मोदी ने हलके मकान की परियोजनाओं की आधारशिला रखी, गरीब, मध्यम वर्ग हेतु आवास को प्राथमिकता बताया

नयी दिल्ली, एक जनवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को छह राज्यों के छह शहरों में वैश्विक आवासीय प्रौद्योगिकी चुनौती-भारत (जीएचटीसी-भारत) के तहत हलके मकानों से जुड़ी परियोजनाओं की आधारशिला रखी और गरीबों तथा मध्यम वर्ग के लिए आवास उपलब्ध कराने को सरकार की प्राथमिकता बताया।
उन्होंने कहा कि आधुनिक प्रौद्योगिकी और नवाचार प्रक्रियाओं से क्रियान्वित की जाने वाली ये परियोजनाएं देश में आवास निर्माण क्षेत्र को नई दिशा दिखाएंगी तथा सहकारी संघवाद को और मजबूत करेगी।
वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आयोजित इस समारोह में मोदी के अलावा केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी के साथ त्रिपुरा, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री उपस्थित थे।
इन हलके मकानों का निर्माण इंदौर, राजकोट, चेन्नई, रांची, अगरतला और लखनऊ में किया जा रहा है। इस परियोजना के तहत हर शहर में इस तरह के एक हजार आवासों का निर्माण किया जाना है जिसे एक साल के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ये छह परियोजनाएं देश में आवास निर्माण क्षेत्र को नई दिशा दिखाएंगी।’’
उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण के राज्यों की भागीदारी से ‘‘सहकारी संघवाद की भावना भी और मजबूत हो रही है।’’
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि उनकी सरकार का फोकस गरीब और मध्यम वर्ग की जरूरतों पर है तथा शहर में रहने वाले लोगों की संवेदनाओं और भावनाओं को प्राथमिकता दी गई है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले छह सालों में ऐसे कई कदम उठाए हैं जिनकी वजह से आम आदमी के घर खरीदने के विश्वास को बल मिला है।
उन्होंने कहा, ‘‘घरों की कीमतें इतनी ज्यादा हो गईं थी कि अपने घर का भरोसा टूटने लगा था। एक वजह ये थी कि कानून हमारा साथ देगा या नहीं, हाउसिंग सेक्टर की ये स्थिति थी कि लोगों को शंका थी कि गड़बड़ हो जाने की स्थिति में कानून उनका साथ नहीं देगा।’’
उन्होंने कहा कि अवसंरचना और निर्माण पर होने वाला निवेश, विशेषकर आवासीय योजनाओं पर किया जा रहा खर्च अर्थव्यवस्था में ‘‘फोर्स मल्टीप्लायर’’ का काम करता है।
हलके मकान की परियोजना के बारे में मोदी ने कहा कि यह आधुनिक प्रौद्योगिकी और नवोन्मेषी प्रक्रियाओं से बनेंगे और ये परियोजनाएं न सिर्फ कम समय में सम्पन्न होंगी बल्कि गरीबों के लिए ज्यादा किफायती और आरामदायक सिद्ध होंगी।
उन्होंने कहा, ‘‘ये छह परियोजनाएं वाकई लाइट हाउस यानी प्रकाश स्तंभ की तरह हैं। ये छह परियोजनाएं देश में आवासीय निर्माण को नई दिशा दिखाएंगी।’’
उन्होंने बताया कि इन मकानों के निर्माण में फ्रांस, जर्मनी और कनाडा जैसे देशों की आधुनिक और अग्रणी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लखनऊ में कनाडा की निर्माण प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है तो रांची में जर्मनी की थ्री डी निर्माण तकनीक और अगरतला में न्यूजीलैंड की स्टील फ्रेम टैक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि ये परियोजनाएं एक तरह के ‘‘इनक्यूबेटर सेंटर’’ के रूप में काम करेंगी जिनसे योजना बनाने वालों, अभियंताओं, वास्तुविदों और विद्यार्थियों को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इनसे देश के नौजवानों को यह सीखना होगा कि तकनीक में अपनी आवश्यकता के अनुसार कैसे बदलाव किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि आवास निर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए भी सरकार की ओर से निरंतर निर्णय लिए जा रहे हैं तथा खरीदारों में उत्साह बढ़ाने के लिए घरों पर लगने वाले टैक्स भी ‘‘बहुत कम’’ किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘सस्ते घरों पर जो टैक्स पहले 8 प्रतिशत लगा करता था वह आज सिर्फ एक प्रतिशत है। वहीं सामान्य घरों पर लगने वाले 12 प्रतिशत की जगह सिर्फ 5 प्रतिशत जीएसटी लिया जा रहा है। सरकार ने इस सेक्टर को इंफ्रास्ट्रक्चर की मान्यता दी है ताकि उन्हें सस्ती दरों पर कर्ज मिल सके।’’
उन्होंने कहा कि बीते सालों में जो सुधार किए गए हैं, उसमें कंस्ट्रक्शन परमिट को लेकर तीन साल में ही भारत की रैंकिंग 185 से सीधे 27 पर आ पहुंची है।
अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि दूसरे राज्यों में काम करने वाले श्रमिक कोरोना संक्रमण काल में जब अपने-अपने गांवों की ओर लौट गए तब उन राज्यों को उनकी अहमियत का पता चला जो पहले कभी उन्हें ‘‘अपमानित’’ किया करते थे।
अपनी इस टिप्पणी के दौरान उन्होंने किसी राज्य विशेष का नाम नहीं लिया। कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा देशभर में लागू किए लॉकडाउन के दौरान दिल्ली और मुंबई सहित कई प्रमुख शहरों में औद्योगिक गतिविधियां ठप्प हो गई थीं और इस कारण प्रवासी श्रमिकों ने अपने गांवों की ओर पलायन शुरू कर दिया था।
प्रवासी श्रमिकों और शहरी गरीबों को कम बजट पर आवास की सुविधा मुहैया कराने वाली ‘‘अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्सेज योजना’’ को कोरोना संकट काल के दौरान उठाया गया ‘‘बड़ा कदम’’ बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसका लक्ष्य एक राज्य से दूसरे राज्य में या फिर गांव से शहरों का रुख करने वाले श्रमिकों के लिए आवासीय सुविधा मुहैया कराना है।
उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना काल के पहले तो हमने देखा था कि कुछ जगह अन्य राज्य से आए लोगों के लिए ‘अनाप-शनाप’ बातें बोली जाती थी। उनको अपमानित किया जाता था। लेकिन कोरोना के समय सारे मजदूर अपने-अपने गांव लौट गए तो बाकियों को पता चला कि इनके बिना जिंदगी जीना कितना मुश्किल है। कारोबार चलाना कितना मुश्किल है। उद्योग धंधे चलाना कितना मुश्किल है।’’
उन्होंने कहा कि ‘‘हाथ-पैर जोड़कर’’ श्रमिकों को वापस बुलाया जाने लगा।
उन्होंने कहा, ‘‘श्रमिकों के सामर्थ्य और सम्मान को जो लोग स्वीकार नहीं करते थे, कोरोना ने उनको स्वीकार करने के लिए मजबूर कर दिया।’’
मोदी ने सस्ते और टिकाऊ आवासीय उत्प्रेरक (एएसएचए- इंडिया) के तहत विजेताओं की घोषणा भी की। उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) को लागू करने में उत्कृष्टता के लिए वार्षिक पुरस्कार भी प्रदान किए।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर ‘‘नवरिति’’ के नाम से नवोन्मेषी निर्माण प्रौद्योगिकी पर एक पाठ्यक्रम की शुरुआत की और 54 नवोन्मेषी आवासीय निर्माण प्रौद्योगिकी के एक संग्रह का विमोचन भी किया।
प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक, हलके मकान से जुड़ी परियोजनाएं देश में पहली बार निर्माण क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर नए जमाने की वैकल्पिक वैश्विक प्रौद्योगिकी, सामग्री और प्रक्रियाओं का बेहतरीन प्रदर्शन करती हैं।
भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र मनीषा
मनीषा