Morbi Bridge Accident : गुजरात में हुए मोरबी केबल ब्रिज हादसे ने देश ही नहीं दुनिया को स्तवः करके रख दिया है। हादसे में अबतक 143 लोगों की जल समाधि हो चुकी हैं। जबकि कई लोगों की खोज जारी है। मौत का तांडव इनता भयानक था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। मोरबी ब्रिज हादसे में एक नाम सबसे ज्यादा चर्चा में आ गया है, वो हैं ओरेवा कंपनी, यह वही कंपनी है जिसने शासन की मंजूरी के बिना ब्रिज लोगों के लिए खोल दिया था। कंपनी ने नए साल पर 26 अक्टूबर को वो मौत का फीता काटा था कि 143 लोगों की जल समाधि हो गई।
खबरों के अनुसार बताया जा रहा है कि ओरेवा नाम की कंपनी ने 26 अक्टूबर को ही ब्रिज का उद्घाटन करके टिकट बेचना शुरू कर दिया था। कंपनी ने प्रशासन से ब्रिज खोलने की अनुमति लेना जरूरी नहीं समझा ऐसे में कंपनी पर कई सवालिया निशान खड़े हो रहे है। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। जिसमें कंपनी से जुड़े लोग ब्रिज का फीता काटते दिखाई दे रहे है।
कंपनी पर लगे संगीन आरोप
मोबरी ब्रिज हादसे के बाद जिला प्रशासन और पालिका प्रशासन के बयान सामने आए है। बयानों को समझा जाए तो ओरेवा कंपनी ही इस हादसे की जिम्मेदार है। पालिका प्रशासन का आरोप है कि कंपनी ने पालिका से फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं लिए बगैर ब्रिज को कैसे खोल दिया। बता दें कि ओरेवा कंपनी के सर्वेसर्वा जयसुख भाई है। इस ब्रिज को ओरोवा कंपनी ने जिंदल ग्रुप की मदद से रेनोवेट किया था। इसके एवज में ओरेवा कंपनी ने जिंदल ग्रुप को आठ करोड़ रूपये दिए थे। बताया जा रहा है कि शुरूआती जांच में पाया गया है कि ओरेवा ट्रस्ट अगर नियमों का पालन करती तो यह हादसा नहीं होता। लेकिन कंपनी के लालच और जल्दबाजी में 143 लोगों को मौत की नींद सुला दिया।
कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज
मोरबी हादसे को लेकर कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। कंपनी के खिलाफ प्रशासन ने आईपीसी की 304, 308, 114 की धारा लगाई है। इस बात की जानकारी खुद राज्य के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने ट्वीट करे दी है। इसके अलावा हादेस की जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन किया है। आपको बता दें कि मोरबी के इतिहास में 43 साल बाद यह दूसरा बड़ा हादसा हुआ है। इससे पहले 11 अगस्त को 1979 में मच्छू नदी का डैम टूटने से करीब 1,800 लोगों की मौत हुई थी।