Mongol ruler Timur Lang : भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15 सितंबर को उज्बेकिस्तान की यात्रा पर जाने वाले है। इस दौरान वह उज्बेकिस्तान के समरकंद पहुंचेगे जाहां वह चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति पुतिने से मुलाकात करेंगे। उज्बेकिस्तान की जब भी बात होती है तो दुनिया के सबसे खूंखार शासक तैमूर लंग (Mongol ruler Timur Lang) का नाम याद आता है। उज्बेकिस्तान का नाम भी मंगोल शासक तैमूर लंग (Mongol ruler Timur Lang) के पोते उजबेक के नाम से पड़ा।
तैमूर का नाम सुनते ही वो दौर याद आता है जब भारत में मुगलों का राज था। तैमूल लंग (Mongol ruler Timur Lang) वो नाम था जिसके जुल्म से दुनिया कांप उठती थी। इतना ही नहीं तैमूर की मौत के बाद भी लोग उसके नाम से खौफ खाते है। तैमूर वो शासक था जिसने दुनिया भर में करीब 1 करोड़ 70 लाख लोगों को मौत के घाट उतारा था। यानि तैमूर लंग(Mongol ruler Timur Lang), चंगेज खान से भी खूंखार था। तैमूर ने मध्य एशिया के कई मुसलमान देशों को जीता और उन पर राज किया था।
तैमूर लंग (Mongol ruler Timur Lang) सन् 1336 में शाहरीस्बाज में जन्मा था। जो समरकंद से 80 किलोमीटर दूर है। कुछ लोगों का मानना है कि तैमूर लंग (Mongol ruler Timur Lang) का जन्म समरकंद में ही हुआ था। तैमूर ने इराक, ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, अजरबैजान, जॉर्जिया, उज्बेकिस्तान, तुर्केमेनिस्तान, तजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तुर्की और सीरिया के बड़े हिस्से पर जीत हासिल की थी। तैमूर लंग (Mongol ruler Timur Lang) को लेकर ऑर्थाेडॉक्टरी, इननोवेशन एंड रिवाइवल और शर्फ-उल-दिन अली जयादी की किताबों में उसकी कब्र को लेकर कई रहस्यों के बारे में लिखा हुआ है।
मुस्लिम ने स्वीकार तैमूर को!
तैमूर लंग (Mongol ruler Timur Lang) को मुसलमान ने कभी स्वीकार नहीं किया, क्योंकि वह पैंगबर मोहम्मद का वशंज नहीं था। तैमूर लंग (Mongol ruler Timur Lang) ने दिल्ली में भी राज किया था। तैमूर लंग चंगेज खान को अपना आर्दश मानता था। चंगेज खान को अपना आदर्श मानने वाले तैमूर ने दिल्ली को इतना लूटा कि उसे उबरने में करीब एक सदी का समय लग गया था। तैमूर (Mongol ruler Timur Lang) ने जब कई देशों पर जीत लिया तो उसका मकसद चीन पर जीत हासिल करना था। लेकिन अपने इस मकसद को पूरा करने में उसकी मौत हो गई। 1 अप्रैल 1405 को उसे समरकंद में दफना दिया गया।
तैमूर के कब्र का खौफनाक रहस्य
तैमूर लंग (Mongol ruler Timur Lang) के कब्र से जुड़ी दो घटनाएं ऐसी हैं जो आज भी लोगों को डराती हैं। तैमूर (Mongol ruler Timur Lang) ने मोहम्मद सुल्तान की मौत के बाद अपनी कब्र का निर्माण शुरू करा दिया था। इसके अलावा उसने अपने महल के पास अपनी एक और कब्र भी बनावा ली थी। तैमूर (Mongol ruler Timur Lang) की मौत के बाद उसकी कब्र को एक बेशकीमती पत्थर से ढंक दिया गया था। बता दें कि उस दौर में कब्र को महंगे पत्थरों से सजाया जाता था। साथ ही कब्र तहखानों में हुआ करती थी। तैमूर (Mongol ruler Timur Lang) की कब्र को जिस बेशकीमती पत्थर से सजाया गया था वह पत्थर नादिर शाह को भा गया। उस समय नादिर शाह ईरान का शासक था। नादिर शाह उस बेशकीमती पत्थर को लेकर ईरान ले गया, लेकिन यह पत्थर दो टुकड़ों में बंट गया। बताया जाता है कि पत्थर अपने साथ ले जाने के बाद से नादिर शाह का पतन होने लगा था। इसलिए उससे कहा गया कि वह जो पत्थर लेकर आया है उसे तैमूर (Mongol ruler Timur Lang) की कब्र पर रख आए। इसके बाद नादिर ने उस पत्थर को वापस कब्र पर रखवा दिया। जिसके बाद उसकी जिंदगी फिर समान्य हो गई।
स्टालिन ने खोदी तैमूर की कब्र
सन् 1941 में रूस के शासक जोसेफ स्टालिन ने तैमूर (Mongol ruler Timur Lang) की कब्र को खुदवाने का आदेश दिया था। आदेश के बाद कब्र को खोदना शुरू किया। खुदाई के दौरान तैमूर का कंकाल मिला और जब इसे खोला गया तो उसमें से लोबान और कपूर की महक आ रही थी। दरअसल एक तेल तैमूर (Mongol ruler Timur Lang) के शव पर लगाया गया था उसकी वजह से यह महक आ रही थी। कंकाल के साथ चांदी के धागे में लिपटे हुए कुछ धातुपत्र भी मिले थे। उसके कंकाल का मुंह मक्का की तरफ था। कब्र पर दो चेतावनियां लिखी हुई थीं। इस पर लिखा था, जब मैं अपनी मौत के बाद खड़ा होऊंगा तो दुनिया कांप उठेगी। इसके अलावा कब्र पर लिखा था, जो कोई भी मेरी कब्र को खोलेगा उसे ऐसे शत्रु से हार मिलेगी जो मुझसे भी ज्यादा भयानक होगा। कहा गया कि जिसने भी कब्र खोदी है उसके तीन दिन बाद ही उस व्यक्ति पर बड़ा असर होगा। कब्र के खुलने के एक ही दिन बाद 11 जून 1941 को हिटलर ने सोवियत यूनियन पर हमला कर दिया था। जर्मनी की तरफ से हुए कई हमलों के बाद स्टालिन ने तैमूर (Mongol ruler Timur Lang) के अवशेषों को लौटाने और उन्हें पूरे सम्मान के साथ दफनाने का आदेश दिया था। तैमूर (Mongol ruler Timur Lang) के अवशेषों को दफनाते ही जर्मनी की सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया और रूस ने स्टालिनग्राड की जंग जीत ली।