कटनी। Katni Mohas Hanuman Mandir: भारत में रहस्यमयी मंदिरों की कमी नहीं है और देश का कोई भी क्षेत्र इन रहस्यों से अछूता भी नहीं है। वहीं कुछ ऐसे हैं, जिन पर विश्वास कर पाना संभव नहीं हैं। लेकिन जब पूरी सच आंखों के सामने हों, तो अविश्वास के लिए जगह नहीं बचती है।
यही विश्वास प्रतिदिन लाखों लोगों को कटनी के रीठी के समीप मोहास गांव के हनुमान मंदिर तक ले जाता है। जहां दर्द से कराहते हुए लोग जाते हैं और राहत की मुस्कुराहट के साथ वापस लोटते हैं। आज हम इसी हनुमान मंदिर के बारे में चर्चा करेंगे।
चमत्कार के आगे नतमस्तक हैं भक्त
कटनी से महज 35 किमी दूर मोहास गांव के हनुमान मंदिर में लोग अपनी टूटी हड्डियों का इलाज करने के लिए आते हैं। कहा जाता है कि यहां मिलने वाली जड़ी बूटी खाने से टूटी हुई हड्डियां जुड़ जाती हैं और एक्स-रे रिपोर्ट देखकर डॉक्टर भी ओके कह देते हैं।
इस मंदिर में इतनी भीड़ रहती है कि भक्तों को सुबह से रात तक लाइनों में लगना पड़ता है। इसके अलावा यहां कई मरीज स्ट्रेचर पर आते हैं, तो किसी को एम्बुलेंस से लाया जाता है। वहीं भगवान हनुमान की दिव्य शक्ति से इन मारीजों का इलाज स्वयं हो जाता है।
दो दिन लगता है मेला
बता दें कि इस मंदिर में यूं तो दवा सदैव दी जाती है, लेकिन मंगलवार और शनिवार का दिन विशेष रूप से निर्धारित है।
लोगों का कहना है कि मंगलवार और शनिवार हनुमानजी के दिन हैं और इस दिन दी गई औषधि अधिक कारगर होती है। यही वजह है कि दो दिन ही मंदिर में भक्तों की अधिक भीड़ रहती है।
इलाज का नहीं लगता खर्च
हनुमान मंदिर में औषधि के लिए कोई शुल्क निर्धारित नहीं है। भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार दान पेटी में दान कर देते हैं। कहा जाता है कि जो भी भक्त हनुमानजी के दरबार में आया है, वह कभी भी निराश होकर नहीं लौटा है।
ऐसे पहुंचे हनुमान मंदिर
जबलपुर संभाग से मोहास के हनुमान मंदिर की दूरी करीब 115 किलोमीटर है। इसके साथ ही आप जबलपुर – कटनी राजमार्ग से भी इस मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
वहीं कटनी से मोहास महज 35 किलोमीटर दूर है। साथ ही कटनी की रीठी तहसील में मुहास गांव आता है। यदि आप दमोह से होते हुए मोहास पहुंचना चाहते हैं, तो यहां से मोहास करीब 75 किलोमीटर दूर है। यहां पर आप कार और बाइक भी पहुंच सकते है।
मंदिर से जुड़ी कहानी
कहा जाता है कि इस मंदिर के पुजारी सरमन पटेल के पिता अधारी लाल पटेल से जंगल में किसी साधू ने बूटी देकर जनता का भला करने की बता कही थी।
उन्होंने सबसे पहले इसका उपयोग अपनी गाय की हड्डी जोड़ने में किया था। गाय की हड्ड ने के बाद से वह खेत में बने हनुमान मंदिर के चबूतरे पर बैठकर लोगों को बूटी देने लगे, जिससे कई भक्तो की हड्डिया जुड़ गई।
वहीं अब उनके बेटे सरमन बूटी देने लगे और धीरे-धीरे भक्तों की भीड़ बढ़ती गई। आज इस भव्य मंदिर पर हजारों लोग अपना इलाज कराने आते हैं।
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