मन्दसौर। इस बात से तो हर कोई वाकिफ़ है कि मंदसौर जिले में अन्य फसलों के मुकाबले सोयाबीन का उत्पादन भरपूर मात्रा में होता है। प्रदेशभर के साथ देश के कई राज्यों में सोयाबीन की सप्लाई भी मंदसौर से होती है।
सालभर में सिर्फ एक बार आने वाली सोयाबीन की फसल इस बार किसानों के लिए चिंतनीय साबित हो रही है। जहां पहले समय पर बारिश का ना होना, फिर बाद में अत्यधिक बारिश होना और अब फसल के पर्याप्त भाव ना मिलने से किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
बादलों ने बढ़ाई किसानों की मुश्किलें
समूचे अंचल में समय पर बरसात का ना होना किसानों के लिए भी मुसीबत का सबब बन गया है। वक़्त पर बारिश के नहीं होने और भीषण गर्मी के चलते सोयाबीन की फसल सूखने,जलने लगी थी।
किसान सोयाबीन की फसल को खेतों से बाहर लाने में जुटे ही थे कि अचानक बादलों ने बरसाना शुरू कर दिया। ऐसे में किसान जैसे – तैसे अपनी सोयाबीन की फसल को कृषि उपज मंडी तक लेकर पहुंचे, लेकिन फसल में नमी होने के कारण पर्याप्त दाम नहीं मिल पा रहे हैं।
सोयाबीन की आय के साथ भाव भी कम
मंदसौर शहर स्थित जिले की मुख्य कृषि उपज मंडी में सोयाबीन की फसल की आवक बेहद ही कम नज़र आ रही है। आमतौर पर देखा जाता है कि फसलों की आय कम होने से भाव अधिक होता है, लेकिन सोयाबीन की फसल के साथ ऐसा देखने को नहीं मिला है।
सोयाबीन की फसल के भाव में पिछले साल के मुकाबले 1 हज़ार से 1500 रुपए प्रति क्विंटल तक गिरावट देखी जा रही है। जो किसनों के लिए चिंता बन गई है।
किसानों ने सरकार से लगाई मदद की गुहार
किसान आसिफ मंसूरी ने बताया कि पिछले साल सोयाबीन की पैदावार अच्छी होने के साथ भाव भी अच्छा मिला था। लेकिन इस बार पैदावार के साथ भाव में भी गिरावट आई है। साथ ही उन्होने सरकार से मदद की अपील की है।
किसान कैलाश दास बैरागी ने बताया कि पिछले साल एक बीघा में करीब 5 क्विंटल सोयाबीन की पैदावार हुई थी जो कि इस बार घटकर एक बीघा में महज़ एक क्विंटल ही रह गई है।
इस बार सोयाबीन 4 हज़ार रुपए प्रति क्विंटल बिकी है पिछले साल इसका भाव लगभग 5500 रुपए प्रति क्विंटल था। यही कारण है कि इस साल फसल का लागत मूल्य भी नहीं निकल रहा है।
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