हाइलाइट्स
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एमपी के 73 में से 41 निगम मंडल निष्क्रिय
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ऑडिट रिपोर्ट में सामने आई जानकारी
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एमपी की बिजली कंपनियों ने किया भारी नुकसान
MP ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा: मध्यप्रदेश की ऑडिट रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। एमपी के 73 में से 41 निगम मंडल निष्क्रिय हैं। ये निगम मंडल 3 से 33 सालों तक निष्क्रिय रहे। सरकारी खजाने पर एमपी की बिजली कंपनियों ने भारी नुकसान किया है।
11 निगम मंडलों ने लाभ अर्जित किया
राज्य के 32 निगम मंडलों में से 2021-22 में 13 निगम मंडलों ने 1797.34 करोड़ के लाभ की तुलना में 11 निगम मंडलों ने 2022-23 में 522.22 करोड़ का लाभ अर्जित किया। इनमें एमपी वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक कॉर्पोरेशन ने 208.53 करोड़, एमपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड ने 141.66 करोड़ और एमपी राज्य वन विकास निगम लिमिटेड ने 59.49 करोड़ का लाभ अर्जित किया।
विद्युत वितरण कंपनियां घाटे में
राज्य के 12 निगम मंडलों में 1940.50 करोड़ की हानि हुई। इनमें मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र, पूर्व क्षेत्र और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड ने भारी नुकसान किया।
99% पंचायतों ने पोर्टल पर योजना नहीं की अपलोड
ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया कि प्रदेश की कुल 23377 ग्राम पंचायत, जनपद और जिला पंचायतों में से 99% यानी 23086 ने अपनी योजनाओं को पंचायत दर्पण पोर्टल पर अपलोड ही नहीं किया। फिर भी वर्ष 2022-23 के लिए बुनियादी सेवाओं के लिए 1884.44 करोड़ राशि खर्च की गई।
सीधे बिजली वितरण कंपनी को पैसे किए ट्रांसफर
पंचायतों द्वारा खर्च किए जाने वाले 1884.44 करोड़ में से 569.29 करोड़ का भुगतान राज्य स्तर से सीधे बिजली वितरण कंपनी को किया गया। ये नियमों का सीधा उल्लंघन था। अधिकारियों ने बिजली कंपनी को पैसा ट्रांसफर करने से पहले नियम पढ़े ही नहीं। इससे पंचायतों को अनुदान जारी करने में 569.29 करोड़ की कमी आई।
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ऑडिट रिपोर्ट का खराब बजट प्रबंधन की ओर इशारा
ऑडिट रिपोर्ट ने खराब बजट प्रबंधन की ओर इशारा किया है। 2011-12 से 2020-21 तक 1678 करोड़ की राशि खर्च की गई, जिसके लिए विधायी अनुमोदन नहीं किया गया। सामान्य शब्दों में कहें तो विधानसभा से इस खर्च को पास कराना बाकी है। बता दें कि सरकार को कोई भी राशि खर्च करने से पहले बजट में इसे पास कराना होता है। इससे अधिक राशि की जरूरत पड़ने पर सप्लीमेंट्री बजट लाकर इसे पास कराया जाता है।
ऑडिट रिपोर्ट में सुझाव
मध्यप्रदेश सरकार को राजस्व व्यय को पूरा करने और उधार के उपयोग से बचने के लिए राजस्व बढ़ाने के उपाय करने होंगे। बजट ऐसे तैयार किया जाए कि बजट अनुमानों और वास्तविक अंतर को कम किया जा सके।
सरकार को इकाइयों और निवेश और कर्जों को युक्तिसंगत बनाना चाहिए।
नुकसान उठा रहे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के कामों की समीक्षा की जानी चाहिए। इन्हें मुनाफे में लाने के लिए रणनीति बनाएं।
नया कर्ज लेने से पहले बची राशि का इस्तेमाल करने पर विचार करना चाहिए।