सिंगल मदर होने के बावजूद निभाया मां—बाप दोनों का फर्ज

Mother’s Day 2021 Special : सिंगल मदर होने के बावजूद निभाया मां—बाप दोनों का फर्ज

yogita satankar

भोपाल। मां केवल एक शब्द  May 9 Mother’s Day Special नहीं बल्कि् वो अहसास जिसके लिए हर कोई तरसता है। singal madar hone ke baavajood nibhaaya maan—baap donon ka pharj वैसे तो मां के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त करने के लिए किसी खास दिन की जरूरत नहीं होती। एक बच्चे के लिए हर दिन मातृदिवस होता है। मां चाहे किसकी भी हो मां तो मां होती है। आइए हम भी आपको एक ऐसी मां के बारे में बताते हैं। जो एक तरफ तो अपराधियों की धरपकड़ कर उन्हें अपनी गलतियों का सबक सिखाती हैं। तो वहीं दूसरी ओर एक सिंगल मदर होते हुए अपने बेटे की पर​वरिश भी बखूबी कर रही हैं।

जी हां हम यहां बात कर रहे हैं भोपाल में क्राइम ब्रांच की थाना प्रभारी योगिता साटनकर की। जो पिछले 22 वर्षों से लगातार इस क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रही हैं। अपनी ड्यूटी के दौरान पॉजिटिव होने के बावजूद अपने आप को ठीक तो ​किया ही साथ ही बच्चे का भी पूरा ध्यान रखा और पुन: कर्तव्य निभाने निकल पड़ीं।

दिसंबर में हो गई थीं कोविड पॉजिटिव
क्राइम ब्रांंच थाना प्रभारी योगिता साटनकर ने बताया कि वे ड्यूटी के दौरान पिछले वर्ष  दिसंबर में पॉजिटिव हो गई थीं। उस समय घर पर भी आइसोलेशन में रह कर अपने आप को ठीक किया। बेटे को अपने से दूर रखते हुए उसका ख्याल रखा। 14 दिन बाद ठीक होने के उपरांत फिर काम पर लौट कर अपने कर्तव्य का निवार्हन किया। क्राइंम ब्रांच में होने के ​कारण अपराधियों की धरपकड़ हमेशा चलती है। इस समय जब कोरोना से संबंधित रेमेडिसिविर, ऑक्सीजन संटनटेटर आदि की कालाबाजारी चल रही है। इनसे संबंधित अपराधियों की धरपकड़ चालू है। पता नहीं कौन पॉजिटिव है। जहां यह आशंका भी हमेशा रहती है कि कौन पॉजिटिव है। इस जोखिम भरे काम के बीच उनका साहस जस का तस है। वो कहती हैं बेटे का साथ उनकी सबसे बड़ी ताकत है।

सिंगल मदर होने के बावजूद निभाया दोनों का फर्ज
योगिता सिंगल मदर है। 2008 में किसी कारण वश जीवनसाथी से अलग हो गईं। जिसके बाद होशंगाबाद में माता—पिता के घर बच्चे को छोड़कर भोपाल—होशंगाबाद अपडाउन करती थीं। ढाई साल के बेटे को लेकर भोपाल आ गईं। इतने छोटे बच्चे के लिए कोई हॉस्टल में लेने को तैयार नहीं था। एक तरफ फर्ज की जिम्मेदारी दूसरी ओर मां का फर्ज। दोनों की जिम्मेदारी निभाते हुए लगातार आगे बढ़ती रहीं। कई कठिनाइयों का सामना करके बच्चे को पाला। धीरे—धीरे सभी परिस्थितियों में सामंजस्य बनाकर आज इस मुकाम पर पहुंची हैं। अभी भी थाना पहुंचने के बाद घर पर बेटे की समय—समय पर जानकारी लेती रहती हैं।

घर के साथ थाने का भी मैनेजमेंट
योगिता साटनकर के अनुसार किसी भी नौकरी में टाइम मैनेजमेंट बहुत जरूरी होता है। इसी कारण घर और बाहर के कामों में सामंजस्य बैठाना आवश्यक होता है। जो वे बखूबी निभा रही हैं। करीब 90 लोगों के स्टाफ में आए दिन कोई न कोई पॉजिटिव निकलता है। जिसमें स्टॉफ में सामंजस्य बिठाते हुए काम करना पड़ता है। साथ ही इस बात का विशेष ध्यान रखना होता है कि वायरस को स्प्रेड होने से रोका जा सके। रिस्क के साथ काम करना जरूरी होता है। काम का प्रेशर होता है। कई बार राजनीतिक दबाव भी बनता है लेकिन ऐसी स्थिति में भी उनका मनोबल डगमगाता नहीं है। कार्य के प्रति उनकी निष्ठा बरकरार है। घर से बाहर जाते वक्त बेटे को भी मानसिक तौर पर मतबूत कर दिया है। मातृदिवस पर महिलाओें के लिए उनका यह संदेश है कि अगर व्यक्ति खुश रहेगा तो मुश्किलें अपने—आप कम हो जाती हैं।

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