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9वीं में फेल हुए स्टूडेंट्स के लिए सुपर सेक्शन: MP के 2 लाख बच्चों को अलग से पढ़ाएंगे टीचर, 12वीं क्लास तक होगी ट्रैकिंग

MP Board: 9वीं में फेल हुए स्टूडेंट्स के लिए सुपर सेक्शन: MP के 2 लाख बच्चों को अलग से पढ़ाएंगे टीचर, 12वीं क्लास तक होगी ट्रैकिंग

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Preetam Manjhi
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MP Board: मध्य प्रदेश में 9वीं क्लास के रिजल्ट बिगड़ने के बाद मोहन सरकार ने सुपर सेक्शन बनाने की कवायद शुरू करने जा रही है। आपको बता दें कि इसके लिए प्रदेश के 2500 स्कूलों को चिन्हित किया है। ऐसे स्कूल जहां 30 से ज्यादा बच्चे फेल हुए हैं, वहीं स्कूलों के शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। ताकि वे इन बच्चों को बेहतर तरीके से पढ़ा सकें और उनके भविष्य को उज्जवल कर सकें।

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https://twitter.com/BansalNewsMPCG/status/1830129740738355393

करीब 2 लाख स्टूडेंट हुए हैं फेल

इस साल कक्षा 9वीं में करीब 2 लाख से ज्यादा बच्चे फेल हुए हैं। इन बच्चों के करियर की फिक्र करते हुए सरकार अब सरकार स्कूलों के टीचरों को प्रशिक्षण देगी, ताकि वे इन बच्चों का भविष्य को संभार सकें। ताकि आगे ऐसी स्थिति न बने और न ही बच्चे फेल हों।

सुपर सेक्शन की क्यों पड़ी जरूरत?

कक्षा 9वीं में फेल हुए बच्चों की संख्या को बढ़ती देख इसका सर्वे कराया गया, जिसमें पता चला कि प्राइमरी और मिडिल स्कूल में पढ़ाई के कमजोर होने और RTEके तहत फेल न करने के नियमों ने बच्चों को कमजोर बना दिया है।

सर्वे में पता चला कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों के 65 प्रतिशत बच्चों को तो हिंदी व्याकरण और अंग्रेजी ग्रामर की ही समझ नहीं है। इसके कारण बच्चों पर स्कूल में विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

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ड्रॉपआउट को रोकेगा सुपर सेक्शन

बता दें कि बनाए गए सुपर सेक्शन का उद्देश्य बच्चों का ड्रॉरआउट रोकना रहेगा। इसके लिए स्टूडेंट्स से सालाना 2500 रुपए एग्जाम फीस ली जाएगी।

योजना का फोकस बच्चों (MP Board) को हमेशा सपोर्ट करना है, ताकि वे 12वीं तक बिना किसी समस्या के पढ़ाई जारी रख सकें और पढ़ाई में अपनी मजबूती रख सकें।

ऐसे होगा सुपर सेक्शन से फायदा

बता दें कि सुपर सेक्शन में बच्चों को अलग से पढ़ाया जाएगा। इसके जरिए प्रिशक्षित बच्चों की नियमित मॉनीटरिंग की जाएगी। इसके साथ ही वीकली और मंथली टेस्ट भी लिए जाएंगे।

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माता-पिता से भी संपर्क कर बच्चों की प्रगति को सुनिश्चित किया जाएगा। ये सुपर सेक्शन कक्षा 9वीं से 12वीं तक जारी रहेगा। इससे बच्चों का ड्रॉपआउट रोका जा सकेगा।

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