Mandsaur Lok Sabha Seat: लोकसभा चुनाव 2024 में मंदसौर सीट का मुकाबल रोमांचक होता जा रहा है. शुरुआत में जहां इस सीट पर हिंदुत्व के नाम पर नेता वोट मांग रहे थे वहीं अब लोकल मुद्दों की तरफ मुड़ गए है. बीजेपी ने Lok Sabha Election 2024 के लिए मंदसौर सीट से सुधीर गुप्ता मैदान में हैं वहीं कांग्रेस से दिलीप गुर्जर प्रत्याशी बनाए गए हैं. इस सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही है.
अफीम दिलाएगा सत्ता
मध्य प्रदेश की मंदसौर लोकसभा सीट पर अफीम किसानों को लेकर हमेशा सियासत होती है. यहां अफीम किसान ही सत्ता दिलाते हैं. जिन्हें साधने के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने कवायद शुरु कर दी है. कांग्रेस प्रत्याशी दिलीप गुर्जर ने सीपीएस (कंसंट्रेटेड पॉपी स्ट्रॉ) पद्धति को समाप्त कराने का किसानों से वादा है. वहीं बीजेपी ने अफीम किसानों से फसलों के दाम बढ़ाने का वादा कर रहे हैं.
दोनों दलों के दिग्गजों के हुए दौरे
प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा क्षेत्र में लगातार दौरे कर रहे हैं. इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी यहां दौरे कर चुके हैं. वहीं कांग्रेस की ओर से सचिन पायलट और पीसीसी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने दिलीप के पक्ष में कैंपेन किया है.
बीजेपी ने सुधीर गुप्ता को तीसरी बार दिया मौका
मध्य प्रदेश की मंदसौर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने लगातार तीसरी बार सुधीर गुप्ता को मौका दिया है. वे 2014 से सांसद हैं. वे संसद रत्न अवार्ड से भी सम्मानित हो चुके हैं. 2010 से 2012 तक में मंदसौर भाजपा जिलाध्यक्ष रहे। वर्ष 2014 में पहली बार सांसद का चुनाव लड़ा और 3 लाख मतों से जीते। इसके बाद 2019 में 3 लाख 76 हजार अधिक मतों से विजय हुए.
कांग्रेस ने बाहरी प्रत्याशी पर जताया भरोसा
कांग्रेस ने दिलीप सिंह गुर्जर को मैदान में उतारा है. दिलीप मंदसौर के स्थानीय निवासी नहीं है, वे उज्जैन के मूल निवासी हैं. मंदसौर लोकसभा सीट से सांसद का टिकट मिलने से पहले वे खाचरोद नागदा विधानसभा क्षेत्र से 4 बार विधायक रह चुके हैं. साल 1985 में छात्रसंघ अध्यक्ष के तौर पर उनकी राजनीति शुरु हुई थी. 1993 में 27 साल की उम्र में वे पहली बार नागदा-खाचरौद विधानसभा से विधायक चुने गए. इसके बाद वे 2003, 2008, 2018 में लगातार चुनाव जीते.
विधानसभा चुनाव में बीजेपी का रहा दबदबा
2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी हावी रही. बीजेपी ने मंदसौर लोकसभा की 8 विधानसभाओं में से 7 पर कब्जा जमाया था. वहीं केवल 1 सीट पर ही कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. इन्हीं सीटों में से मल्हारगढ़ सीट से उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने 59 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी.
जीत का अंतर मेंं आता है बड़ा उतार चढ़ाव
मंदसौर लोकसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला रहा है. इस सीट पर हार-जीत में मतों का अंतर हर बार बदला है. हालांकि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में मंदसौर में आजादी के बाद से सबसे ज्यादा वोटों से बीजेपी की जीत हुई थी. 2019 में बीजेपी के सुधीर गुप्ता ने 3.75 लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव जीता था. इस सीट पर 1971, 1980 और 1991 के लोकसभा चुनाव में जीत-हार का अंतर 10 हजार वोट से भी कम रहा. वहीं 1989, 2004, 2014 और 2019 के चुनाव में जीत का अंतर एक लाख वोट से ज्यादा रहा.
मंदसौर लोकसभा सीट का इतिहास
1951 में कांग्रेस के कैलाशनाथ काटजू, 1957 में कांग्रेस के माणकलाल अग्रवाल, 1962 में जनसंघ के उमाशंकर त्रिवेदी, 1967 में जनसंघ के स्वतंत्रसिंह कोठारी, 1971 में जनसंघ के डाॅ. लक्ष्मीनारायण पांडेय, 1977 में भारतीय लोकदल के डाॅ.लक्ष्मीनारायण पांडेय, 1980 कांग्रेस के भंवरलाल नाहटा, 1984 में कांग्रेस के बालकवि बैरागी, 1989, 1991, 1996,1998, 1999, 2004 में बीजेपी के डाॅ. लक्ष्मीनारायण पांडेय, 2009 में कांग्रेस की मीनाक्षी नटराजन, 2014, 2019 में बीजेपी के सुधीर गुप्ता ने इस सीट पर कब्जा जमाया.
मंदसौर सीट पर जातीय समीकरण
मंदसौर संसदीय क्षेत्र में 8 विधानसभा क्षेत्र मंदसौर, मल्हारगढ़, सुवासरा, गरोठ, नीमच, मनासा, जावद, जावरा शामिल हैं. इस सीट पर कुल मतदाता 18,72,135 (18 लाख 72 हजार) हैं. जिसमें पुरुष मतदाता 9,47,244 (9 लाख 47 हजार) और महिला मतदाता- 9,24,874 (9 लाख 24 हजार) हैं. जातीगत समीकरण की बात की जाए तो यहां हिंदुओं की जनसंख्या 88% है. वहीं मुस्लिमों की आबादी 9% है.जिसमें SC की आबादी 16.78% और ST- 5.36% हैं. मंदसौर की 75.49% जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र में रहती है.