Advertisment

Mool Nakshatra: मूल नक्षत्र में जन्मे बच्चे होते हैं भाग्यशाली, ऐसा होता है इनका भविष्य

Mool Bakshatra में जन्मे बच्चे भाग्यशाली होते हैं। अश्लेषा नक्षत्र के जन्में बच्चों का भविष्य और व्यक्तित्व कैसा होता है जानते हैं।

author-image
Preeti Dwivedi
Grah Yog

Grah Yog

Mool Nakshatra: कई बार लोगों से कहते सुना होगा कि मूल नक्षत्र में जन्में कुछ अलग होते हैं। ऐसे में यदि आपके बच्चे का भी जन्म मूल नक्षत्र में हुआ है या होने वाला है तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किन नक्षत्रों में जन्म लेना शुभ होता है। साथ ही जानेंगे इनमें से अश्लेषा नक्षत्र (Ashlesha Nakshatra) में जन्में बच्चों की क्या खासियत होती है। इस नक्षत्र में जन्में बच्चों का कैरियर और भविष्य कैसा होता है।

Advertisment

कितने होते हैं नक्षत्र

वैसे तो हिंदू धर्म शास्त्रों में 27 नक्षत्र होते हैं। पर इनमें से कुछ नक्षत्रों में जन्म लेना शुभ माना जाता है। इनमें 6 नक्षत्र गण्डमूल नक्षत्र (Gandmool Nakshatra) कहलाते हैं। इन्हीं में से एक अश्लेषा नक्षत्र के बारे में जन्में बच्चों की खासियत के बारें में हम जानेंगे। में पैदा हुआ बच्चा हमेशा ही अशुभ नहीं माना जाता है । बता दें कि, कुल 27 नक्षत्र होते हैं इनमें से 6 नक्षत्र गण्डमूल नक्षत्र होते हैं। इन 6 नक्षत्रों में जन्में बच्चे को मूल (Mool Nakshatra) में जन्मा माना जाता है।

मूल में माना जाता है इन नक्षत्रों में पैदा हुआ बच्चा

  1. अश्विनी नक्षत्र
  2. आश्लेषा नक्षत्र
  3. मघा नक्षत्र
  4. ज्येष्ठा नक्षत्र
  5. मूल नक्षत्र
  6. रेवती नक्षत्र

अश्लेषा नक्षत्र के चरण का फल  (Ashlesha Nakshatra)

प्रथम चरण

अश्लेषा नक्षत्र (Ashlesha Nakshatra) का पहला चरण धनु नवांश में आता है। ये चरण बृहस्पति ग्रह द्वारा शासित होता है। यानि इस चरण में जन्म लेने वाले जातक देखभाल करने वाले और भावुक यानि इमोशनल होते हैं। ये लाइफ में अलग-अलग तरीके से धन प्राप्त करने की प्रवृत्ति रखते हैं।इनका कुछ समय दूसरों की भलाई करने में ही निकलता है।

Advertisment

द्वितीय चरण

अश्लेषा नक्षत्र का दूसरा चरण मकर नवांश में आता है। जिसका स्वामी शनि होता है। इस चरण की विशेषता होती है कि इसमें जन्में लोग चतुर और होशियार होते हैं। ये जातक अपने फायदे के लिए आपका इस्तेमाल कर सकते हैं।

तृतीय चरण

अश्लेषा नक्षत्र का तीसरा चरण कुंभ नवांश में आता है। दूसरे चरण की तरह ही तीसरे चरण के स्वामी शनि होते हैं। इस चरण में जन्में जातक स्वभाव से बहुत ही सीक्रेटिव यानि अपनी बातों को गुप्त रखने वाले होते हैं। स्वास्थ्य की बात करें तो अन्य लोगों की तुलना में इन्हें त्वचा रोग होने की आशंका ज्यादा रहती है।

चतुर्थ चरण

अश्लेषा नक्षत्र का चौथा चरण मीन नवांश में होने पर इसका स्वामी बृहस्पति होता है। इस चरण में जन्में जातक कुछ भी गलत होने की जिम्मेदारी स्वयं पर ले लेते हैं। हालांकि मां से इन्हें भरपूर प्यार मिलता है और धन की प्राप्ति भी होती है।

Advertisment

मूल नक्षत्र के उपाय

ज्योतिषाचार्यों की मानें तो जब मूल नक्षत्र (Mool Nakshatra) में बच्चे का जन्म होता है तो बच्चे के माता-पिता को 8 वर्ष तक ओम नम: शिवाय का जप भी हर रोज करना चाहिए। अगर बच्चे का स्वास्थ्य ज्यादा गंभीर है तो माता-पिता को पूर्णिमा को उपवास करना चाहिए।

राशि के अनुसार जानें नक्षत्र के उपाय

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार अगर बच्चे की राशि मेष और नक्षत्र अश्विनी है, तो बच्चे से हनुमान जी की पूजा कराएं। अगर बच्चे की राशि सिंह और नक्षत्र मघा है, तो बच्चे से सूर्य को जल अर्पित करवाएं। बच्चे की राशि धनु और नक्षत्र मूल है, तो गायत्री मंत्र की उपासना कराएं। यदि व्यक्ति की राशि कर्क और नक्षत्र आश्लेषा है, तो शिवजी की उपासना कराएं। वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र होने पर हनुमानजी और मीन राशि और रेवती नक्षत्र होने पर बच्चे से गणेशजी की उपासना करवानी चाहिए।

अश्लेषा नक्षत्र वालों की खासियत (Qualities of Ashlesha Nakshatra)

हर नक्षत्र का अपना महत्व होता है. उसका अपना एक गुण होता है। ऐसा ही एक नक्षत्र है अश्लेषा नक्षत्र। इस नक्षत्र को विष वाला नक्षत्र भी कहा जाता है। इस नक्षत्र में सभी ग्रहों में विष का कारक देखने को मिल सकता है। इस नक्षत्र का संबंध परिवर्तन से भी होता है। अश्लेषा नक्षत्र का स्वामी बुध (Budh Grah) होता है और इस नक्षत्र में जन्म लेने वालों पर बुध का प्रभाव देखने को मिलता है। यहां हम अश्लेषा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों के स्वभाव और व्यक्तित्व के बारे में जानेंगे।

Advertisment

अश्लेषा नक्षत्र वालों को आता है क्रोध

ज्योतिषाचार्यों की मानें तो बुध का प्रभाव होने से इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों की वाणी तो काफी मधुर होती है। जिसके चलते इनके मित्र भी जल्दी बनते हैं और इनसे प्रभावित जल्दी होते हैं। लेकिन इन लोगों में क्रोध की अधिकता भी होती है। यही कारण है कि इन्हें कई बार हानि भी झेलनी पड़ती है।

अश्लेषा नक्षत्र में जन्में जातकों का व्यक्तित्व

अश्लेषा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों की मित्रता बहुत गहरी होती है। अपने दोस्तों के लिए कुछ भी कर सकते हैं। ये जातक काफी मिलनसार भी होते हैं, हालांकि इनसे सतर्क रहने की भी जरूरत होती है। ये मतलब निकलने तक ही लोगों के साथ रहते हैं। शारीरिक मेहनत से ज्यादा दिमागी कार्य अधिक करते हैं।

अश्लेषा नक्षत्र में जन्में जातकों का करियर

अश्लेषा नक्षत्र ( Ashlesha Nakshatra) में जन्में जातकों के करियर की बात करें तो ये लोग अधिकतर राजनीतिक होते हैं। इसके अलावा एक अच्छे लेखक, एक्टर कला और वाणिज्य का क्षेत्र भी इनके लिए बेहतर विकल्प होता है। ये नौकरी करने की अपेक्षा व्यापार में ज्यादा सफल होते हैं। योग ट्रेनर, पर्यटन, जर्नलिज्म, नर्सिंग आदि इनके लिए बेहतर विकल्प होते हैं।

अश्लेषा नक्षत्र में जन्में जातकों का संबंध

अश्लेषा नक्षत्र ( Ashlesha Nakshatra) में जन्में जातकों के परिवार में संबंध अच्छे होते हैं। विशेष रूप से भाइयों का पूरा सहयोग इन्हें मिलता है। वैवाहिक जीवन की बात करें तो इन्हें जीवनसाथी में कमियां नहीं निकालनी चाहिए। अन्यथा भेदभाव बढ़ सकता है।

Mool Nakshatra, Mool Nakshatra in hindi, Gandmool Nakshatra, Qualities of Mool Nakshatra in hindi, ashlesha nakshatra in hindi, shubh mool nakshatra, nakashtra me janme bachhe, अश्लेषा नक्षत्र,मूल नक्षत्र 

अश्लेषा नक्षत्र ashlesha nakshatra in hindi Gandmool Nakshatra Mool Nakshatra Mool Nakshatra in hindi nakashtra me janme bachhe Qualities of Mool Nakshatra in hindi shubh mool nakshatra मूल नक्षत्र
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें