हाइलाइट्स
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सुहागिन महिलाएं नहीं कर सकतीं धूमावती देवी के दर्शन
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दतिया में स्थित है धूमावती देवी का इकलौता मंदिर
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माता पार्वती का उग्र स्वरूप कही जाती हैं धूमावती
Dhumavati Devi: हिंदू धर्म में अक्सर परेशानियों से पार पाने के लिए भगवान की पूजा करने की सलाह दी जाती है। भारत में लोग देवी- देवताओं को बहुत मानते हैं, लेकिन क्या आपने सुना है कि इस दुनिया में एक देवी ऐसी भी हैं जिन्हें न पूजने के लिए कहा गया है।
ये देवी हैं धूमावती देवी, जो कि पार्वती माता का रूप हैं। पुरानी मान्यताओं के मुताबिक सुहागिन महिलाओं को माता धूमावती (Dhumavati Devi) के दर्शन करने की मनाही होती है। आइए जानते हैं कि आखिर इसके पीछे का क्या कारण है।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, माता धूमावती मां पार्वती का विधवा स्वरूप हैं। इसी वजह से सुहागिन महिलाएं इनकी पूजा यहां तक कि दर्शन भी नहीं कर सकतीं हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर सुहागिन महिलाएं माता धूमावती के दर्शन करतीं हैं, तो उनके पति सुरक्षित नहीं रहते हैं।
क्या है माता धूमावती की कहानी?
मां धूमावती (Dhumavati Devi) माता पार्वती की उग्र स्वरूप कही जाती हैं। मां धूमावती का स्वरूप अगर आप देखेंगे तो कुरूप, खुले हुए बाल, दुबली-पतली, सफेद साड़ी पहने हुए रथ पर सवार रहती हैं। इन्हें अल्क्षमी पर कहा जाता है।
दरअसल, एक बार माता पार्वती को बहुत तेज भूख लगी थी। भूख से व्याकुल होकर माता अपने पति भगवान शिव के पास पहुंचीं और उन्होंने तत्काल खाने की व्यवस्था करने की बात कही, लेकिन इसमें बहुत समय लग गया और भोजन नहीं आया। जब माता पार्वती से भूख बर्दाश्त नहीं हुई, तो उन्होंने भगवान शिव को ही निगल लिया।
इसके बाद उनके शरीर से धुआं निकलने लगा और महादेव उनके पेट से बाहर निकल आए। इस दौरान भगवान शिव ने पार्वती मां से कहा कि तुमने तो अपने पति को ही निगल लिया। भगवान शिव कहा कि अब से तुम विधवा स्वरूप में रहोगी और इस स्वरूप का धूमावती (Dhumavati Devi) होगा।
यहां स्थित है मां धूमावती का इकलौता मंदिर
पूरे देशभर में मां धूमावती (Dhumavati Devi) का एक ही मंदिर है। ये मंदिर मध्यप्रदेश के दतिया में स्थित है। दतिया में मां पीतांबरा का प्रसिद्ध मंदिर है। ये दतिया का सबसे बड़ा मंदिर है। इस मंदिर में हर तरफ अलग-अलग देवी-देवता विराजे हुए हैं।
इस मंदिर में एक तरफ माता धूमावती (Dhumavati Devi) विराजी हुईं हैं। यहां पर कभी सुहागिन महिलाओं को दर्शन नहीं करने दिया जाता है। इस मंदिर में सिर्फ पुरुषों और कुंवारी लड़कियों को ही दर्शन करने की अनुमित है।
इस दिन कर सकते हैं दर्शन
मां धूमावती (Dhumavati Devi) के दर्शन सिर्फ शनिवार के दिन ही मिलते हैं। इसके अलावा हमेशा पर्दा पड़ा रहता है। ये मंदिर के कपाट रोज रात 8 बजे खुलते हैं।