INDIA’S FIRST MONKEYPOX CASE IN KERELA: देश में मंकीपॉक्स का सबसे पहला मामला सामने आया है।मामला केरल के कोल्लम का है। कहा जा रहा है की मरीज विदेश में किसी मंकीपोक्स संक्रमित मरीज के संपर्क में था। स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने सबको सहानुभूति देते हुए घबराने से मना किया है।
दरअसल टीवीएम मेडिकल से मरीज में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखाई दे रहे थे। अभी मरीज के माता पिता को तिरुवनंतपुरम के एक अस्पताल में निगरानी मेक्राखा गया है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री में जानकारी देते हुए व्यक्ति को संक्रमित बताया है।
बीमारी के सिंपटम्स
डॉक्टर्स ने तेज बुखार और शरीर पर जाले मंकीपॉक्स के सिम्पटम्स बताए हैं।उनका यह भी कहना है कि मरीज का सैंपल लेकर प्रशिक्षण केलिए नेशनल इंस्टीट्यूट को वायरलोलॉजी भेजा गया हैं और मरीज को निरक्षण के रखा हैं।
देशभर में 800 से ज्यादा मामले
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनिया में इस वक्त कोरोना के अलावा और भी कई गंभीर बीमारियां फैल रहीं हैं। आज की तारीख की बात करे तो दुनिया में 27 देशों में मंकीपॉक्स (Monkeypox) के करीब 800 मामले सामने आ चुके हैं।
क्या मंकीपॉक्स है जानलेवा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार 2 जून तक देश में 780 मामले सामने आए थे। 29 मई तक 257 मामले सामने आए थे और 2जून तक संख्या बढ़कर 280होगी थी।
क्या है सरकार की गाइडलाइंस?
Ministry of Health and Family Welfare releases guidelines for the management of Monkeypox disease
As per the ministry’s guidelines, international passengers should avoid close contact with sick people, contact with dead or live wild animals and others. pic.twitter.com/44ndGll6J3
— ANI (@ANI) July 15, 2022
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकीपॉक्स के प्रबंधन को लेकर कुछ निर्देश जारी किए है। गाइडलाइंस में कहा गया है की-
1. किसी भी संक्रमित मरीज का पता चलने पर उसे एनआईवी में जांच केलिए इंटीग्रेटेड डिसीज सर्विलांस प्रोग्राम नेटवर्क के तहत भेजा जायेगा।
2. ऐसे मामलों को संदिग्ध माना जाएगा , जिसमें किसी भी उम्र का व्यक्ति जिसका पिछले 21 दिनों के भीतर प्रभावित देशों की यात्रा का इतिहास रहा हो |
3. बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द, शरीर पर दाने जैसा कोई लक्षण बताए जा रहे है। इन सभी लक्षणों से गुजर रहे व्यक्ति घर पर या अस्पताल में आइसोलेट हो जाए| आइसोलेशन तब तक जारी रहेगा जब तक कि मरीज के सभी दाने ठीक नहीं हो जाते और पपड़ी पूरी तरह से गिर नहीं जाती|