हाइलाइट्स
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सरकार ने 8 माह बाद शून्य सत्र के पत्र को ठुकराया
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मेडिकल यूनिवर्सिटी ने शून्य सत्र कर दिया घोषित
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पूरा सत्र बीता, नर्सिंग छात्रों को नहीं मिला प्रवेश
Medical University Jabalpur: हमारी सरकार और हमारा ये सरकारी सिस्टम शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कितना एक्टिव और गंभीर रहता है, यह मध्य प्रदेश की मेडिकल यूनिवर्सिटी और मप्र सरकार के बीच हुई कागजी कार्रवाई से पता चलता है।
मेडिकल यूनिवर्सिटी ने नहीं दिया प्रवेश, नर्सिंग छात्रों ने किया पलायन#MPGovt #MPMedicalUniversity #MedicalUniversityJabalpur #NursingStudent #CMMohanYadav #HealthEducationMinister #MinisterRajendraShukla #MPHighCourt pic.twitter.com/yRHUkM6mrI
— Bansal News (@BansalNewsMPCG) April 5, 2024
दरअसल 9 माह पहले विश्वविद्यालय (Medical University Jabalpur) द्वारा नर्सिंग छात्रों को प्रथम वर्ष में प्रवेश न देने व शून्य सत्र घोषित करने सरकार को अनुमति के लिए पत्र लिखा गया था।
इस गंभीर पत्र का सरकार ने इतना अध्ययन किया कि उसे जवाब देने में 8 माह से ज्यादा का समय लगा, तब तक वर्ष 2923-24 का शैक्षणिक सत्र ही बीत गया।
इस दौरान एक भी छात्र को नर्सिंग प्रथम वर्ष की कक्षाओं में प्रवेश नहीं मिल पाया। इन नर्सिंग छात्रों को एक साल का नुकसान हो गया है।
वहीं कई छात्रों ने मजबूरी में दूसरे राज्यों में जाकर नर्सिंग की पढ़ाई शुरू कर दी है। इस संबंध में हाईकोर्ट ने भी फटकार लगाई है।
शून्य सत्र घोषित करने लिखा था पत्र, हाईकोर्ट की फटकार
जानकारी के अनुसार मेडिकल विश्वविद्यालय जबलपुर (Medical University Jabalpur) द्वारा मध्य प्रदेश सरकार को शैक्षणिक सत्र 2023-24 को शून्य सत्र घोषित करने के लिए अनुमित के संबंध में पत्र लिखा था।
यह पत्र सत्र की शुरुआत में करीब नौ माह पहले यूनिवर्सिटी ने सरकार को लिखा था। इस बीच मेडिकल विवि जबलपुर (Medical University Jabalpur) ने नर्सिंग के छात्रों को प्रथम वर्ष में प्रवेश भी नहीं दिया।
मध्य प्रदेश में नर्सिंग की पढ़ाई और कॉलेजों में प्रवेश के लिए इंतजार कर रहे छात्रों को मौका नहीं मिला। उनका यह साल पूरा बर्बाद हो गया।
इधर इस मामले में हाईकोर्ट जबलपुर ने भी शैक्षणिक सत्र 2023-24 को शून्य घोषित करने वाले निर्णय पर मेडिकल विश्वविद्यालय को जमकर फटकार लगाई है। वहीं सरकार ने भी फटकारा है और छात्रों को प्रवेश देने निर्देश दिए हैं।
जवाब का इंतजार खत्म
मेडिकल विश्वविद्यालय जबलपुर (Medical University Jabalpur) के कर्ता-धर्ता मप्र सरकार के जवाब का इंतजार करते रहे। सरकार के द्वारा मेडिकल विश्वविद्यालय द्वारा दिया गया पत्र का अध्ययन ही करती रही।
इस पर पूरे साल विश्वविद्यालय को कोई जवाब नहीं दिया। इधर कॉलेज प्रबंधन ने भी छात्रों के भविष्य को लेकर कोई चिंता व्यक्त नहीं की और न ही सरकार ने कोई गंभीरता दिखाई।
दोनों ओर से ढुलमुल रवैए के चलते पूरा सत्र निकल गया। इसके बाद अब सरकार ने मेडिकल विश्वविद्यालय जबलपुर को जवाब दिया है। इसमें शून्य सत्र घोषित न करने और छात्रों को प्रवेश देने का आदेश दिया है।
अब मेडिकल विश्वविद्यालय का इंतजार खत्म तो हो गया, लेकिन पूरा शैक्षणिक सत्र ही बीत गया, अब कैसे छात्रों को नर्सिंग प्रथम वर्ष में प्रवेश मिलेगा, यह बड़ा सवाल है।
निर्णय का कोई औचित्य नहीं
नर्सिंग में प्रवेश के लिए इंतजार कर रहे छात्रों और एनएसयूआई के रवि परमार ने बताया कि मेडिकल विश्वविद्यालय चाहता था कि शैक्षणिक सत्र 2023-24 शून्य वर्ष घोषित हो।
इस सत्र में कोई प्रवेश नर्सिंग छात्रों को नहीं दिया जाए। विश्वविद्यालय (Medical University Jabalpur) की मंशानुरूप सरकार के द्वारा 8 माह से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद मेडिकल विश्वविद्यालय के शून्य वर्ष घोषित करने के निर्णय को ठुकरा दिया, लेकिन सरकार का यह निर्णय सिर्फ खानापूर्ति साबित होता दिखाई दे रहा है, क्योंकि शैक्षणिक सत्र तो पूरा बीत गया है।
नर्सिंग छात्रों का साल हुआ बर्बाद
एनएसयूआई के रवि परमार ने बताया कि हाल ही में शासन द्वारा मेडिकल विश्वविद्यालय (Medical University Jabalpur) द्वारा नर्सिंग के सत्र 2023-24 को शून्य वर्ष घोषित करने के निर्णय को ठुकरा दिया है।
हालांकि निर्णय लेने में काफी देर हो गई, क्योंकि शैक्षणिक सत्र 2023-24 समाप्त ही होने वाला है।
ऐसे में समय पर निर्णय नहीं होने की वजह से औसतन 12 हजार से 15 हजार नर्सिंग छात्रों का साल बर्बाद हुआ है और वे नर्सिंग प्रथम वर्ष की कक्षाओं में प्रवेश लेने से वंचित रह गए।
छात्रों की ये मांग, दोषी पर हो कार्रवाई
एनएसयूआई के रवि परमार ने विश्वविद्यालय (Medical University Jabalpur) के रजिस्ट्रार पुष्पराज बघेल पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार की जिम्मेदारी थी कि समय पर नर्सिंग के शैक्षणिक सत्र 2023-24 को शून्य वर्ष घोषित करने के लिए शासन से अनुमति लें।
इसके बाद ही शून्य वर्ष घोषित करें, लेकिन विश्वविद्यालय ने निर्णय लेकर शासन को प्रस्ताव भेजा और शासन ने ठुकरा दिया। परमार ने शासन से मांग कि विश्वविद्यालय के अयोग्य एवं भ्रष्टाचारी रजिस्ट्रार पुष्पराज बघेल एवं परीक्षा नियंत्रक सचिन कुचिया पर तत्काल कार्रवाई करें।
उन्होंने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं का भविष्य सुरक्षित हो सकें, इसके लिए कार्रवाई जरूरी है। उनका आरोप है कि विश्वविद्यालय में कई गड़बड़ियां सामने आती हैं, जोकि विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार एवं परीक्षा नियंत्रक की मिली-भगत से ही होती है।
पीएम को भी भेजा था पत्र
एनएसयूआई के रवि परमार ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जून 2023 में मप्र का दौरा था। उस समय मेडिकल विश्वविद्यालय के द्वारा घोषित शून्य सत्र पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
इसको लेकर पीएम को पत्र भी भेजा गया था। साथ ही नर्सिंग छात्रों की मांगों के निराकरण की मांग को लेकर काले गुब्बारे आसमान में छोड़कर अपना विरोध भी जताया था।
साथ ही मप्र में हुए नर्सिंग घोटाले की निष्पक्ष जांच की मांग की थी।
कोर्ट ने पहले भी लगाई फटकार
मध्यप्रदेश की एकमात्र मेडिकल विश्वविद्यालय अपने कारनामों और घोटालों को लेकर देशभर में बहुचर्चित विश्वविद्यालय बन चुका है।
मेडिकल विश्वविद्यालय के निर्णय से शासन-प्रशासन तो खासा नाराज है ही, वहीं हाईकोर्ट भी विश्वविद्यालय के निर्णयों को लेकर लगातार फटकार लगाता रहा है।
अब विश्वविद्यालय के शून्य सत्र घोषित किए जाने को लेकर फिर फटकार लगाई है। इससे पहले भी नर्सिंग परीक्षा घोटाले, प्राइवेट कॉलेजों की मान्यता के के अलावा अन्य मामलों को लेकर हाईकोर्ट ने फटकार लगाई है।