Bilaspur News: नवरात्र के दौरान देवी आराधना के अनोखे किस्से-कहानी सुनाने को मिलते हैं। इसी तरह की अनोखी कहानी छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में है, जहां मां धूमावती के मंदिर में माता को भोग में मिर्ची-भजिया चढ़ाया जाता है। और श्रद्धालु चिट्ठी लिखकर भी माता को अर्पित करते हैं।
बता दें कि बिलासपुर का धूमावती (Bilaspur News) मंदिर फैमस है। देश में मां धूमावती के सिर्फ दो मंदिर हैं। एक मध्यप्रदेश के दतिया में और दूसरा बिलासपुर के चांटीडीह इलाके में है। मां धूमावती की आराधना की खास बात ये है कि मां धूमावती को तामसिक भोग अर्पित किया जाता है।
माता को लगता है अलग-अलग तरह का भोग
माता को खास तौर पर मिर्ची-भजिया, (Bilaspur News) प्याज-लहसुन का भोग लगाया जाता है। और इसे ही प्रसाद के तौर पर बांटा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता सती ने 10 अलग-अलग रूप धारण किए थे। उन्हीं में से एक कौंवे पर विराजमान माता धूमावती का था।
चिट्ठी लिखने पर भी पूरी होती मनोकामना
भक्त मिर्ची-भजिया के भोग के अलावा चिट्ठी में लिखकर अपनी मनोकामनाएं माता के सूपे में अर्पित करते हैं। सालभर चिट्टियां माता के पास रखी रहती हैं। फिर उन्हें अमरकंटक (Bilaspur News) में मां नर्मदा में विसर्जित कर दिया जाता है। ऐसा करने से भक्तों की मनोकामना को माता पूरी करती है। मान्यता है कि मां धूमावती को कलयुग में कष्ट निवारण करने वाली देवी के रूप में शिवजी ने वरदान दिया था। दूरदराज से आने वाले भक्त भी माता की महिमा का बखान करते हैं।
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तीन दिन में युद्ध हो गया था शांत
बताया जाता है कि मां धूमावती की कृपा (Bilaspur News) का एक विशेष उदाहरण भारत-चीन युद्ध से भी जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि 1962 में भारत-चीन के बीच युद्ध के दौरान मध्यप्रदेश के दतिया में मां धूमावती मंदिर पर स्वामीजी ने विशेष पूजा-अर्चना की थी। इसके तीन दिन के अंदर ही युद्ध शांत हो गया। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के ये प्रसिद्ध मंदिर नवरात्र पर्व के मौके पर और खास माने जाते हैं।
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