World Heritage Sites MP: मध्यप्रदेश के छह ऐतिहासिक स्थलों को यूनेस्को के विश्व हेरिटेज सेंटर ने अपनी अस्थायी सूची में शामिल किया है। इस सूची के बाद मध्यप्रदेश में अब 11 विश्व धरोहर हैं (World Heritage Sites MP) जो यूनेस्को की सूची में शामिल हैं। इन धरोहरों का अपना इतिहास और अपनी संस्कृति है। ऐसे में जानते हैं क्यों है ये धरोहर खास, क्या है इनका इतिहास
कौन सी धरोहर हुई सुची में शामिल
यूनेस्को की अस्थायी सूची में ग्वालियर का किला, धमनार का ऐतिहासिक समूह, भोजपुर के भोजेश्वर महादेव मंदिर, चंबल घाटी के रॉक कला स्थल, बुरहानपुर का खूनी भंडारा और रामनगर मंडला का गोंड स्मारक शामिल किया गया है।
ग्वालियर का किला
ग्वालियर शहर के गोप पर्वत पर स्थित इस किले का निर्माण 9 वीं सदी में राजा मान सिंह तोमर ने कराया था, बताया जाता है कि इस किले की नींव राजा सूरज सेन कच्छवाहा ने रखी थी। ये किला आज भी अपनी खूबसूरती और स्थापत्य कला से आकर्षित करता है।
इस किले का भीतरी हिस्सा मध्यकालीन स्थापत्य के अद्भुत नमूने को प्रदर्शित करता है। 15 वीं सर्दी में बनाया गया गुजरी महल राजा मानसिंह और रानी मृगनयनी के प्रेम की कहानी बताता है। किले के एक हिस्से में संग्रहालय बनाया गया है, जहां कई दुर्लभ मूर्तियां रखी गई हैं।
धमनार का ऐतिहासिक समूह
मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में स्थित धर्मनार गांव में पत्थरों को काटकर बनाई गई कई गुफाएं हैं। इनमें बनाए गए आवास और उकेरी गई मूर्तियां 7 वीं सदी के प्रमाण प्रस्तुत करती हैं।
यहां पत्थरों को काटकर 51 गुफाएं, रास्ते, छोटे आवास और गौतम बुद्ध की मूर्ति सहित कई मूर्तियां बनाई गई हैं।
भोजेश्वर महादेव मंदिर
भोपाल से सटे रायसेन जिले के भोजपुर में भोजेश्वर महादेव मंदिर का विशालकाय शिवलिंग वास्तुकला का अद्भुत नमूना है।
इसे राजा भोज के समय में तैयार किया गया था। कहा जाता है कि यह शिवलिंग एक ही पत्थर से निर्मित है, जो विश्व में अपने तरह का इकलौता शिवलिंग है। इसका निर्माण परमार राजा भोज द्वारा 1010 ईसवी में बनाया गया है।
चंबल घाटी की रॉक कला
मध्य प्रदेश में कई स्थानों पर रॉक कलाएं मौजूद हैं, इसमें से एक स्थान चंबल घाटी भी है। यहां प्राकृतिक चट्टानों पर रॉक कलाएं पाई गई हैं, जो पुरातत्व में रूचि रखने वाले पर्यटकों को खूब लुभाती हैं।
खूनी भंडारा बुरहानपुर
बुरहानपुर का करीबन 407 साल पहले बने खूनी या कुंडी भंडारा अपने तरह का अनोखा वॉटर सिस्टम है। इसे उस दौरान में पानी सप्लाई के लिए बनाया गया था, जो आज भी लोगों को लिए उपयोगी बना हुआ है।
इसको 1615 में अब्दुर्रहीम खानखाना ने बनवाया था। इसके 108 कुंडों में आज भी हमेशा पानी का बहाव बना रहता है।
राम नगर, मंडला
मंडला जिले का रामनगर गोंड राजाओं का गढ़ हुआ करता था. सन् 1667 में गोंड राजा हृदय शाह ने नर्मदा नदी के किनारे मोती महल का निर्माण करवाया था। किवदंती है कि इसका निर्माण ढाई दिन में कराया गया था।
स्थाई सूची में कौन सी धरोहर
UNESCO की स्थाई सूची में मध्य प्रदेश की पांच विश्व धरोहर शामिल हैं।
खजुराहो स्मारक समूह
मध्यकालीन युग में चंदेल राजवंश ने खजुराहो के मंदिरों को बनवाया था। ये भारत की एक अत्यंत समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। 10वीं और 12वीं शताब्दी में बने मंदिर बीते युग के इतिहास, संस्कृति और सामाजिक विकास के कई पहलुओं को प्रदर्शित करते हैं।
सांची स्तूप
सांची के स्तूप विहार, मंदिर और स्तंभ (स्तंभ) भारत की प्राचीन कलाओं में से एक हैं। ये ऐसी स्वतंत्र वास्तुकला है जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 12 वीं शताब्दी के बीच के बौद्ध धर्म दर्शन को व्यापक दर्शाती हैं।
भीमबेटका रॉक शेल्टर्स
भीमबेटका (भीमबेटका) भारत के मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है। यह आदि-मानव द्वारा बनाये गए शैलचित्रों के लिए प्रसिद्ध है। इन चित्रों को पुरापाषाण काल से मध्य पाषाण काल के समय का माना जाता है। ये चित्र भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन के प्राचीनतम चिह्न हैं।
भेड़ाघाट
भेड़ाघाट, जिसे अक्सर भारत का ग्रांड कैन्यन कहा जाता है, मध्य प्रदेश (भारत) के जबलपुर जिले में एक शहर है, जो जबलपुर से लगभग 25 किलोमीटर दूर है।
कोई भी व्यक्ति घाट से होकर बहने वाली सुंदर नर्मदा नदी के दोनों किनारों पर संगमरमर की चट्टानों का अनुभव कर सकता है।
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित है, ये क्षेत्र जैव विविधता से हरा भरा वन क्षेत्र है। इसकी विशेषता को ध्यान में रखते हुए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को मध्य प्रदेश के प्रथम बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में वर्ष 1999 में घोषित किया गया था।