Mothers Day: नीना ने किचन में सुना उसके सौतले मामा उसके पिताजी को बता रहे थे, “लड़का नीना के लिए बहुत अच्छा है, बैंक में ऑफिसर है, उम्र भी कुछ ज्यादा नहीं है, बस एक 3 साल की बेटी है, उसी को जन्म देते समय पहली पत्नी चल बसी। यदि आपको और नीना को पसंद हो तो बात चलाऊं।”
“हां पहले नीना से पूछ लें नहीं तो सब कहे सौतेली माँ ने कैसी जगह शादी कर दी। आप नीना से बात कर ले, जब तक मैं भैया के साथ बाजार होकर आती हूं। साथ में छोटू को भी ले जा रही हूं।” नीना की सौतेली मां बोली।
उनके जाने के बाद पिताजी ने नीना को बुलाया, नीना बोली “पिताजी मैंने सब सुन लिया है और इस शादी से मुझे कोई ऐतराज नहीं है।”
“बेटा मुझे बाकी सब तो ठीक लग रहा है पर उसकी एक बेटी भी है।” पिताजी बोले।
“और मैं उस बच्ची के कारण ही शादी के लिए तैयार हूं। मैं ये नहीं कहूंगी कि माँ ने मुझे दुख दिए हैं, पर उन्होंने मुझे माँ के प्यार का वो सुख भी नहीं दिया जो वो छोटू को देती हैं। बस एक कर्तव्य निभाती रहीं।” नीना बोली।
पिताजी ने कुछ कहना चाहा, लेकिन नीना ने कहा “पिताजी आप कुछ न सोचिए, बस ये कामना कीजिए कि मैं उस अनदेखी बच्ची को माँ के प्यार की सौगात देकर वो सुख दे पाऊं, जिसके लिए मैं सदा तरसती रही।”
पिताजी माँ के प्यार को तरसती अपनी बेटी को अवाक देखते रह गए।
( बरखा शुक्ला )