Money Management: एनपीएस (NPS) यानी नेशनल पेंशन सिस्टम (National Pension System) रिटायरमेंट के लिए सरकार की सबसे बढ़िया स्कीम है. इसमें निवेश के कई फायदे हैं. टैक्स बेनिफिट्स के साथ में आपका भविष्य भी सुरक्षित होता है. Retirement Planning के लिए एनपीएस काफी अच्छा प्लान है. नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में 2 प्रकार से खाते खोल सकते हैं. इसमें टियर-1 अकाउंट पेंशन अकाउंट होता है. वहीं, टियर-2 अकाउंट वॉलंटियरी सेविंग्स अकाउंट होता है.
क्या है नेशनल पेंशन स्कीम
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) रिटायरमेंट के लिए सरकार द्वारा शुरू किया गया एक वॉलंटियरी और लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट प्लान है. National Pension Scheme पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) और केंद्र सरकार के दायरे में आती है. इस स्कीम को केंद्र सरकार ने 1 जनवरी 2004 में लॉन्च किया था.
योजना के लॉन्च होने के बाद नौकरी ज्वॉइन करने वाले सभी सरकारी कर्मचारियों इसके अंतर्गत आते हैं. साल 2009 के बाद से इसे प्राइवेट कर्मचारियों के लिए भी खोल दिया गया. इस पेंशन स्कीम को 18 साल की उम्र से ही ज्वॉइन किया जा सकता है. NPS में कम से कम 20 साल निवेश करना जरूरी है. अकाउंट खुलने के बाद 60 साल की उम्र तक या मैच्योरिटी तक इसमें कंट्रीब्यूट करना होता है.
इस तरह बनेगी 1 लाख रुपए पेंशन
मान लीजीए आप NPS में निवेश 30 साल की उम्र में शुरू कर रहे हैं. तब आपको मंथली निवेश 10 हजार रुपये करना होगा इस तरह 30 साल में कुल निवेश 36 लाख रुपए होगा. स्कीम के तहत आपको निवेश पर अनुमानित 10 फीसदी सालाना रिटर्न मिलेगा.
जिससे 30 साल बाद कुल कॉर्पस 2.28 करोड़ हो जाएगा. अगर इसमें कम से कम 40 फीसदी एन्युटी प्लान में निवेश करते हैं. लम्प सम वैल्यू 1.02 करोड़ रुपए होगी. जिससे मंथली पेंशन 1,04,469 रुपये होगी.
योजना की ये है खासियत
कम चार्ज और ज्यादा रिटर्न
NPS में दूसरी फंड मैनेजमेंट सर्विस की तुलना में बहुत कम चार्ज लगता है. निवेश करने वालों को वहीं अगर बात करें म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) की तो उसमें आपको 2-2.5 फीसदी तक सालाना चुकाना पड़ता है.
टैक्स पर तगड़ी छूट
एनपीएस EEE कैटेगरी में आता है. इसमें निवेश किए गए पैसों, उस पर मिलने वाले ब्याज और मेच्योरिटी के बाद मिली रकम सभी पर टैक्स में छूट मिलती है. NPS Investment यानी एनपीएस में निवेश करने पर सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन का फायदा मिलता है.इसकी लिमिट 1.5 लाख रुपए होती है. यह छूट प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों को 10 फीसदी और सरकारी कर्मचारियों के लिए 14 फीसदी होती है.
काफी फ्लेक्सिबिलिटी
एनपीएस की सबसे अच्छी बात ये है कि यह काफी फ्लेक्सिबल है. इसमें निवेशक अपने असेट लोकेशन को साल में चार बार तक बदल सकता है. वहीं दूसरी ओर एनपीएस में असेट क्लास बदलना या फिर फंड मैनेजर बदलने पर कोई टैक्स भी नहीं लगता है.
नियम बदलने की वजह से बढ़ी लिक्विटी
एनपीएस में निवेश करने का मतलब ये नहीं है कि आपका पैसा रिटायरमेंट तक पूरी तरह लॉक हो जाएगा. जिस तरह पीएफ में कुछ खास अवसरों या जरूरतों पर आप कुछ पैसा निकाल सकते हैं. उसी तरह एनपीएस में भी पैसे निकाले जा सकते हैं. हालांकि, इसलिए लिए जरूरी है कि आप कम से कम 3 साल पुराने एनपीएस सब्सक्राइबर हों.