हाइलाइट्स
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भोपाल ईरानी डेरे में लगे ईरानी नेताओं के पोस्टर
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विरोध के बाद प्रशासन ने हटवाए पोस्टर
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प्रशासन ने शिया समुदाय के साथ की बैठक
Bhopal Moharram Posters News: मोहर्रम के सात दिन पहले इस बार भोपाल रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नबंर-6 के पास स्थित ईरानी डेरा का नजारा बदला हुआ है। त्यौहार से पहले ही यहां जश्न का माहौल है। पूरे क्षेत्र में ईरानी झंडे और वहां के नेताओं के पोस्टर लगे हैं। इसकी वजह, ईरान की इजराइल पर जवाबी कार्रवाई के बाद यहां के ईरानियों में जोश है, खुशी है और मोहर्रम को यादगार बनाने की तैयारी है। हालांकि, राजधानी में इस प्रदर्शन का विरोध भी शुरू हो गया है। इसके बाद पुलिस प्रशासन ने शिया समुदाय के साथ बैठक की और और पोस्टर हटाने का फैसला लिया गया। अब खबर है कि डेरे के ईरानी खुद पोस्टर हटा रहे हैं।
बीजेपी ने क्या कहा ?
उधर, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और खजुराहो सांसद वीडी शर्मा ने पोस्टर को लेकर कहा कि जहां इस प्रकार के देश विरोधी तत्व हैं। भारत में यदि कोई इस तरीके की गतिविधियां करता है, तो शासन प्रशासन गंभीरता से ध्यान देगा और उस पर एक्शन होगा।
तिरंगे के नीचे लगा ईरानी लीडर का फोटो
कई जगहों पर शिया समुदाय के प्रमुख धार्मिक और सैन्य नेताओं जैसे आयतुल्ला अली खामेनेई, अली अल सिस्तानी, जनरल मोहम्मद बाघेरी, कासिम सुलेमानी और अयातुल्ला खोमैनी के बड़े-बड़े पोस्टर्स लगाए गए हैं। एक स्थान पर आयतुल्ला अली खामेनेई का फोटो तिरंगे के नीचे लगा हुआ है।
फतेहपुर से भोपाल आए ईरानी डेरे के इमाम शाहकार हुसैन ने बताया कि हर साल पोस्टर्स लगाए जाते हैं, लेकिन इस बार उनकी संख्या अधिक है। इसका कारण है 12 दिन की वह जंग, जिसे इजराइल ने डरपोक तरीके से शुरू किया और ईरान ने उसे जोरदार जवाब दिया।
भोपाल में ईरानी डेरा की खास तस्वीरें…



‘इंसाफ पसंद लोगों की जीत’
इजराइल-ईरान के बीच संघर्ष विराम पर उन्होंने कहा कि सीजफायर की मांग खुद इजराइल और अमेरिका ने की। यह सिर्फ ईरान की नहीं, बल्कि इंसाफ पसंद सभी लोगों की जीत है।
खामेनेई सिर्फ धर्मगुरु नहीं, अब आलमी लीडर बने
ईरानी डेरे के इमाम शाहकार हुसैन के अनुसार, आयतुल्ला खामेनेई ने खुद कहा है कि यह जीत मोहर्रम की देन है। हमने इमाम हुसैन से यह सीखा है कि जुल्म के खिलाफ कभी सिर नहीं झुकाना चाहिए। मोहर्रम का यही संदेश है और इस बार इसे दुनिया के सामने रखना जरूरी था कि हक की राह पर चलने वाले कभी हार नहीं मानते।
शाहकार हुसैन ने कहा- यहां जो बैनर लगे हैं, वे कोई सेलिब्रेशन नहीं हैं, बल्कि एक वैचारिक प्रदर्शन हैं। यह दिखाने के लिए है कि अगर इमाम हुसैन की राह पर चला जाए तो बड़ी से बड़ी ताकत को झुकाया जा सकता है।
भारत के दृष्टिकोण की प्रशंसा, ईरानी कल्चरल हाउस ने भेजा धन्यवाद पत्र
शाहकार हुसैन ने कहा कि भारत का दृष्टिकोण संतुलित रहा है। ईरानी कल्चरल हाउस ने एक पत्र जारी किया है। भारत की जनता का आभार व्यक्त किया है कि वे एकजुट रहे, भारत का दृष्टिकोण बिल्कुल सही था, युद्ध में किसी को लाभ नहीं होता, केवल नुकसान होता है। उन्होंने युद्ध को रोकने की कोशिश की, लेकिन यूरोपीय देशों का रुख गलत था। उन्होंने इसकी कहीं भी निंदा नहीं की।
इसलिए लगाया तिरंगा
ईरानी डेरे में तिरंगे के साथ पोस्टर लगाने पर मोहम्मद अली कहते हैं- हम भारत के हैं, यहीं का नमक खाया है। अगर जरूरत पड़ी तो देश के लिए जान देने से भी नहीं चूकेंगे। हमने तिरंगा इसलिए लगाया ताकि लोग समझें कि हम भारतीय हैं और हमारी आस्था में कोई विरोधाभास नहीं, बल्कि समरसता है।
महात्मा गांधी का भी कथन लगाया
यहां लगे बैनर्स में महात्मा गांधी का एक कथन प्रमुखता से छपा है, जिसमें लिखा है कि मोहर्रम केवल एक फेस्टिवल नहीं है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ एक प्रोटेस्ट है। इन बैनरों के साथ काले झंडे और सबसे ऊपर भारतीय तिरंगा भी लगाया गया है।
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