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अतिथि विद्वानों का भोपाल में स्मरण आंदोलन: सरकार को याद दिलाई महापंचायत की घोषणाएं, एक महीने बाद बड़े प्रदर्शन की तैयारी

MP Atithi Vidwan Protest: भोपाल नीलम पार्क में अतिथि विद्वानों ने महापंचायत की घोषणाओं की याद दिलाने एक दिन का स्मरण आंदोलन किया।

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Rahul Sharma
अतिथि विद्वानों का भोपाल में स्मरण आंदोलन: सरकार को याद दिलाई महापंचायत की घोषणाएं, एक महीने बाद बड़े प्रदर्शन की तैयारी

MP Atithi Vidwan Protest: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अतिथि के रूप में कार्य कर रहे विभिन्न गेस्ट फेकल्टी को रिझाने के लिये की गई महापंचायतें अब सरकार के लिये सिरदर्द बन रही हैं।

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महापंचायत की घोषणाएं अतिथि शिक्षकों के मामले में सरकार और विभाग के लिये परेशानी खड़ी कर रही हैं, वहीं अब अतिथि विद्वानों ने भी मोर्चा खोल दिया है।

16 अक्टूबर, मंगलवार को राजधानी भोपाल के नीलम पार्क में अतिथि विद्वानों ने सरकार को महापंचायत की घोषणाओं की याद दिलाने के लिये एक दिन का स्मरण आंदोलन किया।

अतिथि विद्वानों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार एक महीने के अंदर महापंचायत की घोषणाएं पूरी नहीं करती है तो अतिथि विद्वान (MP Atithi Vidwan Protest) बड़ा प्रदर्शन करेंगे।

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अतिथियों की तरह विद्वानों के लिये भी महापंचायत

सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले अतिथि शिक्षकों की तरह सरकारी कॉलेजों में पढ़ाने वाले अतिथि विद्वानों के लिए भी 11 सितंबर 2023 को सीएम हाउस में महापंचायत आयोजित की गई थी।

https://twitter.com/BansalNewsMPCG/status/1846482229523886141

इस महापंचायत में अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई घोषणाएं की।

अतिथि शिक्षकों की तरह से अतिथि विद्वानों के लिये भी की गई घोषणाएं जमीन पर नहीं उतर सकी। अतिथि विद्वान अब इन्हीं घोषणाओं को पूरी करने की मांग कर रहे हैं।

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9 हजार से अधिक पद खाली

सरकारी कॉलेजों में व्याख्याताओं के 9 हजार से अधिक पद खाली हैं। अतिथि विद्वानों ने मांग की है कि जिन रिक्त पदों पर उनकी नियुक्ति हो गई है सरकार कम से कम उन पदों पर नई भर्ती न करे, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके।

वहीं ट्रांसफर और भर्ती के कारण फॉलेन आउट हुए अतिथि विद्वानों (MP Atithi Vidwan) को भी नीति बनाकर वापस इस व्यवस्था में शामिल किया जाए।

महापंचायत की घोषणाएं और वर्तमान स्थिति

घोषणा एक:भर्ती परीक्षा में 10% तक अधिभार दिया जाएगा।

हकीकत: अतिथि विद्वानों को प्रतिवर्ष 4 एवं अधिकतम 20 अंक दिए जाते हैं, जिसे बढ़ाकर 10% तक अंक दिए जाने की व्यवस्था की बात कही गई थी, लेकिन इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।

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घोषणा दो:जो लंबे समय से काम कर रहे, उन्हें बाहर नहीं किया जाएगा।

हकीकत: इस घोषणा पर उच्च शिक्षा विभाग द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। अभी भी अतिथि विद्वानों की नौकरी पर हमेशा तलवार लटकी रहती है। जबकि बात फॉलेन आउट को इन करने तक की थी।

घोषणा तीन:सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा में 25 फीसदी रिजर्वेशन देंगे।

हकीकत: सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा में 25 फीसदी रिजर्वेशन की बात कही गई थी। 5 अक्टूबर को इस संबंध में आदेश भी विभाग ने निकाला, लेकिन ये एमपीपीएससी की भर्ती में लागू ही नहीं हुआ।

घोषणा चार:सरकारी कर्मचारी की तरह अवकाश की सुविधा मिलेगी।

हकीकत: केवल आकस्मिक अवकाश की सुविधा दी गयी। 13 सीएल और 3 एच्छिक अवकाश मिले, जबकि घोषणा की मूल भावना चिकित्सा अवकाश को शामिल करना था। इस पर कोई बात ही नहीं हुई।

घोषणा पांच:मानदेय के स्थान फीक्स वेतन 50 हजार रुपये तक मिलेगा।

हकीकत: अतिथि विद्वानों के लिए फीक्स वेतन 50 हजार रुपये करने की जगह प्रतिदिन 500 रुपये बढ़ाकर मानदेय 2000 रुपये कर दिया गया। इसमें भी अधिकतम सीमा 50 हजार कर दी।

घोषणा छह:सत्र में एक बार ट्रांसफर की सुविधा मिलेगी।

हकीकत: रीलोकेशन को लेकर हाल ही में कलेंडर जारी किया गया है। कुछ अतिथि विद्वानों ने इस पर आपत्ति उठाते हुए कहा है कि इससे उन्हें ज्यादा फायदा नहीं होने वाला है।

सीएम मोहन से अतिथि विद्वानों को उम्मीदें

महापंचायत की घोषणाएं जब हुई उस समय मोहन यादव प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री थे और अब प्रदेश के मुखिया यानी मुख्यमंत्री हैं। अतिथि विद्वानों ने कहा कि हमें सीएम मोहन यादव जी से काफी उम्मीदें हैं।

वे हमारा दर्द पूर्व विभागीय मंत्री होने के नाते भलिभांति समझते हैं। अब जब वे प्रदेश के मुखिया हैं तो उन्हें अतिथि विद्वानों के साथ खड़े रहकर अपनी समस्याओं का समाधान करना चाहिए।

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एक महीने बाद प्रदेश में होगा बड़ा प्रदर्शन

अतिथि विद्वानों ने सरकार को महापंचायत की घोषणा पूरी करने के लिये एक महीने का समय दिया है। अतिथि विद्वानों ने कहा कि यदि एक महीने के अंदर हमारी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो प्रदेशभर के अतिथि विद्वान बड़ा प्रदर्शन करेंगे।

इसे लेकर पहले कॉलेज स्तर पर ज्ञापन दिये जाएंगे। जिला मुख्यालयों पर रैली का आयोजन होगा और उसके बाद राजधानी भोपाल की सड़कों पर अतिथि विद्वान आंदोलन करेंगे।

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