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क्या आप भी सोचते हैं कि एक और रील देखने के बाद काम शुरू करेंगे ?
सोशल मीडिया पर मोटिवेशनल रील्स की बाढ़ आ चुकी है। सुबह उठते ही लोग रील्स देखने लगते हैं और सोने से पहले भी वही करते हैं। खुद को प्रेरित करने के चक्कर में वे अनजाने में प्रेरणामद का शिकार हो जाते हैं।
प्रेरणामद क्या है ?
यह शब्द मैंने (डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी) गढ़ा है। यह दो शब्दों 'प्रेरणा' और 'मद' (नशा) से बना है। इसका अर्थ है - मोटिवेशनल रील्स और कंटेंट का ऐसा नशा, जो आपको प्रेरणा का झूठा अहसास देता है, लेकिन असल जिंदगी में कोई बदलाव नहीं लाता।
इसी अवधारणा को अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में पेश करने के लिए मैंने एक और शब्द गढ़ा - Motivetoxication। यह Motivation + Intoxication का मेल है और इसका मतलब भी वही है - मोटिवेशन का नशा।
इस लेख का उद्देश्य आपको यह समझाना है कि प्रेरणामद ( Motivetoxication) कैसे काम करते हैं, कैसे ये आपकी जिंदगी पर असर डालते हैं और इस जाल से बाहर कैसे निकला जा सकता है।
प्रेरणामद कैसे आपकी जिंदगी को चुपचाप बर्बाद कर रहा है ?
क्या आपने कभी महसूस किया है कि आप दिन के 2-3 घंटे सिर्फ रील्स देखने में बर्बाद कर देते हैं ? आप सोचते हैं, 'बस 5 मिनट और' और फिर देखते ही देखते 1-2 घंटे गुजर जाते हैं।
इस आदत का असर आपकी कार्य क्षमता, मानसिक शांति और फैसले लेने की क्षमता पर पड़ता है। जो समय आपको काम करने में लगाना चाहिए था, वह सिर्फ रील्स देखने में चला जाता है। आपको लगता है कि आपने बहुत कुछ सीख लिया है, जबकि असल में कुछ भी नहीं बदला।
कैसे पता करें कि आप प्रेरणामद के शिकार हो चुके हैं ?
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अगर आप नीचे दिए गए लक्षणों को महसूस कर रहे हैं, तो हो सकता है आप भी प्रेरणामद या Motivetoxication के शिकार हों।
समय की बर्बादी - आप सोचते हैं कि सिर्फ 5 मिनट देखूंगा, लेकिन 1-2 घंटे कैसे निकल गए, पता ही नहीं चलता।
काम टालना - हर बार काम करने से पहले 'थोड़ी प्रेरणा' लेने के लिए रील्स देखने लगते हैं।
फर्जी आत्मसंतोष - आपको लगता है कि आपने कुछ नया सीखा है, लेकिन असल में आपने कुछ नहीं किया।
तनाव और आत्म-संदेह - बार-बार मोटिवेशन के बावजूद, जब परिणाम नहीं मिलता, तो आप खुद को दोषी मानने लगते हैं।
कैसे फंस जाते हैं लोग प्रेरणामद के जाल में ?
यह प्रक्रिया बेहद साधारण है और बिना जाने ही आप इस चक्र में फंस जाते हैं।
मुश्किल काम टालना -जैसे पढ़ाई, ऑफिस का काम या कोई बड़ा प्रोजेक्ट।
प्रेरणा की तलाश - आप सोचते हैं, 'पहले थोड़ा मोटिवेशन ले लेता हूं'।
रील्स देखना शुरू करते हैं - आपको पहली रील में मजा आता है।
डोपामाइन रिलीज होता है - रील देखकर मस्तिष्क में 'डोपामाइन' रिलीज होता है, जो आपको ताजगी का अहसास कराता है।
एक और रील देखने की इच्छा होती है - आप दूसरी रील देखने लगते हैं।
टाइम की बर्बादी - 2-3 घंटे यूं ही गुजर जाते हैं और काम अधूरा रह जाता है।
यही है प्रेरणामद का चक्र, जिसमें लाखों लोग फंसे हुए हैं।
लेखक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी (साइकाइट्रिस्ट एंड साइकोलॉजिकल एनालिस्ट) महत्वपूर्ण समसामायिक विषयों पर मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से विचार प्रकट करते हैं।
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