Mobile Addiction In Children : बीते सालों में कोरोना ने हर किसी की जिंदगी को प्रभावित किया है। इसका सबसे अधिक असर पड़ा है बच्चों पर। जी हां आनलाइन पढ़ाई ने बच्चों को मोबाइल एडिक्ट बना दिया है। तो वहीं मोबाइल गेम बच्चों को अपना शिकार बना रहा है। ऐसे में यदि आपका बच्चा भी मोबाइल का आदि हो गया है तो आपको सावधान होने की जरूरत है। हाल ही लखनऊ में 10 साल के बच्चे ने इसलिए सुसाइड कर लिया क्योंकि उसके माता-पिता ने उससे मोबाइल छीन लिया। ऐसे में आपको सतर्क होने की जरूरत है। ये खबर हर उस पेरेंट्स के लिए चेतावनी है जो अपने बच्चों को मोबाइल देकर बस अपनी में मग्न हो जाते हैं। आकपो बता दें बच्चों के लिए यह मोबाइल किसी खतरनाक नशे की तरह उनके दिमाग पर हावी हो रहा है। उनकी नींद की क्वालिटी से लेकर कई तरह के दुष्प्रभाव डाल रहा है।
मानसिक रूप से परेशान कर रही है मोबाइल की लत —
आपको बता दें मोबाइल पर बच्चों का घंटों बिताना उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है। बच्चे घंटों मोबाइल पर बैठकर कुछ न कुछ सर्च करते रहते हैं। लगातार घंटों मोबाइल पर वक्त बिताना बच्चों की नींद, भूख, पढ़ाई, संवाद क्षमता, एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटी को खत्म कर रहा है। मनोवैज्ञानिकों की मानें तो मोबाइल की लत बच्चों को कहीं न कहीं मानसिक रूप से भी परेशान कर देती है।
मनोचिकित्सकों की मानें तो आज की एडवांस होती जिंदगी में टेक्नोलॉजी की पहुंच केवल उच्च वर्ग तक नहीं बल्कि निम्न आय वर्ग तक हो गई है। जहां बच्चों की दुनिया फोन में सिमट कर रह गई है। इसकी तिलिस्मी दुनिया में उलझकर बच्चे बाहर की दुनिया से दूर होते जा रहे हैं। इसलिए अब इसका उपयोग सामान्य रूप से करना एक रास्ता रह गया है।
मोबाइल से बचने के लिए विशेषज्ञों से जानें पेरेंटिंग टिप्स —
- 10 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए मोबाइल यूज को लेकर एक समय निर्धारित करें।
- अगर आपका बच्चा मोबाइल गेमिंग में लिप्त हो रहा है। तो उसके मोबाइल के उपयोग पर धीरे धीरे पाबंदी लगाना शुरू करें।
- छोटे और टीन एज के बच्चों को बताकर उनके फोन पर पेरेंटल कंट्रोल ऐप इस्तेमाल करें।
- बच्चे कौन-सी ऐप कितनी देर इस्तेमाल करें, यह आप तय कर सकते हैं।
- बच्चों को मोबाइल के इस्तेमाल को लेकर जागरूक करें, कि कैसे ये आंखों और त्वचा को नुकसान पहुंचाता है।