MP Bus Operators Strike Postponed: मध्यप्रदेश के राजधानी भोपाल और नर्मदा पुरम संभाग के बस संचालकों की 27 और 28 जनवरी को होने वाली दो दिन की प्रस्तावित हड़ताल स्थगित कर दी गई है।
आपको बता दें ट्रांसपोर्ट कमिश्नर विवेक शर्मा से हुई संचालकों की बैठक के बाद ये निर्णय लिया गया है।
खड़ी होने लगी थी बसें
आपको बता दें इस हड़ताल को भोपाल, सीहोर, रायसेन, विदिशा, होशंगाबाद, हरदा, बैतूल, राजगढ़, शाजापुर, देवास, सागर जिलों से पूरी तरह समर्थन मिला था और 26 जनवरी की रात से ही बसें खड़ी होना शुरू हो गई थीं।
रविवार रात हुई थी बैठक
आपको बता दें रविवार 26 जनवरी की रात 9 बजे ट्रांसपोर्ट कमिश्नर शर्मा ने बस संचालकों को चर्चा के लिए बुलाया।
इसमें सहमति बनी, कि जिन संचालकों के दिसंबर 2024 तक स्थाई परमिट के आवेदन लंबित हैं। उन बस संचालकों को अस्थाई परमिट 1 फरवरी से जारी किए जाएंगे।
जनवरी माह का जो टैक्स जमा है, उसे फरवरी में एडजस्ट किया जाएगा।
उन्होंने भरोसा दिलाया, कि शासन स्तर पर जल्दी ही रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी का गठन किया जाएगा और सक्षम अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी।
शुक्रवार को जबलपुर हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली डबल बैंच ने भी 24 अक्टूबर को दिए गए आदेश पर रोक लगा दी है।
इसे अस्थाई परमिट जारी करने में कोई दिक्कत नहीं है।
बैठक में गोपाल पैगवार, रूपेंद्र सिंह सिद्दू, दीपेश विजयवर्गीय धर्मेंद्र उपाध्याय शिवराज सिंह शिव नागर, कृष्णा प्रजापति रमेश कटियार, सुरेश मेहता मंगल चौहान, अकील खान आदि उपस्थित थे।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद समस्या बढ़ी
बता दें 1 जनवरी को उच्च न्यायालय ने यात्री बसों को अस्थाई परमिट देने पर बैन लगा दिया था। अब जरूरत पर अस्थायी परमिट जारी किए जा रहे हैं। इसके बाज राजधानी में 250 और प्रदेश में चार हजार बसों का संचालन ठप हो गया।
कई लोग बेरोजगार हुए- बस ऑपरेटर
बस ऑपरेटरों ने कहा कि जब तक स्थायी परमिट जारी नहीं किए जाते, तब तक अस्थाई परमिट ही दिए जाएं। अस्थायी परमिट नहीं मिलने से चालक, परिचालक और हेल्पर की नौकरी चली गई है। बस ऑपरेटर प्रतिनिधि गोपाल पैगवार ने कहा, ‘जनवरी के लिए टैक्स डिपॉजिट कर दिया है, लेकिन हमें परमिट जारी नहीं किया गया।’
अस्थायी परमिट पर क्यों की गई सख्ती
ऑपरेटर्स ने परिवहन विभाग को अपनी परेशानी बता दी है। अब तक कोई समाधान नहीं निकला है। राज्य में कई सालों से अस्थाई परमिट के नाम पर धांधली चल रही थी। शासन द्वारा जारी किए गए निर्देश में लिखा गया कि मोटर यान अधिनियम की धारा 87 (1) सी के प्रावधानों के तहत विशेष परिस्थितियों के लिए अस्थायी परमिट जारी किए जाएंगे।
विभाग द्वारा परीक्षण के बिना ही अस्थायी परमिट जारी किए जा रहे थे। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने कहा कि अस्थायी परमिट देना नियम बन गया है। पूरे सिस्टम में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। यह परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव की जिम्मेदारी है कि सिस्टम में फैली मनमानी को दूर करें।
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