BHOPAL: मध्यप्रदेश में मानसून का इंतजार खत्म हुआ। मानसून की एंट्री गुरुवार को खंडवा-बैतूल(MONSOON NEWS) के रास्ते हो गई। इसी के साथ भोपाल, इंदौर और उज्जैन में छा गए। शाम तक कई जिलों में मानसून की पहली बारिश होगी। मध्यप्रदेश में बीते 12 साल में पांचवीं बार सबसे पहले आया मानसून। वर्ष 2011 में सबसे पहले 10 जून को मानसून ने मध्यप्रदेश में एंट्री की थी। मानसून आते ही बैतूल, भिंड में डेढ़-डेढ़ इंच, मंदसौर और खंडवा में एक-एक इंच, ग्वालियर, दतिया, सीहोर व विदिशा में आधा-आधा इंच बारिश हुई। शिवपुरी, नर्मदापुरम, रायसेन और पचमढ़ी में भी बारिश हुई। पचमढ़ी में करीब 1 इंच बारिश हुई। भोपाल और इंदौर में अगले 72 घंटे के अंदर मानसून की एंट्री हो सकती है। भोपाल से पहले इंदौर में मानसून पहुंचेंगा।
बुधवार तक मानसून के पहले की बौछारें गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार के कुछ इलाकों में पड़ने लगी थीं। गुरुवार को ये मध्यप्रदेश के महाकौशल-विंध्याचल के साथ ही छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार में और ज्यादा सक्रिय हो गईं। कई इलाकों में गुरुवार सुबह से ही घने बादल छाने लगे थे। मौसम विभाग ने बताया कि अभी अरब से आना वाला मानसून बैतूल और खंडवा में ही सक्रिय है। यह शुक्रवार को आगे बढ़ सकता है। इसके 48 घंटे के अंदर यह इंदौर में पहुंच सकता है। भोपाल में मानसून की एंट्री 72 में हो सकती है। बंगाल की खाड़ी से जबलपुर के रास्ते मानसून की एंट्री शुक्रवार को सकती है।
मध्यप्रदेश में कब-कब आया मानसून
वर्ष एंट्री
2022 16 जून
2021 10 जून
2020 14 जून
2019 24 जून
2018 26 जून
2017 22 जून
2016 19 जून
2015 14 जून
2014 19 जून
2013 10 जून
2012 19 जून
2011 18 जून
बारिश का अलर्ट जारी
मध्यप्रदेश में अगले 24 घंटे के दौरान कई इलाकों में हल्की से भारी बारिश हो सकती है। मौसम विभाग ने उमरिया, डिंडोरी, कटनी, पन्ना, दमोह, सागर और छतरपुर में कहीं-कहीं भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। इसके साथ ही भोपाल, इंदौर, उज्जैन, नर्मदापुरम, ग्वालियर, चंबल, रीवा, अनूपपुर, शहडोल, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी, मंडला, बालाघाट, टीकमगढ़ और निवाड़ी में कहीं-कहीं हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।
मानसून की एंट्री कैसे मानी जाती है-MONSOON NEWS
मानसून की एंट्री के लिए लगातार तीन दिन तक अधिकांश हिस्सों में बारिश होना जरूरी है। इसके साथ ही हवाएं दक्षिणी पूर्वी और दक्षिण पश्चिमी होना जरूरी है। इसके अलावा भी अन्य कारण मानसून की एंट्री के लिए जरूरी होते हैं। इन दोनों परिस्थितियों के होने पर ही मानसून की एंट्री मानी जाती है। इंदौर संभाग में दो दिन बारिश हुई, लेकिन फिर ब्रेक हो गया है। इस कारण मानसून महाराष्ट्र-एमपी की बॉर्डर पर अटक गया। वर्ष 2019 में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से संयुक्त रूप से मानसून आया था।
MP में अरब से हुई मानसून की एंट्री-MONSOON NEWS
मध्यप्रदेश में मानसून अरब की खाड़ी से आया है। अरब सागर का मानसून पाकिस्तान की हवाओं के कारण महाराष्ट्र से आगे नहीं बढ़ पाया था। गुरुवार को बैतूल और खंडवा के अधिकांश इलाकों में लगातार तीन दिन तक 2.5 मिमी से ज्यादा बारिश हुई। इधर, बंगाल की खाड़ी से मानसून पूर्वी भारत से हिमालय तक सक्रिय होने लगा है। मंगलवार से जबलपुर संभाग में बारिश शुरू हो गई थी। खंडवा और बैतूल से मानसून की एंट्री हो गई।
एंट्री के बाद इस तरह आगे बढ़ता है MONSOON NEWS
मध्यप्रदेश में आने से पहले मानसून बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में पहुंचने के बाद समुद्र से उठी मानसूनी हवाएं दो शाखाओं में बंट जाती हैं। एक अरब सागर की तरफ से मुंबई, गुजरात राजस्थान होते हुए आगे बढ़ता है। दूसरा बंगाल की खाड़ी से पश्चिम बंगाल, बिहार, पूर्वोत्तर होते हुए हिमालय से टकराकर गंगा नदी के क्षेत्रों की ओर मुड़ जाता है। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में मानसून की बारिश होती ही नहीं।
मध्यप्रदेश में दोनों तरफ से बारिश MONSOON NEWS
मध्यप्रदेश में मुख्य रूप से बंगाल की खाड़ी से आने वाले दक्षिण पूर्वी मानसून से बारिश होती है। यह समूचे मध्यप्रदेश में बारिश कराता है, जबकि अरब से आने वाला मानसून सिर्फ मालवा-निमाड़ में बारिश कराता है। क्योंकि जून में अरब में सामान्य तौर पर ज्यादा सिस्टम नहीं बनते हैं, इसलिए बंगाल की खाड़ी से ही ज्यादातर मानसून मध्यप्रदेश में आता है। कभी-कभी अरब सागर से इंदौर के रास्ते एंट्री करता है, लेकिन पूरे मध्यप्रदेश को यह नहीं भिगा पाता है। मध्यप्रदेश में बारिश होने के लिए बंगाल की खाड़ी से मानसून के सक्रिय होना जरूरी है।MONSOON NEWS