्रदेश की कैग रिपोर्ट (MP CAG Report) में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। मध्यप्रदेश में लाइट एंड साउंड शो घाटे में चले। उन्हें खराब तरीके से चलाया गया। वहीं राजधानी भोपाल में होटल पलाश में होने वाले गजल कार्यक्रमों में फिजूलखर्ची हुई। भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक की साल 2011-12 की रिपोर्ट को 12 जून 2018 को मध्यप्रदेश विधानसभा में पेश किया गया था।
घाटे में चले लाइट एंड साउंड शो
दिसंबर 2012 में लेखा परीक्षा की आपत्ति पर कैग समिति को सरकार ने जवाब दिया कि लाइट एंड साउंड शो पर्यटकों को अतिरिक्त आकर्षण प्रदान करने के लिए संचालित किए जा रहे थे। इन्हें न सिर्फ वित्तीय रूप से बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से भी देखा जाना चाहिए। बेहतर नियंत्रण के कारण अब ये शो लाभ कमाने लगे हैं।
कैग समिति ने नहीं माना सरकार का जवाब
कैग समिति ने मध्यप्रदेश सरकार के इस जवाब पर कहा कि सरकार का उत्तर मान्य नहीं है। ग्वालियर और खजुराहो में लाइट एंड साउंड देखने वालों की संख्या साल दर साल घटी है। इनका राजस्व टिकट दर बढ़ाने की वजह से बढ़ा है।
दर्शकों में क्यों आई कमी
पर्यटन विभाग ने 2015 में जानकारी दी कि पर्यटकों के अतिरिक्त आकर्षण और जन समुदाय को गौरवपूर्ण इतिहास से परिचित कराने के लिए खजुराहो, ओरछा और ग्वालियर में लाइट एंड साउंट शो शुरू किए गए हैं। वर्तमान में बेहतर नियंत्रण के कारण ये लाभ की स्थिति में हैं। स्थानीय दर्शकों के कारण दर्शकों की संख्या में कमी आई है। स्थानीय निवासी कार्यक्रमों को कई बार देख चुके हैं। इसलिए सिर्फ वे ही दर्शक होते हैं जो बाहर से आकर ठहरते हैं।
कैग समिति ने दिया सुझाव
कैग समिति ने प्रबंध संचालक से सुझाव मांगे तो कहा गया कि लाइट एंड साउंड सिस्टम में कुछ नए प्रयोग किए गए हैं। डिजिटल कंटेम इस्तेमाल किया गया है। ज्यादातर कंटेंट हिस्टोरिकल होते हैं, लेकिन इनका प्रेजेंटेशन बेहतर किया जा सकता है। कैग समिति ने सुझाव दिया कि बारिश में भी शो चले ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए। समिति ने दिव्यांग चेयर के साइन बोर्ड लगाने के भी निर्देश दिए। इसके बाद पर्यटन विभाग ने समिति को सभी सुझावों पर अमल की जानकारी दी।
घाटे में इंदौर और उज्जैन के लाइट एंड साउंड शो
विभागीय जानकारी से कैग समिति को पता चला कि इंदौर और उज्जैन में लाइट एंड साउंड शो घाटे में चल रहे हैं। समिति ने सुझाव दिया कि इन शो को सफल और लाभदायक बनाने की कोशिश की जाए। इससे पर्यटक इन्हें देखने के लिए उत्साहित हो। आगे जाकर ये लाभ में स्थिति में आ सकें।
होटल पलाश में गजल प्रोग्राम में फिजूलखर्ची
मई 2007 में कंपनी ने मेसर्स डीडी म्यूजिक अकादमी को बिना किसी कॉन्ट्रैक्ट के होटल पलाश में शाम के वक्त गजल कार्यक्रम करने के लिए एक साल के लिए रखा। 1400 रुपए दिन के हिसाब से पारिश्रमिक तय किया गया। ये नियुक्ति मई 2011 तक जारी रही और पारिश्रमिक बढ़ाकर 2 हजार रुपए कर दिया गया। 2007-8 से 2011-12 के बीच में अकादमी को 27 लाख 46 हजार का भुगतान किया गया।
म्यूजिक अकादमी पर मेहरबानी
कंपनी ने कोई कोटेशन आमंत्रित नहीं किए। एक ही पार्टी को 5 साल तक जारी रखा। मई 2011 में म्यूजिक अकादमी के पारिश्रमिक में 43 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी। पलाश होटल का बिजनेस सरकारी व्यवसाय पर ही निर्भर था। इस कार्यक्रम के जरिए रेस्टोरेंट की आय पर पड़ने वाले प्रभाव का आंकलन किए बिना ही म्यूजिक कंपनी का गजल प्रोग्राम जारी रखना सही नहीं था।
कैग समिति ने नहीं माना सरकार का जवाब
दिसंबर 2012 में सरकार ने जवाब दिया कि गजल कार्यक्रम प्रसिद्ध गजल गायक कर रहे थे। इसलिए समय की जरूरत के हिसाब से पारिश्रमिक तय किया गया था। म्यूजिक कंपनी ने विजिटर्स में आकर्षण पैदा किया, इसलिए पारिश्रमिक बढ़ाया गया। एक कलाकार का पारिश्रमिक तय नहीं किया जा सकता। कैग समिति ने सरकार का जवाब नहीं माना। क्योंकि कंपनी के प्रबंध संचालक ने म्यूजिक कंपनी से मोलभाव करके इसी दाम पर सेवाएं देने को कहा जिन दाम पर एक और कंपनी काम कर रही थी।
गजल कार्यक्रम को लेकर आपत्ति
गजल कार्यक्रम पर होने वाले खर्च के ऑडिट के बारे में पूछने पर प्रबंध संचालक ने बताया कि होटल पलाश में गजट कार्यक्रम में आपत्ति है। एजेंसी के रेट्स ज्यादा हैं। वो दूसरे से कम्पेरिबिल नहीं है। आर्टिस्ट को फीडबैक के आधार पर ही रखा जाएगा। जिन्हें गेस्ट पसंद करते हैं उन्हें बुलाया गया।
प्रबंधक ने नहीं की रेट्स कम करने की कोशिश
लेखा परीक्षा की आपत्ति थी कि प्रबंधक ने रेट्स कम करने की कोशिश नहीं की। जबकि एक दूसरी पार्टी उसी रेट पर काम कर रही है। रेट्स कम करने और अवधि बढ़ाने का कोई भी संतुष्टि लायक कारण नहीं दिया। 45 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। कैग समिति ने इस पर अप्रसन्नता जताई।
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लेखा परीक्षा की आपत्ति सही
कैग समिति इस तर्क से सहमत हुई कि कस्टमर फीडबैक के आधार पर आर्टिस्ट रखे जाते हैं। उन्हें टेंडर इंगेज नहीं किया जा सकता है। वहीं एक दूसरी बात ये भी है कि कम पारिश्रमिक पर दूसरी कंपनी सेवाएं दे रही थी। कैग समिति ने कहा कि गजय कार्यक्रम में पारिश्रमिक बढ़ाने के लिए जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाए। वहीं भविष्य में ऐसे मामले न हों।