राजगढ़। Manshapuran Hanuman Dham अपने पर्चा बनाने की कला और हिन्दुत्व के मुद्दे को बिना डरे उठाने वाले धीरेंद्र शास्त्री को कौन नहीं जानता। देश से लेकर विदेशों में तक उनके चर्चे हैं। लेकिन अब हू ब हू उन्हीं की तरह पर्चा बनाने वाले एक और शास्त्री जी आज कल लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। उनके पर्चा बनाने की स्टाइल के कारण लोग उन्हें धीरेंद्र शास्त्री का शिष्य कहकर संबोधित कर रहे हैं। जी हां हम यहां बात कर रहे हैं गुना जिले के राघौगढ़ स्थित मंशापूर्ण हनुमान धाम के हनुमंत दास की। जो राजगढ़ जिले क जीरापुर के रामगढ़ गांव में स्थित हैं।
आखिर कौन है दिव्य दरबार लगाने वाले हनुमंत दास – Manshapuran Hanuman Dham
राधौगढ हनुमान धाम के हनुमंत दास का 19 साल की उम्र से ही आध्यात्म की ओर झुकाव रहा। मुख्य रूप से वे गुना जिले के राघौगढ़ के रहने वाले हैं। उनके परिवार में माता-पिता, दो भाई और एक बहन है। पिता निजी कंपनी में कार्यरत हैं। उनके अनुसार परिवार बहुत ही सामान्य जीवन जीता है। दो कमरों के मकान में पूरा परिवार रहता है। बीए तक की पढ़ाई करने वाले हनुमंत दास का बचपन से ही मन हनुमान जी की सेवा में लगा । 19 साल की उम्र से आध्यात्म की झुकाव होने से पूजा पाठ में रमगए। उन्होंने कहा इसी के बाद से लगातार 4-5 सालों से हनुमानजी की सेवा में जुटा हुआ हूं। उन्होंने राघौगढ़ में मंशापूर्ण हनुमान मंदिर में ही अब तक दिव्य दरबार लगाया है। पहली बार राजगढ़ जिले के जीरापुर में दरबार लगाया है। यहां का दरबार सप्ताह में रविवार और सोमवार दो दिन लगाया गया है।
यहां लगा है दिव्य दरबार – Manshapuran Hanuman Dham
आपको बता दें ये दिव्य दरबार राजगढ़ से करीब 50 किमी दूर स्थित रामगढ़ के पास जूनापानी में मंदिर परिसर में लगा गया। जिसमें राजगढ़ जिले के साथ-साथ यहां से सटे दूसरे जिलों और सीमावर्ती राजस्थान से भी लोग अपनी पीड़ा लेकर आए पहुंचे। दोपहर करीब सवा 12 बजे हनुमंत दास का दिव्य दरबार सजा।
ऐसे बनाते हैं पर्चा –
अपको बता दें हनुमंत दास भी धीरेंद्र शास्त्री की तरह ही बजरंग बली का गदा साथ लेकर चलते हैं। हनुमंत दास की गादी के किनारे पेन और पर्चा रखा हुआ था। बाबा सभी से मन में राम नाम का जाप करते रहने की बात करते हैं। साथ ही हनुमान जी से अपनी अर्जी सुनाते रहने की बात भी करते हैं। उनके अनुसार राम नाम का जाप करने से ही आपकी अर्जी हनुमानजी तक पहुंचेगी। 5 मिनट राम नाम के जप के बाद हनुमंत दास गदा को अपने सीने से टच करते हैं और फिर माइक उठाकर किसी भी व्यक्ति का नाम पुकारते हैं। उसके बाद शुरू हो जाता है पर्चा बनाने का सिलसिला।