MP Atishesh Shikshak: स्कूल शिक्षा विभाग का बड़ा कारनामा सामने आया है, जहां पर कम छात्रों की संख्या है, वहां शिक्षकों के पद खत्म करने की कोशिश की जा रही है। इससे शिक्षक संगठनों में गुस्सा है।
दरअसल, अतिशेष शिक्षकों को ऐसे स्कूलों में भेजने की कार्रवाई चल रही है, जहां पहले से ही खाली पद हैं। इस पोर्टल पर कुछ स्कूल ऐसे भी हैं, जहां खाली पदों को भरा बता दिया गया है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इन स्कूलों में कुछ क्लास या विषयों में छात्र संख्या कम है, वहां पदों को भरा बताकर पद ही खत्म कर दिये गए हैं।
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— Bansal News (@BansalNewsMPCG) September 3, 2024
खाली पदों को बताया भरा
आपको बता दें कि काउंसलिंग में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें पदों को खाली बताया गया और उन्हें बीच में ही खत्म कर दिया गया। यानि कि वे पद संबंधित स्कूल में हैं ही नहीं।
वहीं एक अतिशेष शिक्षक की मानें तो साल 2020 से स्कूल में पदस्थ हैं, लेकिन साल 2023 में एक अन्य शिक्षक को पदस्थ कर उन्हें अतिशेष मान लिया गया।
ये हवाला देकर किए 500 पद खत्म
– भोपाल के हमीदिया नंबर वन में पदस्थ एक शिक्षक जो कि लेक्चरर हैं, उन्हें उच्च पद प्रभार पर प्रिंसिपल हाई स्कूल बनाया गया। उनकी जगह खाली होने के बाद पद ही खत्म कर दिया गया। जबकि पोर्टल पर चेक किया तो वैकेंसी दिख रही थी।
– भूगोल और समाजशास्त्र में स्टूडेंट्स की संख्या कम थी, जिसकी वजह से कम बच्चों का हवाला देकर करीब 500 पदों को खत्म किया गया। ऐसी ही संस्कृत स्कूल में हुआ। प्रायमरी क्लास में 30 स्टूडेंट्स पर एक टीचर होना चाहिए।
– भोपाल के तारा सेवनिया स्कूल में संदीप कुमार दुबे को नियुक्त किया गया। वे कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों को पढ़ाते हैं। इस स्कूल में संस्कृत के छात्र भी पढ़ते हैं। जब उन्होंने चॉइस फिलिंग की थी तो उस समय इस स्कूल में खाली पद दर्शाया गया था। इसी आधार पर उनको पदस्थ किया गया। अब अतिशेष में दर्शा दिया गया। फिलहाल संदीप कुमार दुबे ने लिस्ट से नाम कटवाने के लिए आवेदन दिया है।
– लक्ष्मीगंज मंडल स्कूल में असमा जो कि भूगोल के पद पर पदस्थ हैं, लेकिन पोर्टल पर चेक करने पर इनका पद शून्य बता रहा है। इसी वजह से ये अतिशेष की लिस्ट में शामिल हो गईं। इन्होंने भी फिलहाल सुधार के लिए आवेदन दिया है।
MP में अतिशेष शिक्षक 10 हजार के पार
आपको बता दें कि प्रदेशभर में बाद में पदस्थ शिक्षकों की जगह पहले से पदस्थ टीचरों को अतिशेष मानने के करीब 1000 मामले सामने आए हैं।
विभाग के अधिकारियों की मानें तो पॉलिसी में भी यही है कि सीनियर को ही हटाया जाएगा। जूनियर को अतिशेष में नहीं भेजा जाएगा। ऐसे में संबंधित स्कूलों के सीनियर शिक्षक काफी गुस्सा हैं और इसका विरोध कर रहे हैं।
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