Modified Silencer: तेज आवाज वाले साइलेंसर का करते हैं उपयोग, तो हो जाएं सावधान वरना भरना पड़ सकता है भारी भरकम जुर्माना

Modified Silencer: तेज आवाज वाले साइलेंसर का करते हैं उपयोग, तो हो जाएं सावधान वरना भरना पड़ सकता है भारी भरकम जुर्माना

Modified Silencer

भोपाल। आज के समय में युवाओं में तेज आवाज वाली बाइक्स चलाने का काफी क्रेज है। जिन बाइकों की आवाज कम है लोग उन्हें भी मोडिफाई करवाते है। ताकि उसकी आवाज को तेज और दमदार किया जा सके। लेकिन वह शौक के चक्कर में ये भूल जाते हैं कि ऐसा करना गैरकानूनी है और अगर आप भी ऐसा करते हैं तो फिर आपका यह शौक भारी जुर्माना लगवा सकता है

हम आए दिन देखते हैं कि पुलिस तेज आवाज वाली बाइक्स को पकड़ने में लगी रहती है। शुक्रवार को चेन्नई पुलिस ने ऐसी ही गाड़ियों से निकले तेज आवाज वाले साइलेंसर को बुलडोजर से कुचल दिया
ताकि पब्लिक को आवाज से परेशानी ना हो।

इस कारण से लगाते हैं मोडिफाई साइंलेंसर
ज्यादातर लोग रॉयल एनफील्ड बुलेट में तेज आवाज और पटाखे जैसी आवाज निकालने के लिए मोडिफाई साइलेंसर लगाते है। लेकिन उन्हें ये नहीं पता कि ज्यादा आवाज से ध्वनि प्रदूषण होता है जो एक कानून जुर्म है। ऐसे में आज हम जानेंगे कि इस बारे में कानून क्या कहता है। जो लोग शांति को भंग करते हैं उन्हें कितनी सजा हो सकती है।

क्या कहता है कानून
भारतीय ट्रैफिक कानून के अनुसार, एक तय सीमा तक आवाज करने वाले साइलेंसर का ही हम वाहनों में उपयोग कर सकते हैं। उन मानकों का कंपनी पहले से ही ध्यान रखती है। यानी हमें जो बाइक में साइलेंसर लगा मिलता है। वो पहले से ही उच्च ध्वनी की मानकों के अनुसार होता है। अगर हम इसके अलावा किसी और साइलेंसर को लगाते हैं तो हम कानून का उल्लंघन कर रहे होते हैं। वहीं ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (एआरएआई) द्वारा तय प्रोटोटाइप के विरुद्ध गाड़ी में कोई बदलाव कराना अवैध है। साथ ही इससे बाइक्स को भी काफी नुकसान होता है और ईंधन की भी खपत ज्यादा होती है।

भारी जुर्माने का है प्रावधान
अगर कोई व्यक्ति गैरकानूनी तरीके से गाड़ी को मोडिफाई करवाता है तो उसके खिलाफ धारा-191 के तहत कारवाई की जा सकती है। नॉन कमर्शियल वाहनों पर 5 हजार और कमर्शियल वाहन पर 10 हजार रूपए जुर्माने का प्रवधान है। इसके अलावा अगर अपकी बाइक मॉडिफाइड नहीं है। लेकिन मोटर से अधिक शोर आ रहा तो भी आप पर कारवाई की जा सकती है। मोटर व्हीकल एक्ट के सेक्शन 190 (2) तहत 1 हजार रूपए का फाइन लगाया जा सकता है। वहीं अगर इस जुर्म में दोबारा पकड़े जाते हैं तो फिर आपको 2 हजार रूपये जुर्माने के तौर पर भरने पड़ सकते हैं।

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